WB News : पश्चिम बंगाल के गौरबंग विश्वविद्यालय (Gour Banga University) के कुलपति को लेकर राज्य व राजभवन के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है. राजभवन ने कुलपति रजतकिशोर डे के कार्यालय को सील करने का आदेश दिया है. इसका एक ईमेल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार बिस्वजीत दास के पास भेज दिया गया है. लेकिन वह इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस के आदेश को कैसे लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद निर्णय लेंगे.
रजतकिशोर को पिछले साल अगस्त में कुलपति के पद पर किया गया था नियुक्त
रजतकिशोर को पिछले साल अगस्त में राज्यपाल आचार्य बोस ने गौरबंग विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति के रूप में शामिल किया था. बाद में उन्होंने उन्हें कुलपति पद से हटा दिया. लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर, राज्य शिक्षा विभाग ने रजतकिशोर को अस्थायी कुलपति के रूप में बहाल कर दिया था. हाल ही में उस विश्वविद्यालय में तृणमूल समर्थित बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने की. अन्य तृणमूल नेता भी मौजूद थे. इस बात पर राज्यपाल ने नाराजगी जताई. उन्होंने चुनाव के मद्देनजर ऐसी बैठक आयोजित करने के लिए राज्य सरकार से शिक्षा मंत्री को हटाने की सिफारिश की. कुलपति कार्यालय को सील करने का आदेश दिया.
रजिस्ट्रार के अनुसार, सोमवार से पहले कार्रवाई संभव नहीं
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के अनुसार, कुलपति का कार्यालय बंद कर दिया गया और उन्हें राजभवन द्वारा परिसर में प्रवेश करने से भी रोक दिया गया है. लेकिन फिलहाल आदेश को अमल में लाने के लिए सोमवार से पहले कार्रवाई संभव नहीं है. एक रजिस्ट्रार के तौर पर मैं कुलपति को परिसर में प्रवेश करने से रोकने की स्थिति में नहीं हूं. क्योंकि, वह राज्य सरकार द्वारा मनोनीत कुलपति हैं. वह अभी छुट्टी पर हैं. मैं कोई भी फैसला अकेले नहीं ले सकता.
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रजिस्ट्रार अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकते
बिस्वजीत ने यह भी कहा, ”मैं विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) के सदस्यों के साथ चर्चा करने के बाद इस संबंध में निर्णय लूंगा. रजिस्ट्रार अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकते. फिलहाल मैंने परिषद सदस्यों को इसकी मौखिक जानकारी दे दी है. रजिस्ट्रार ने शनिवार सुबह कहा कि राज्यपाल का पत्र मिलने के बाद उन्होंने शिक्षा मंत्री को फोन किया. लेकिन अभी तक वहां से कोई आदेश नहीं आया है. ईसी सदस्यों ने भी कुछ नहीं कहा. इसलिए राज्यपाल के आदेश पर अभी तक अमल नहीं हो सका है.
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