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West Bengal : जाने क्यों लाखों विद्यार्थियों का डब्ल्यूबीसीएस अधिकारी बनने का टूटा सपना

West Bengal : डब्ल्यूबीपीएससी ने जारी की महत्वपूर्ण घोषणा. 2025 की सिविल सेवा (एक्जिक्यूटिव) परीक्षा होगा नये पैटर्न और सिलेबस के आधार पर होगी.

आसनसोल, शिव शंकर ठाकुर : 11 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नबान्न में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में घोषणा किया था कि राज्य सिविल सर्विस और राज्य पुलिस सर्विस की परीक्षा में उर्दू, संताली और हिंदी भाषा को शामिल किया गया है. राज्य सरकार की कार्मिक व प्रशासनिक सुधार विभाग ने सिविल सर्विस (एक्जिक्यूटिव) की परीक्षा के सिलेबस को लेकर 15 मार्च 2023 को संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें मेंस परीक्षा के पेपर-ए से हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटाकर सिर्फ बांग्ला और नेपाली को रखा.

सिविल सर्विस परीक्षा पुरानी पाठ्यक्रम के आधार पर होगी आयोजित

यह अधिसूचना जारी होने के बाद पूरे राज्य में आंदोलन हुआ. जिसके उपरांत लोकसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री ने सिविल सर्विस की परीक्षा में हिंदी, उर्दू और संताली को शामिल करने की घोषणा की. लेकिन राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से दो दिन पूर्व एक महत्वपूर्ण घोषणा जारी कर कहा गया कि वर्ष 2024 का राज्य सिविल सर्विस (एक्जिक्यूटिव) परीक्षा पुरानी योजना और पाठ्यक्रम के आधार पर आयोजित होगी.

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लाखों विद्यार्थियों का टूटा सपना

वर्ष 2025 के लिए यह परीक्षा 15 मार्च 2023 जारी गैजेट नोटिफिकेशन के तहत नए पैटर्न और पाठ्यक्रम को लेकर 24 जुलाई 2024 को जारी संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन के आधार पर होगा. संशोधित अधिसूचना में भी हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को जगह नहीं मिली है. जिससे उक्त माध्यम के लाखों छात्रों का डब्ल्यूबीसीएस अधिकारी बनने का सपना लगभग समाप्त हो गया. इस मुद्दे को लेकर लंबे समय से आंदोलन के साथ जुड़े रहे खड़गपुर अजीजिया हाइस्कूल के पूर्व शिक्षक प्रभारी व 19 अलीमुद्दीन स्ट्रीट कोलकाता के निवासी मुबारक अली मुबारकी ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और घोषणा के अनुसार सिविल सर्विस की परीक्षा में तीनों भाषाओं को जोड़ने की अपील की है.

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क्या है पूरा मामला?

राज्य सिविल सर्विस (एक्जिक्यूटिव) के लिए प्रिलिमिनरी और मेन दो चरणों मे उम्मीदवारों को परीक्षा देना होता है. प्रिलिमिनरी पास करने पर मेन परीक्षा देने का मौका मिलता है. पुराना जो सिलेबस था, उसमें मेन परीक्षा के कम्पलसरी पेपर-1 में बांग्ला/हिंदी/ उर्दू/संताली/नेपाली भाषा में लेटर राइटिंग (150 शब्द), ड्राफ्टिंग ऑफ रिपोर्ट (200 शब्द), प्रेसिस राइटिंग, कम्पोजिशन और बांग्ला/हिंदी/उर्दू/नेपाली/संताली भाषा से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन करना था. यह 200 नम्बर का पेपर होता था. 15 मार्च 2023 को राज्य सरकार की कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग ने राज्य सिविल सर्विस (एक्जिक्यूटिव) की परीक्षा के सिलेबस को लेकर जो संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया. उसमें मेन परीक्षा के पेपर-ए 300 नम्बर का किया गया और हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटाकर सिर्फ बांग्ला और नेपाली को रखा गया.

मुख्यमंत्री ने परीक्षा में तीनों भाषाओं को पुनः शामिल करने की घोषणा की

अब 300 नम्बर के पेपर में बांग्ला/नेपाली भाषा मे लेटर राइटिंग, ड्राफ्टिंग ऑफ रिपोर्ट, प्रेसिस राइटिंग, कम्प्रिहेंशन, बांग्ला/नेपाली से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन और शॉर्ट स्टोरी लिखनी होगी. यह सारा कुछ कक्षा दस के स्तर के पाठ्यक्रम के आधार पर होगा. यह अधिसूचना जारी होते ही पूरे राज्य में हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थियों में खलबली मच गयी और लगातार आंदोलन चला. जिसके उपरांत मुख्यमंत्री ने राज्य सिविल सर्विस परीक्षा में उक्त तीनों भाषाओं को पुनः शामिल करने की घोषणा की. 15 मार्च 2023 को जारी गैजेट नोटिफिकेशन का संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन 24 जुलाई 2024 को जारी हुआ. जिसमें सिर्फ लैंगुएज भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद को बदला गया. बाकी सारा कुछ 15 मार्च 2023 के आधार पर ही रहा.

वर्ष 2025 की सिविल सर्विस परीक्षा में हिंदू, उर्दू, संताली माध्यम के विद्यार्थी हो जाएंगे बाहर

नये पैटर्न और सिलेबस के आधार पर मेंस परीक्षा के पेपर-ए में राज्य के पहाड़ी क्षेत्र दार्जिलिंग और कलिमपॉन्ग के नेपाली नागरिकों को छोड़कर सभी उम्मीदवारों को 300 नम्बर का परीक्षा बांग्ला भाषा में लिखना होगा और पास मार्क्स 90 लाना होगा. परीक्षा में लेटर राइटिंग, ड्राफ्टिंग ऑफ रिपोर्ट, प्रेसिस राइटिंग, कम्प्रिहेंशन, अंग्रेजी से बांग्ला में अनुवाद, शॉर्ट स्टोरी आदि लिखना होगा. यह विशुद्ध रूप से बांग्ला माध्यम के छात्र ही कर पाएंगे. इससे हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थी ही नहीं अंग्रेजी माध्यम में पढ़नेवाले अधिकांश विद्यार्थी प्रभावित होंगे. क्योंकि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सेकेंड लैंगुएज के रूप में अधिकांश छात्र हिंदी को चुनते हैं. ऐसे में उन्हें बांग्ला भाषा का ज्ञान उस स्तर का नहीं होगा कि वे राज्य सिविल सर्विस परीक्षा उतीर्ण हो सकें.

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