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New Technology : ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस ने लकवाग्रस्त लोगों को ‘आवाज’ देने की जगाई उम्मीद, जानें क्या है तकनीक

brain machine interface - वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो लकवाग्रस्त लोगों के मस्तिष्क के संकेतों को पहले की तुलना में तेज गति से शब्दों में बदल सकता है. 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित हालिया अध्ययन से ऐसा पता चला है.

Brain Computer Interface : वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो लकवाग्रस्त लोगों के मस्तिष्क के संकेतों को पहले की तुलना में तेज गति से शब्दों में बदल सकता है. यह गंभीर रूप से लकवाग्रस्त लोगों के बीच संचार बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

‘ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस’ का कमाल

शोधकर्ताओं ने कहा कि ‘ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस’ (बीसीआई) मस्तिष्क की गतिविधि को तेजी से और अधिक सटीक रूप से शब्दों में बदलने तथा मौजूदा तकनीकों की तुलना में व्यापक शब्दावली को शामिल करने में सक्षम है.

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जिन्हें बोलने में होती है दिक्कत

मस्तिष्क आघात या ‘एमियोट्रॉफिक लैटरल स्क्लेरोसिस’ सहित मस्तिष्क विकारों वाले लोगों को अक्सर मांसपेशियों के पक्षाघात के कारण बोलने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

मस्तिष्क गतिविधियों को शब्दों में बदलना संभव

पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि लकवा पीड़ित व्यक्ति की मस्तिष्क गतिविधियों को शब्दों में बदलना संभव है, लेकिन केवल लिखित रूप में और सीमित गति, सटीकता और शब्दावली के साथ ऐसा किया जा सकता है.

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कैसे काम करती है तकनीक?

‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हालिया अध्ययन से पता चला है कि ‘बीसीआई’ जो मस्तिष्क में डाले गए बारीक इलेक्ट्रोड की एक श्रृंखला के जरिये एकल कोशिकाओं की तंत्रिका गतिविधि को एकत्र करता है, और इसे स्वरों में बदलने के लिए एक कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क को प्रशिक्षित करता है.

संवाद करने में सक्षम

इस उपकरण की मदद से, ‘एमियोट्रॉफिक लैटरल स्क्लेरोसिस’ से पीड़ित एक मरीज औसतन 62 शब्द प्रति मिनट की दर से संवाद करने में सक्षम हुआ, जो इसी तरह के उपकरण के पिछले रिकॉर्ड से 3.4 गुना तेज है. बीसीआई ने 50 शब्दों की शब्दावली पर 9.1 प्रतिशत शब्द त्रुटि दर हासिल की, जो 2021 से पिछले अत्याधुनिक बीसीआई की तुलना में 2.7 गुना कम त्रुटियां हैं. (इनपुट भाषा से साभार)

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