Modi Cabinet: पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजुमदार को नरेंद्र मोदी की MODI 3.0 सरकार में मंत्री बनाया गया है. रविवार (9 जून) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.
Modi Cabinet: सुकांत मजुमदार पहली बार 2019 में बने सांसद
सुकांत मजुमदार वर्ष 2019 में पहली बार सांसद बने थे. वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनाये गये. राजनीति में आने से पहले वह कॉलेज शिक्षक हुआ करते थे. इस बार के लोकसभा चुनाव में बालुरघाट लोकसभा सीट से उन्होंने करीब 10 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता है.
मालदा के गौड़ बंग यूनिवर्सिटी में रहे बॉटनी के शिक्षक
29 दिसंबर 1979 को जन्मे सुकांत मजुमदार के पिता सुशांत कुमार मजुमदार पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारी थे. उनकी मां निवेदिता मजुमदार एक सरकारी प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका थीं. सुकांत मजुमदार ने उत्तर बंगाल यूनिवर्सिटी से बॉटनी विषय से एमएससी करने के बाद बीएड और पीएचडी की. शिक्षा पूरी होने के बाद वह कुछ दिनों तक मालदा जिले में गौड़ बंग यूनिवर्सिटी में बॉटनी के शिक्षक भी रहे. 15 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में उनके शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं.
देबी दास चौधरी के संपर्क में आने के बाद आरएसएस से जुड़े
वह भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष देबी दास चौधरी के संपर्क में आये और उन्हीं के निर्देशन में वह आरएसएस से जुड़े और वहां से भाजपा की राजनीति में आ गये. लंबे समय तक आरएसएस में सक्रिय रहने के बाद सुकांत ने 2010 के दशक में भाजपा ज्वाइन किया था. वह काफी समय तक पार्टी संगठन में रहकर भी काम किये. साल 2019 में पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे. तब सुकांत मजुमदार ने तृणमूल की सांसद अर्पिता घोष को 33 हजार 293 वोटों से हरा कर वह पहली बार सांसद चुने गये.
20 सितंबर 2021 को बंगाल भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए
20 सितंबर 2021 को भाजपा ने सुकांत मजुमदार को दिलीप घोष की जगह पश्चिम बंगाल भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. बतौर लोकसभा सदस्य वह सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति और याचिका समिति के सदस्य भी रहे. सुकांत मजुमदार ने चुनाव आयोग को दिये शपथ पत्र में करीब एक करोड़ 25 लाख की संपत्ति घोषित की है.
सुकांत मजुमदार पर दर्ज हैं एक दर्जन से अधिक मुकदमे
हालांकि, इसमें उन्होंने 11 लाख 25 हजार की देनदारी भी गिनायी है. इस शपथ पत्र में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एक दर्जन से अधिक मुकदमों का भी जिक्र किया है. हालांकि इनमें से किसी भी मुकदमे में अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं. उनके दादा-परदादा कृषि कार्य से जुड़े थे. वह खुद को किसान परिवार का सदस्य बताते हैं. मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले सुकांत मजूमदार के लिए दिल्ली का सफर आसान नहीं रहा है.
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