Jharkhand culture : समय के साथ परिवर्तन एक सच्चाई है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है. मानव परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं. ठीक वैसे ही जैसे अमिताभ बच्चन के युग में बेलबाटम पैंट का चलन था फिर चुस्त कपड़ों का बना और अब धीरे-धीरे चलन फिर बैगी स्टाइल की ओर जा रहा है. एक वक्त केवल नेताओं का पोशाक कहा जाने वाला हाफ कोट जिसे मोदी कोट या नेहरू जैकेट भी कहा जाता था, आज अधिकतर लोगों के द्वारा अपनाया गया है. लेकिन, सवाल यह है कि आखिर ये ट्रेंड सेटर कौन हैं और ट्रेंड सेट होता कैसे है? ये एक बड़ा सवाल है, लेकिन इन सबसे ज्यादा जरूरी सवाल है कि झारखंडी संस्कृति को दर्शाने वाले फैशन नेशनल लेवल पर ट्रेंड क्यों नहीं हो पाते हैं. आइए कुछ जानकारों से बात करते हैं और चीजों को समझने की कोशिश करते हैं…
झारखंडी संस्कृति को दर्शाने वाले फैशन क्यों नहीं हो पाते नेशनल लेवल पर ट्रेंड?
इस विषय पर चर्चा करते हुए हमने बात की झारखंड के कुछ फैशन डिजाइनर और यूथ आइकॉन से और उनसे उनकी राय जानीं. एंजेल मेरीना तिर्की ने इसपर अपनी बात रखते हुए कहा कि झारखंड की संस्कृति (Jharkhand culture) को दिखाने वाला फैशन नेशनल लेवल पर ट्रेंड इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि यहां के परिधान और संस्कृति का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार ऑनलाइन माध्यम से नहीं होता है. यहां के लोकल डिजाइन या संस्कृति को सोशल मीडिया या मैगजीन में बड़े लेवल पर जगह नहीं मिलती है. नेटवर्किंग की कमी भी इसका बड़ा कारण है.
‘झारखंड के परिधान और संस्कृति का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार नहीं होता है. लोकल डिजाइन या संस्कृति को सोशल मीडिया या मैगजीन में बड़े लेवल पर जगह नहीं मिलती है. नेटवर्किंग की कमी भी एक कारण है.’- एंजेल मेरीना तिर्की
वहीं, फैशन डिजाइनर आशीष सत्यव्रत साहू ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये सब लोकल लेवल पर हम फैशन स्टाइल में शामिल कर पा रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी जाने की कोशिश जारी है. झारखंड में अब सरहुल या किसी और उत्सव में झारखंडी संस्कृति (Jharkhand culture) से जुड़े फैशन स्टाइल का चलन शुरू हुआ है, लेकिन लोग उसे त्योहार के दौरान पहनने वाला कपड़ा ही मानकर चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि फॉर्मल वियर के तौर पर जबतक लोग इन कपड़ों को पहनना शुरू नहीं करेंगे, तबतक ये चीजें ट्रेंड में नहीं आने वाली हैं.
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Jharkhand Culture : कैसे सेट होता है फैशन का ट्रेंड?
आखिर फैशन का ट्रेंड सेट कैसे होता है? इस सवाल पर फैशन डिजाइनर राहुल टोप्पो ने बात करते हुए बताया कि ये जो ट्रेंड होता है उसे सेट करने में सबसे बड़ी भूमिका होती है WGSN की. वहां से जो भी स्टाइल का फोरकास्ट होता है वो सबसे ज्यादा सही होता हुआ पाया जाता है. उन्होंने कहा कि 2024 में ही उनके द्वारा 2026 या 2027 तक के ट्रेंड का फोरकास्ट किया जाता है. उसपर बड़ी-बड़ी कंपनियां ध्यान देती है और धीरे-धीरे यह भारत में भी फॉलो होने लगता है. बता दें कि WGSN एक फोरकास्ट कंपनी है जो आने वाले समय में लोग कैसे कपड़े पहनना पसंद कर सकते है इसका सटीक अनुमान लगाते है.
