प्रभात सिन्हा
हमारे देश की आजादी के गौरवशाली 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं. पिछले 75 वर्षों में विभिन्न विधाओं, दिशाओं और क्षेत्रों में समुचित विकास प्राप्त कर हमारा देश विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है. अप्रतिम विकास वाले प्रमुख क्षेत्रों में से सूचना प्रौद्योगिकी व तकनीक में विकास उल्लेखनीय है. तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के बल पर, वर्ष 2022 में भारत पूंजी निवेश के मामले में अमेरिका और चीन के बाद पूरे विश्व में तीसरे स्थान पर रहा. हमारे देश का स्टार्टअप तंत्र 60000 से अधिक स्टार्टअप के साथ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप तंत्र हो गया है. यही वजह है कि आजादी के अमृतकाल में भारत में तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के क्रमागत उन्नति का वर्णन प्रासंगिक हो जाता है.
शुरुआती दौर और महत्वपूर्ण घटनाएं
1965 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में अप्रवासन कानूनों के संशोधन से भारतीय पेशेवरों का अमेरिका में अनुसंधान के लिए पलायन आसान हो गया था. अमेरिका में आइटी क्रांति और 80 और 90 के दशक के दौरान बहुप्रतीक्षित सिलिकॉन वैली की सफलता में अप्रवासी भारतियों ने अहम भूमिका निभायी. संयुक्त राज्य अमेरिका में तेजी से बढ़ते तकनीक क्षेत्र के कारण, बाहर के आइटी पेशेवरों की मांग बढ़ने लगी थी. भारत में शिक्षित, अंग्रेजी बोलने वाले तकनीकी रूप से मजबूत लोगों की एक बड़ी आबादी थी, इसलिए हमारे देश में आइटी आउटसोर्सिंग में निरंतर बढ़ोतरी होती गयी.
भारत में आइटी उद्योग की विधिवत शुरुआत मुंबई में वर्ष 1967 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की स्थापना के साथ हुई. टीसीएस ने सॉफ्टवेयर सेवाओं की शुरुआत टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए पंच कार्ड सुविधाएं विकसित करने से किया. वर्ष 1973 में मुंबई में पहला सॉफ्टवेयर निर्यात क्षेत्र ‘सांताक्रूज इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग यूनिट’ (सीप्ज) की स्थापना की गयी. टीसीएस ने 1977 में प्रसिद्ध अमेरिकन व्यावसायिक उपकरण निर्माता कंपनी बरोज कॉर्पोरेशन के साथ भागीदारी कर भारत से आइटी सेवाओं का निर्यात शुरू किया. 1980 के दशक में देश का 80 प्रतिशत से अधिक सॉफ्टवेयर निर्यात सीप्ज से ही हुआ था.
अजीम प्रेमजी वर्ष 1966 में प्रसिद्ध संस्था विप्रो के अध्यक्ष बने और कुछ वर्षों बाद ही उन्होंने ध्यान आइटी सेवा पर केंद्रित कर दिया. पटनी कंप्यूटर सिस्टम्स ने 1972 में कंपनी की स्थापना के बाद से सॉफ्टवेयर निर्माण और आइटी सर्विस प्रदान करना शुरू किया. उस समय इसका नाम डेटा कन्वर्शन इंक था. 1981 में नारायण मूर्ति और उनके सहयोगियों ने गुणवत्तापूर्ण सॉफ्टवेयर सेवा प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध संस्था इनफोसिस की स्थापना की.
अत्याधुनिक दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकसित करने और भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की जरूरतों को पूरा करने के लिए अगस्त 1984 में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डीओटी) की स्थापना की गयी थी. 80 के दशक के मध्य में कंप्यूटर, एयरलाइंस, रक्षा और दूरसंचार पर आयात कोटा कर और टैरिफ को कम करने से देश में तेज तकनीकीकरण को बढ़ावा मिला था. उसी समय कम्प्यूटरीकृत रेलवे टिकटों की शुरुआत के बाद भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की नींव पड़ी थी.
उदारीकरण के बाद की महत्वपूर्ण घटनाएं
निजी व्यवसाय क्षेत्र में सरकार के नियंत्रण के कारण भारतीय तकनीक व्यवसाय क्षेत्र वर्ष 1991 तक कुछ खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया था. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा पहला बहुआयामी आइटी सुधार ‘सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया’ (एसटीपीआइ) नामक निगम का निर्माण था. एसटीपीआइ ने संबद्ध संस्थाओं को वीसैट संचार प्रदान करना शुरू किया. साथ ही एसटीपीआइ ने विभिन्न शहरों में सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित किये, जहां से संस्थाओं को उपग्रह लिंक मिलना संभव हो पाया. 1993 में सरकार ने कंपनियों को विशेष लिंक का अनुमति प्रदान किया, जिससे देश में किये गये कार्य सीधे विदेशों में प्रसारित हो पाये.
