16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Lok Sabha Election 2024 : उलबेड़िया सीट पर माकपा का था दबदबा, अब तृणमूल का जलवा, भाजपा भी बढ़ा रही ताकत

Lok Sabha Election 2024 : उलबेड़िया संसदीय सीट एक समय माकपा का गढ़ मानी जाती था. इसी सीट पर माकपा नेता हन्नान मोल्ला आठ बार चुनाव जीत कर सांसद बने थे. वर्ष 2009 में माकपा का यह किला ढह गया. तृणमूल ने यहां से सुल्तान अहमद को मैदान में उतारा. उसके बाद दो बार वह यहां से चुनाव जीते.

LOk Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल के उलबेड़िया संसदीय सीट एक समय माकपा का गढ़ मानी जाती था. इसी सीट पर माकपा नेता हन्नान मोल्ला आठ बार चुनाव जीत कर सांसद बने थे. इस क्षेत्र पर कभी वामपंथियों का गढ़ था, लेकिन साल 2009 से इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. पिछली बार यहां से तृणमूल की सजदा अहमद ने जीत हासिल की थी. 2024 के लोकसभा चुनाव (LOk Sabha Election) में तृणमूल सजदा अहमद पर भरोसा कर रही है और फिर से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. वहीं, भाजपा ने अरुण उदय पाल चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.

2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने अपना कब्जा बरकरार रखा

2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने अपना कब्जा बरकरार रखा था. उन्होंने सजदा अहमद को नामांकित किया था. इस बार माकपा के बजाय तृणमूल का मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा से हुआ. सजदा को 6 लाख 94 हजार 945 वोट मिले थे.वहीं, भाजपा उम्मीदवार जॉय बनर्जी को 4 लाख 79 हजार 586 वोट मिले. वहीं, माकपा उम्मीदवार मकसूदा खातून को 81 हजार 314 वोट मिले. सजदा 2 लाख 15 हजार 359 वोटों से जीतीं. सजदा को 53 फीसदी वोट मिला, हालांकि वह पिछली बार तुलना में आठ फीसदी कम था. भाजपा को 36.58 फीसदी वोट मिला. भाजपा ने इस चुनाव में अपना वोट प्रतिशत 13.25 फीसदी बढ़ाया.

Mamata Banerjee : ममता बनर्जी ने कहा, ‘मोदी की गारंटी’ का मतलब है सभी विपक्षी नेताओं को सलाखों के पीछे डालना

सुल्तान अहमद के निधन के बाद उनकी पत्नी बनीं सांसद

2017 में जब सुल्तान अहमद का निधन हुआ तो इस सीट पर उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में तृणमूल ने दिवंगत सुल्तान अहमद की पत्नी सजदा अहमद को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने उपचुनाव जीता. उपचुनाव में तृणमूल को 61 फीसदी वोट हासिल हुआ था. तृणमूल ने 12.88 फीसदी वोट बढ़ा लिया था. भाजपा उम्मीदवार अनुपम मल्लिक को 23.29 फीसदी वोट मिला. भाजपा का वोट भी 11.73 फीसदी बढ़ गया. 2014 के चुनाव में भी तृणमूल ने सुल्तान अहमद को उम्मीदवार बनाया था. अहमद अपने निकटतम माकपा उम्मीदवार को हराकर संसद पहुंचे. अहमद को 48.12 फीसदी वोट मिला. माकपा को 31.15 व भाजपा को 11.56 फीसदी वोट मिल पाया था. सुल्तान अहमद दो लाख 1 हजार 222 वोटों से जीते.

2009 में भी तृणमूल के सुल्तान अहमद को यहां से मिली थी जीत

2009 में भी तृणमूल के सुल्तान अहमद को यहां से जीत मिली थी. अहमद को 50.92 फीसदी वोट मिला था. माकपा के हन्नान मोल्ला को 41.12 फीसदी वोट मिला था. इस चुनाव में माकपा का किला ढह गया था. जबकि 2004 में माकपा के हन्नान मोल्ला ने बड़ी मार्जिन से जीत दर्ज की थी. मोल्ला को 424,749, तृणमूल के राजीव बनर्जी को 272,634 वोट मिला था. इस चुनाव में भाजपा मैदान में नहीं थी. 1951 में जब पहली बार यहां चुनाव हुआ था तो इस सीट से कांग्रेस के सत्यवन राय चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे. 1957 में फारवर्ड ब्लॉक (एम) के अरविंद घोषाल, 1962 में कांग्रेस के पूर्णेंदु खां, 1967 में कांग्रेस के जेके मंडल यहां से जीते. 1971 से माकपा ने यहां अपना कब्जा जमाया. माकपा के श्यामप्रसन्न भट्टाचार्य ने 1971, 1977 में यहां से जीत दर्ज की. इसके बाद 2004 तक हन्नान मोल्ला यहां से लगातार विजयी होते रहे.