”ट्रेंड सेट करने में सबसे बड़ी भूमिका WGSN की होती है. वहां से जो भी स्टाइल का फोरकास्ट होता है वो सबसे ज्यादा सही होता हुआ पाया जाता है. 2024 में ही 2026 या 2027 तक के ट्रेंड का फोरकास्ट किया जाता है.” – राहुल टोप्पो
वहीं, झारखंड की यूथ आइकॉन एंजेल मेरीना तिर्की ने इसपर कहा कि एक ट्रेंड को पांच तरीकों से पेश किया जाता है. रनवे, स्ट्रीट स्टाइल, मशहूर हस्तियां, फैशन ब्लॉगर्स और दुनिया में फैशन कैपिटल. उन्होंने कहा कि इन्हें देखकर लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इसे शामिल करते हैं. चाहे काम पर हो या स्कूल में या फिर कहीं और. एंजेल ने बताया कि लोग जब अपने आइकॉन को वैसी चीजें पहनते हुए देखते है तो उसे फॉलो करते हैं. इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा लोगों तक कोई भी ट्रेंड पहुंचता है.
20 साल का साइकिल होता है फैशन ट्रेंड का
आशीष सत्यव्रत साहू ने यह भी जानकारी दी कि फैशन का ट्रेंड एक साइकिल है. उन्होंने कहा कि कोई भी ट्रेंड जो आज चल रहा है वो 20 साल बाद फिर चलेगा यानी उसकी वापसी होगी. इस 20 साल के ट्रेंड को सेट करने के लिए बड़े ब्रांडस WGNS पर नजर बनाए रखते हैं, लेकिन भारत में ज्यादा ट्रेंड सेट करता है यहां का बॉलीवुड और टीवी सीरियल. देश में ट्रेंड सेट करने में इनका बड़ा योगदान रहता है. साथ ही उन्होंने बताया कि फोरकास्ट में यह भी तय किया जाता है कि इस बार का फैशन कलर क्या रहने वाला है. उन्होंने कहा कि हमारे जोहार ग्राम द्वारा बनाए गए कपड़ों को पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने भी पहना है. साथ ही उन्होंने कहा कि विदेश में भी कुछ लोगों को हमने यहां बने कपड़े भेजे है लेकिन अभी बड़े पैमाने पर इसका प्रसार नहीं हो पाया है.
‘झारखंड के फिल्म इंडस्ट्री का करना होगा उत्थान’
वहीं, झारखंड की यूथ आइकॉन ऐंजल लकड़ा ने कहा कि बॉलीवुड की तरह झारखंड के फिल्मी इंडस्ट्री को उतना तवज्जो नहीं मिलता है. जिसकी वजह से भी झारखंड की संस्कृति (Jharkhand culture) का नेशनल लेवल पर ट्रेंड नहीं बन पाता है. झारखंड में कई कहानियां है जिसपर फिल्में बन सकती है. बाकि राज्यों पर जब फिल्म बनती हैं तो वहां के लोकल ट्रेडिशन को दिखाने वाले फैशन डिजाइन का इस्तेमाल होता है. वहां के परिधान पहने लोग नजर आते हैं लेकिन, झारखंड में ऐसा नहीं है. ऐसे में जब तक इस ओर सरकार और अन्य लोगों की नजर नहीं पड़ती और इसे प्राथमिकता नहीं मिलती तब तक झारखंडी ड्रेस आपको नेशनल लेवल पर नहीं दिखेंगे.
किस उम्र के लोग सबसे ज्यादा इस ट्रेंड को अपनाते हैं?
अब सवाल यह भी आता है कि आखिर ये ट्रेंड किस उम्र के लोग सबसे ज्यादा अपनाते है. यूं तो कहा जाता है कि 18 से 30 साल तक लोग किसी भी ट्रेंड की ओर जल्दी आकर्षित होते है और उसे अपनाते हैं, लेकिन क्या ये तथ्य पूरी तरह सच है? इसपर आइकॉन एंजेल मेरीना तिर्की ने कहा कि ऐसा नहीं है. हालांकि, उन्होंने इस बात से गुरेज नहीं किया कि 18 से 23 साल तक के लोग सबसे ज्यादा ट्रेंड को फॉलो करते है. वहीं, 24 से 29 और 30-35 साल के उपभोक्ताओं पर भी फैशन ट्रेंड का सकारात्मक असर पड़ता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि फैशन किसी उम्र की सीमा में बंधा नहीं होता है. हर उम्र के लोग को लेटेस्ट ट्रेंड पसंद आता है और कई बुजुर्ग भी उसे फॉलो करते है और सामाजिक जीवन में उसे अपनाते हैं.