आम जनता के लिए इंटरनेट 15 अगस्त 1995 को वीएसएनएल के द्वारा उपलब्ध कराया जाना भी देश में तकनीक के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ. वर्ष 1995 में ही माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत कर आम उपभोक्ता के लिए कंप्यूटर का उपयोग सुगम बना दिया. अगले वर्ष 1996 में रेडिफ ने मुंबई में भारत का पहला साइबर कैफे खोला. आइसीआइसीआइ बैंक ने वर्ष 1997 में ऑनलाइन बैंकिंग की शुरुआत की. वर्ष 1998 में देश के सूचना प्रौद्योगिकी और बीपीओ उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) की स्थापना की गयी, जिससे निजी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को अनुमति मिली.
वर्ष 1999 में रेलवे आरक्षण प्रणाली को देश भर में जोड़ा गया था. वर्ष 2000 में तकनीकी विकास के लिए ऐतिहासिक वर्ष रहा, इसी वर्ष केबल इंटरनेट, याहू, इबे और एमएसएन जैसी साइटों की शुरुआत हुई. वर्ष 2002 में एयरलाइंस के ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम की शुरुआत हुई. प्रसिद्ध कंपनी गूगल ने 2004 में भारत में अपना कार्यालय खोला. बीएसएनएल ने वर्ष 2004 में ही ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू कीं. 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम 2009 में 3जी तथा 2010 में वाइमैक्स की नीलामी हुई थी. 2012 में भारती एयरटेल डोंगल-आधारित 4जी सेवाओं की पेशकश करने वाला पहला ऑपरेटर बना. 2016 में रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाइफाइ सेवाएं उपलब्ध करायी गयीं.
वर्ष 2019 में देश में कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 500 मिलियन से ज्यादा हो गयी. वर्ष 2020 में कोविड लॉकडाउन में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 749 मिलियन तक पहुंच गयी. एड-टेक और ओटीटी जैसी नयी तकनीक आधारित सेवाओं की शुरुआत हुई. वर्ष 2023 में देश वायरलेस तकनीक की अगली पीढ़ी 6जी के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी कर रहा है.
उल्लेखनीय सरकारी नीतियां
नयी दूरसंचार नीति, 1999 (एनटीपी, 1999) से बुनियादी ढांचे की उपलब्धता सुलभ हो गयी. उपग्रह, टावर और अन्य दूरसंचार संबंधी व्यवसाय में निजी क्षेत्र के प्रवेश की अनुमति से दूरसंचार क्षेत्र में तेज विकास संभव हो पाया. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ने इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों, डिजिटल हस्ताक्षरों को कानूनी मान्यता प्रदान की और अपराधों और उल्लंघनों के लिए कानून बनाये. आज हमारा देश फिनटेक का अग्रदूत बन कर उभरा है. देश में फिनटेक का नींव 2009 में दो संस्थाओं, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और यूनिक आइडेंटिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के स्थापना के साथ रखा गया.
वर्ष 2010 में देशवासियों के लिए विशिष्ट पहचान पत्र की शुरुआत हुई. 2012 में यूआइडीएआइ ने इकेवाइसी की सुविधा देकर व्यवसायियों के लिए उपभोक्ता की जांच करना सुगम बना दिया. 2015 में सीसीआइ ने इ-साइन एपीआइ लाकर आधार धारकों के लिए डिजिटल हस्ताक्षर का सुविधा प्रदान किया. इसी क्रम में एनपीसीआइ के द्वारा 2016 में दुनिया के सर्वोत्कृष्ट डिजिटल जन भुगतान प्रणाली यूपीआइ की शुरुआत की, जो क्रांतिकारी कदम साबित हुआ. उसी वर्ष इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय इ-प्रशासन प्रशाखा (NeGD) ने डिजीलॉकर की सेवाएं भी आम जनता को उपलब्ध कराकर दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों का डिजिटल सत्यापन त्वरित और प्रभावी तरीके से सुनिश्चित किया.
उपलब्धियां और संभावनाएं
कुल मिलाकर हमने आजादी के बाद के 75 वर्षों में तकनीकी क्षेत्र में शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है. आज भारत आइटी का सबसे बड़ा निर्यातक बन कर उभरा है. आज विश्व के सफलतम कंपनियों के मुख्य कार्यकारी भारतीय मूल के नागरिक हैं. भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आइटी क्षेत्र का योगदान 1998 के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 10 प्रतिशत हो गया. वर्ष 2025 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के 1 ट्रिलियन अमेरिकन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
यही नहीं, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवा (इएमएस) उद्योग के 23.5 बिलियन डॉलर से 6.5 गुना बढ़कर 2025 तक 152 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भारत की हिस्सेदारी 2012 में 1.3 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 3.6 प्रतिशत हो गयी है. नैसकॉम और मैकिन्से की रिपोर्ट के अनुसार, उभरती प्रौद्योगिकियों में व्यावसायिक क्षमता का फायदा उठाकर भारत का प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग 2025 तक वार्षिक राजस्व में 300 बिलियन से ऊपर पहुंच सकता है.
(लेखक स्तंभकार, अमेजन बेस्टसेलर लेखक एवं इंटेल्लिजेंज आइटी के सह संस्थापक हैं.)