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Supreme Court : सुप्रीम काेर्ट ने एसएससी मामले में 25750 आवेदकों की नौकरी को लेकर हाईकोर्ट का निर्देश रखा बहाल, अगली सुनवाई अगले सोमवार को

Supreme Court : नौकरी रद्द करने के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट की डिविजन बेंच के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अगर कोई दूसरा विकल्प होता ताे कोर्ट को इस तरह का फैसला नहीं लेना पड़ा होता.

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षक व गैर-शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में राज्य कैबिनेट के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश पर स्थगनादेश लगाया है. सुप्रीम काेर्ट ने एसएससी मामले में 25750 आवेदकों की नौकरी को लेकर हाईकोर्ट का निर्देश बहाल रखा है. इस मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को होगी. नतीजा यह हुआ कि लगभग 26 हजार बेरोजगार शिक्षाकर्मियों का भविष्य अब भी अधर में लटका हुआ है. सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले एसएससी द्वारा दायर मामले में आयोग को शीर्ष अदालत के कई सवालों का सामना करना पड़ा. मालूम हो कि स्कूल सर्विस कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वे योग्य और अयोग्य को अलग करने के लिए तैयार हैं. लेकिन शीर्ष अदालत का सवाल है कि ओएमआर शीट को नष्ट कर दिया गया है. योग्य और अयोग्य को कैसे अलग करें?

ओएमआर शीट नष्ट होने के बाद योग्य और अयोग्य को कैसे करेंगे अलग

कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से 25 हजार 753 शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. उस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार, स्कूल सेवा आयोग और मध्य शिक्षा परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट का राज्य से सवाल, नौकरी परीक्षा की ओएमआर शीट कितने समय तक रखी जाती हैं ? जवाब में राज्य की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि 1 से 2 साल तक संरक्षित रखा जाता है. इसके बाद चीफ जस्टिस का सवाल, ‘अगर आपने ओएमआर शीट नष्ट कर दी है तो योग्य और अयोग्य को कैसे अलग करेंगे?’ जवाब में, राज्य के वकील ने कहा, विकल्प हैं.

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मुख्य न्यायाधीश का राज्य से सवाल है कि यह भ्रष्टाचार बहुत बड़ा

हालांकि, जज की टिप्पणी से साफ है कि कोर्ट उस जवाब से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने वादी से जानना चाहा, 25 हजार बड़ी संख्या है. योग्य और अयोग्य को कैसे अलग करें? हमें इसके बारे में सारी जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए. नौकरी रद्द करने के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट की डिविजन बेंच के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अगर कोई दूसरा विकल्प होता ताे कोर्ट को इस तरह का फैसला नहीं लेना पड़ा होता. यदि योग्य और अयोग्य को अलग करने की व्यवस्था है तो इसकी सूचना उच्च न्यायालय को क्यों नहीं दी जाती? खंडपीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए मुख्य न्यायाधीश का राज्य से सवाल है कि यह भ्रष्टाचार बहुत बड़ा है. इस भ्रष्टाचार से किसे फायदा हुआ? यह जानने की जरूरत है.

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