कोलकाता. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के लिए अलग स्मारक की मांग को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आलोचना की है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने बयान में आरोप लगाया कि जब अगस्त 2020 में उनके पिता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हुआ था, तब कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की शोकसभा आयोजित करना भी जरूरी नहीं समझा. उन्होंने कहा कि उस समय कांग्रेस नेतृत्व ने इस मुद्दे पर उन्हें गुमराह किया. उनके अनुसार, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह प्रथा भारतीय राष्ट्रपतियों के लिए लागू नहीं होती. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस तर्क को बेतुका बताते हुए दावा किया कि उनके पिता की डायरियों से उन्हें पता चला कि जब पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन का निधन हुआ था, तो सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलायी गयी थी और शोक संदेश खुद प्रणब मुखर्जी ने लिखा था. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस पर यह आरोप भी लगाया कि पार्टी ने गांधी परिवार से इतर दूसरे दिग्गज नेताओं को हमेशा नजरअंदाज किया. इस मुद्दे पर उन्होंने सीआर केशवन नाम के एक शख्स के पोस्ट का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस ने कई राज्यों के नेताओं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सिर्फ इस कारण से अनदेखा किया, क्योंकि वे गांधी परिवार के सदस्य नहीं थे. इसके साथ ही उन्होंने ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पुस्तक का हवाला दिया, जिसे डॉ मनमोहन सिंह के 2004 से 2009 तक मीडिया सलाहकार रहे और फाइनेंशियल एक्सप्रेस के पूर्व संपादक डॉ संजय बारू ने लिखा है. इस पुस्तक में कहा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2004 में दिवंगत प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कोई स्मारक नहीं बनाया, जबकि 2004 से 2014 तक पार्टी सत्ता में थी. संजय बारू ने अपनी किताब में यह भी दावा किया है कि कांग्रेस नरसिम्हा राव का अंतिम संस्कार दिल्ली के बजाय उनके गृह नगर हैदराबाद में कराने की पक्षधर थी.
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