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कांकसा जंगलमहल में झंडा और बैनर लगा पेड़ों को जख्मी कर रहें है राजनीति दल

तृणमूल, बीजेपी और सीपीएम के पार्टी झंडों को लगाने के लिए पेड़ों में कीलें लगा दी गई हैं और पार्टी के बैनर भी लटका दिए गए हैं. ऐसी राजनीति का 'काला निशान' कांकसा के जंगल महल में देखने को मिला. हाल ही में बर्दवान दुर्गापुर सीट का लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ था.

पानागढ़, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल के बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा सीट (lok sabha seat) के तहत चुनावी मैदान में लड़ाई हेतु खड़े भाजपा, तृणमूल और सीपीएम प्रार्थियों ने चुनाव प्रचार के दौरान पेड़ों पर लगाए गए बैनर को अभी तक हटाया नहीं गया है. इतना ही नहीं इन पेड़ों पर जो झंडे और बैनर लगाए गए है वह बहुत की दर्दनाक रूप से लगाया गया है. पेड़ों में लगाएं गए इन झंडो और बैनरों को लगाने के लिए कील से पेड़ों को जख्मी किया गया है. लेकिन चुनाव के दस दिन हो गए है लेकिन अबतक इन कीलों को पेड़ों से नहीं निकाला गया है. इस मामले को लेकर भले भी प्रशासन मौन है लेकिन वन विभाग इस दिशा में उपयुक्त कदम उठाने जा रही है. मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण संरक्षण के लोगों का कहना है की समाज के लिए लोगों की लड़ाई लड़ते-लड़ते यह राजनीति दलों की लड़ाई पर्यावरण के ख़िलाफ जा रही है.

चुप है प्रशासन ,वन विभाग करेंगी कार्यवाही

तृणमूल, बीजेपी और सीपीएम के पार्टी झंडों को लगाने के लिए पेड़ों में कीलें लगा दी गई हैं और पार्टी के बैनर भी लटका दिए गए हैं. ऐसी राजनीति का ‘काला निशान’ कांकसा के जंगल महल में देखने को मिला. हाल ही में बर्दवान दुर्गापुर सीट का लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ था. इससे पहले तीनों राजनीतिक दल मैदान छोड़ने से कतरा रहे थे. हालांकि प्रत्याशी तो नजर नहीं आये, लेकिन कांकसा के जंगलमहल के जंगल के कोने-कोने में पार्टी के झंडे-बैनर दिखे. तृणमूल का झंडा पेड़ और दिलीप घोष का बैनर तथा सीपीएम ने भी पेड़ों पर अपने झंडे और बैनर लगाने के लिए किले ठोकी है.

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राजनीतिक दलों को पर्यावरण नियमों का पालन करने का दिया गया संदेश

चुनाव खत्म हो चुका है और अब राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को नतीजों का इंतजार है. ऐसे में पेड़ों पर राजनीतिक झंडे लगे होने पर भी कोई देखने वाला नहीं है. कांकसा के पर्यावरणविद् प्रकाश दास ने कहा, पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हो रहा है. लोगों के लिए लड़ते-लड़ते पर्यावरण के खिलाफ लड़ाई हो रही है. इस तरह अगर दिन-ब-दिन कीलें ठोंकी जाएंगी तो जंगल विनाश की राह पर चले जाएंगे. राजनीतिक पार्टियों को जागरूक होना चाहिए. इन मामले को लेकर पर्यावरणविद् हर मोहल्ले में लोगों को जागरूक कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने राजनीतिक दलों को पर्यावरण नियमों का पालन करने का संदेश भी दिया. मामले को लेकर पानागढ़ बीट अधिकारी असीम कुमार बाउड़ी ने कहा, पेड़ पर कील ठोक कर झंडा और बैनर लगाने का यह पूरी तरह से अनैतिक कार्य है.

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वन विभाग के कर्मियों ने पेड़ों से कीलें हटाने का काम कर दिया शुरु

जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें भी पता है कि कितना नुकसान होता है. उसके बाद भी वह इस तरह का काम किए है. वन विभाग की ओर से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वन विभाग के कर्मियों ने पेड़ों से कीलें हटाने का काम शुरू कर दिया है. वन अधिकार ने कहा की भविष्य में इस तरह की हरकतों को लेकर सख्ती बरती जाएगी. इस मामले को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं ने कोई टिप्पणी नहीं की है.

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