West Bengal Breaking News : ममता बनर्जी ने कहा, पूरे देश के लोगों को जेल में डाल दो

2009 के चुनाव में नहीं चला माकपा का जादू तृणमूल ने पहली बार सीट पर किया कब्जा

2018 में सुल्तान अहमद के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी चुनी गयीं सांसद

भाजपा ने भूमिपुत्र को चुनावी मैदान में उतार खेला सियासी दांव

इस सीट पर अल्पसंख्यकों का खासा असर है. उम्मीदवार की घोषणा होने से पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि यहां से पद्यश्री काजू मासूम अख्तर को उतारा जा सकता है. सीएए का समर्थन करते हुए भी उन्हें सुना गया था. इस सीट के अधीन सात विधानसभा, जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत पर तृणमूल का कब्जा है. पिछले विधानसभा पर नजर डालें तो बागनान छोड़ कर अन्य में मिले वोट से तृणमूल कुछ चिंतित जरूर है. क्योंकि भाजपा ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ा कर अपनी ताकत का एहसास कराया है. हालांकि भाजपा के बढ़ते वोट के बीच तृणमूल का कहना है कि मनरेगा का रुपया, आवास योजना व केंद्र सरकार द्वारा बंगाल को वंचित करने को लेकर लोकसभा चुनाव में भाजपा को जनता वोट नहीं देगी. वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि तृणमूल भ्रष्टाचार में डूबी है. जनता भाजपा के साथ है.


उलबेड़िया से लगातार आठ बार सांसद चुने गये थे माकपा के धाकड़ नेता हन्नान मोल्ला
1971 के बाद से यह निर्वाचन क्षेत्र वामपंथियों का गढ़ बन गया था. 2009 तक इस सीट पर माकपा का कब्जा था. 2009 के लोकसभा चुनाव में वामपंथ का गढ़ उलबेड़िया ढह गया. साल 1980 से लेकर साल 2004 तक माकपा के हन्नान मोल्ला यहां से लगातार आठ बार सांसद चुने गए थे. माकपा के यह अभेद किला बन गया था. हन्नान मोल्ला एक सामान्य परिवार से जुड़े थे. उनके पिता जूट मिल में एक कर्मी थे. 1964 में वह माकपा के सदस्य बने. वह माकपा के पोलित ब्यूरो सहित केंद्रीय कमेटी के भी सदस्य रहे थे. किसान आंदोलन के ये अन्यतम नेता माने रहे हैं. केंद्र सरकार के साथ किसानों की बातचीत के लिए बनी कमेटी का नेतृत्व मोल्ला ही कर रहे थे. दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने का नोटिस भी दिया था. इस दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर मोल्ला ने कहा था कि कुछ नहीं, मुर्गी बैठी रही, लेकिन अंडा नहीं दिया. उनके इस बयान की देश भर में चर्चा हुई थी.

शत्रुघ्न सिन्हा से बात करने के लिए ममता बनर्जी को करना पड़ा था इंतजार, बिहारी बाबू फोन का नहीं दे रहे थे रिस्पांस, जानें वजह

सांसद के लापता होने के पोस्टर से गरमायी राजनीति
तृणमूल ने एक बार फिर से मौजूदा सांसद सजदा अहमद को यहां से मैदान में उतारा है. लेकिन हाल ही में उनके चुनाव क्षेत्र में सांसद के लापता होने के पोस्टर से सियासी पारा गरम हो गया. भाजपा ने आरोप लगाया कि 2018 में उपचुनाव व 2019 के आम चुनाव में जीत मिलने के बाद उन्हें इलाके में नहीं देखा गया. जनता के साथ उनका संपर्क नहीं है. सांसद को प्रवासी पक्षी करार दिया. तृणमूल विधायक समीर पांजा ने कहा कि विरोधी दल के लोग इस तरह पोस्टर लगा कर बाजार गर्म करना चाह रहे हैं. तृणमूल उम्मीदवार ने जोरशोर से प्रचार शुरू किया है.

