लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में इलेक्टोरल बांड चर्चा का विषय बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस बांड के जरिये सबसे ज्यादा रुपये भाजपा के फंड में जमा हुए हैं.
इलेक्टोरल बांड से टीएमसी के फंड में जमा हुए 1397 करोड़ रुपए
दूसरे स्थान पर तृणमूल कांग्रेस है. इलेक्टोरल बांड से उसके फंड में करीब 1,397 करोड़ जमा हुए. तीसरे नंबर पर कांग्रेस है. कांग्रेस से ज्यादा तृणमूल को मिले फंड को लेकर विपक्ष ने निशाना साधना शुरू कर दिया है.
इलेक्टोरल बांड पर कुणाल घोष ने किया ये दावा
यहां तृणमूल भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने दावा किया कि तृणमूल को यह नहीं पता था कि पार्टी को किसने और कितनी राशि इलेक्टोरल बांड के रूप में दी थी.
तृणमूल भवन के बाहर ड्रॉप बॉक्स में किसने डाले बांड, नहीं मालूम
उन्होंने आगे कहा कि अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के मुख्यालय तृणमूल भवन के सामने एक ड्रॉप बॉक्स रखा रहता है. किसने उस बक्से में इलेक्टोरल बांड के रूप कितनी राशि दी, यह जानने का कोई तरीका नहीं है. इसकी वजह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा लाये गये कानून के मुताबिक, देने वाले शख्स के किसी नाम का जिक्र नहीं होगा, सिर्फ अल्फा-न्यूमेरिक कोड का इस्तेमाल होगा.
भाजपा ने देश में लागू की इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था : कुणाल घोष
यह कहीं नहीं बताया गया कि दानकर्ता कौन-सी कंपनी है या कौन है. यह व्यवस्था भाजपा ने देश में लागू की. वे जानते थे कि उन्हें पैसे किसने दिये, क्योंकि वे संभवत: केंद्रीय एजेंसियों के जरिये अपने फंड में पैसा लाते होंगे, लेकिन तृणमूल के पास इडी, सीबीआइ, इनकम टैक्स नहीं है.
तृणमूल को किसने रुपए दिए, यह सवाल पूछने का कोई प्रयोजन नहीं
उन्होंने कहा कि हमने एक निश्चित समय के बाद तृणमूल भवन के सामने रखे ड्रॉप बॉक्स को खोला. वे ड्राफ्ट किसी व्यक्ति विशेष के नहीं, बल्कि पार्टी के बैंक खाते में जमा किये गये. तृणमूल को किससे इतने रुपये मिले, ये सवाल पूछने का कोई प्रयोजन ही नहीं है.
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