उलबेड़िया स्टेशन पर जमकर हुई थी तोड़फोड़ व आगजनी
2019 के दिसंबर में उलबेड़िया में एनआरसी एवं सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ था. करीब 300 प्रदर्शनकारियों ने उलबेड़िया स्टेशन एवं ट्रेनों में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी. इस कारण हावड़ा से खड़गपुर रूट में ट्रेनों की आवाजाही बंद कर दी गयी थी. लोग जहां-तहां फंस गये थे. आसपास के इलाकों में भी आगजनी की घटनाएं हुईं.

मुस्लिम वोटर्स हैं ‘वी’ फैक्टर, जो इन्हें साधेगा, वो जीतेगा

उलबेड़िया लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता ‘वी’(विक्ट्री) फैक्टर माने जाते हैं. इसकी वजह यह है कि क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की आबादी 33 प्रतिशत है. फिलहाल क्षेत्र का अल्पसंख्यक समुदाय सत्तारूढ़ दल का करीबी माना जा जाता है. तृणमूल के इस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी होगी. यहां से लगातार सात बार माकपा के हन्नान मोल्ला सांसद चुने जाते रहे. वर्ष 2009 में पहली बार यह सीट तृणमूल कांग्रेस के कब्जे में आयी. उस वक्त धाकड़ माकपा नेता हन्नान मोला को सुल्तान अहमद ने हराया. उसके बाद से अब तक यह सीट तृणमूल जीतती आ रही है. 2017 में सुल्तान अहमद के निधन के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में तृणमूल ने उनकी पत्नी सजदा अहमद को उम्मीदवार बनाया. सजदा भारी मतों से चुनाव जीतीं. 2019 के आम चुनाव में भी तृणमूल ने सजदा को ही टिकट दिया और वह फिर विजयी हुईं. वर्तमान में यह सीट तृणमूल का गढ़ कही जाती है. वर्ष 2009 के बाद से प्राप्त वोट के मामले में हर समय वाममोर्चा दूसरे नंबर पर ही रहा. लेकिन 2019 में वाममोर्चा को पछाड़ भाजपा दूसरे पायदान पर काबिज हो गयी.

West Bengal Breaking News : ममता बनर्जी ने कहा, पूरे देश के लोगों को जेल में डाल दो

सातों विस सीट पर तृणमूल का कब्जा
2011 के विस चुनाव में कांग्रेस एवं तृणमूल के बीच गठबंधन रहने के दौरान आमता सीट से कांग्रेस प्रार्थी असित मित्र विजयी हुए थे. फलस्वरूप, उलबेड़िया लोकसभा क्षेत्र अधीन सात विधानसभा सीटों में से एक पर कांग्रेस का दखल था. 2016 के विधानसभा चुनाव में माकपा एवं कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया. उस वक्त भी असित मित्र ही उम्मीदवार बनाये गये. वह तृणमूल प्रत्याशी तुषार शील को हरा फिर विधायक बने. इस बीच 2019 के आम चुनाव से भाजपा का क्षेत्र में उत्थान शुरू हो गया. हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में आमता सीट पर भी तृणमूल का कब्जा हो गया. वर्तमान में उलबेड़िया लोकसभा क्षेत्र के अधीन सातों विधानसभा सीट तृणमूल के कब्जे में है.

Mamata Banerjee : जलपाईगुड़ी में ममता बनर्जी ने चाय पर की चर्चा

उलबेड़िया में 07 विधानसभा क्षेत्र

  • उलबेड़िया पूर्व विदेश रंजन बोस तृणमूल
  • उलबेड़िया उत्तर डॉ निर्मल माजी तृणमूल
  • उलबेड़िया दक्षिण पुलक रॉय तृणमूल
  • श्यामपुर कालीपद मंडल तृणमूल
  • बागनान अर्णव सेन तृणमूल
  • आमता सुकांत कुमार पाल तृणमूल
  • उदयनारायणपुर समीर कुमार पांजा तृणमूल

मतदाताओं के आंकड़े

  • कुल मतदाता 17,75,607
  • पुरुष मतदाता 9,04,052
  • महिला मतदाता 8,71,511
  • थर्ड जेंडर 0000000

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें