जयपुर : भारत में पर्यावरण प्रदूषण और पारंपरिक ईंधन गैसोलीन (पेट्रोल-डीजल) से चलने वाले वाहनों को कम करने के लिए बैटरीचालित इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर की वाहन निर्माता कंपनियां भी पारंपरिक ईंधन से चलने वाली दोपहिया-तिपहिया, कार, बाइक, स्कूटी, बस आदि तो बना ही रही हैं, लेकिन उनका फोकस भी इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के निर्माण पर है. सबसे बड़ी बात यह है कि ऑटोमोबाइल कंपनियां प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण कर तो रही हैं, लेकिन ग्राहकों द्वारा खरीदने के बाद उन गाड़ियों की बैटरी को चार्ज करने की बड़ी समस्या पैदा हो गई है. क्योंकि, देश में चार्जिंग स्टेशनों की भारी कमी है. इस बीच खबर यह है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में सौर ऊर्जा से चलने वाले भारत के पहले बैटरी स्वैपिंग स्टेशन की शुरुआत की गई है.
हरित शहर में बदलेगा भारत का गुलाबी शहर
एचटी ऑटो की एक रिपोर्ट के अनुसार, फाइनेंस नेटवर्क टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप ने बुधवार को घोषणा की कि उसने जयपुर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित बैटरी स्वैपिंग स्टेशन की शुरुआत की है. यह स्टेशन बेनीवाल कांटा, चुंगी सर्कल, रामगढ़ मोड़, जयपुर में स्थित है. कंपनी की ओर से इस बैटरी स्वैपिंग स्टेशन की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की गई है. उसका कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट का लक्ष्य प्रतीकात्मक रूप से गुलाबी शहर को हरित शहर में बदलना है. इसका लक्ष्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता के बिना बैटरी चार्जिंग को सक्षम करना है.
140 किलोवाट की बैटरी होगी चार्ज
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैटरी स्वैपिंग स्टेशन को उन्नत सौर तकनीक से सुसज्जित किया गया है, जो इसे सूर्य द्वारा प्रदान की गई ऊर्जा का इस्तेमाल करने और सौर-उत्पन्न ऊर्जा को चार्जिंग कैबिनेट में निर्देशित करने के लिए चार्जिंग ग्रिड के साथ सिंक्रनाइज़ करने में सक्षम बनाता है. जयपुर का बैटरी स्वैपिंग स्टेशन 140 kWh बैटरी चार्ज करने में सक्षम है, जो स्टेशन की कुल ऊर्जा जरूरतों का 20 फीसदी कवर करता है.
बिजली कटौती के दौरान होगी पावर सप्लाई
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सौर ऊर्जा से चलने वाली प्रणाली कुछ क्षेत्रों में ग्रिड स्थिरता के मुद्दों में भी सहयोग करेगी, क्योंकि यह बिजली कटौती के दौरान निर्बाध बिजली की जरूरतों के साथ-साथ स्थिर और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति को भी पूरा करेगी. इस पहल का उद्देश्य ईवी की स्थिरता को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रिक गतिशीलता में तेजी लाना भी है. इसके अलावा, सौर ऊर्जा संयंत्र पारंपरिक बैटरी चार्जिंग विधियों द्वारा उत्पादित अतिरिक्त CO2 उत्सर्जन को कम करेगा.
जयपुर में खुलेंगे 30 और स्टेशन
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘चार्जअप’ ने इस पहल को जयपुर के 30 और स्टेशनों तक विस्तारित करने की योजना बनाई है, जिसमें शहर के 80 फीसदी क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा. इसके बाद के चरणों में, इस मॉडल को अन्य शहरों में विशेषकर टियर-2 स्थानों में स्थापित करने की योजना है. विकेंद्रीकृत सौर माइक्रोग्रिड में निवेश करके कंपनी का लक्ष्य अपने 30 फीसदी से 40 फीसदी स्टेशनों को सौर ऊर्जा से बिजली देना है.
कई अन्य कंपनियों की भी टिकी हुई है नजर
हालांकि, इस क्षेत्र के कई कंपनियां इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर कदम बढ़ाने के लिए बैटरी स्वैपिंग मॉडल पर बड़ा दांव लगा रही हैं. इसे ईवी चार्जिंग स्टेशनों के अधिक टिकाऊ विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. यह मॉडल CO2 उत्सर्जन को कम करने के मामले में सौर ऊर्जा से चलने वाला बैटरी स्वैपिंग मॉडल और भी अधिक कुशल लगता है.
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दुनिया में ईवी का सबसे बड़ा उत्पादक बन सकता है भारत
बताते चलें कि केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 25 मार्च 2023 को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में दावा किया था कि भारत बहुत जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में दुनिया का नंबर-1 देश बन सकता है. उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बन सकता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर में खोजे गए लिथियम भंडार का उपयोग करके भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में तेजी से आगे निकल सकता है. उन्होंने सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों की आवश्यकता पर भी बल दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन का भविष्य हैं.
लिथियम का सबसे बड़ा तीसरा उत्पादक भारत
इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरी को बनाने के लिए बड़े स्तर पर लिथियम का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा, बैटरी से चलने वाले अन्य उपकरणों जैसे मोबाइल, स्मार्टवॉच, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा आदि में भी लिथियम का इस्तेमाल होता है. ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात करें, तो चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया में वाहनों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. लिथियम महत्वपूर्ण संसाधन श्रेणी में आता है. फिलहाल, हम इसके 100 फीसदी आयात पर निर्भर हैं. हालांकि, भंडार के मिलने से अब भारत के लिए परिस्थितियां बदल सकती हैं.
लिथियम क्या है
लिथियम परमाणु संख्या 3 के साथ एक तत्व, विमान और बैटरी के निर्माण में उपयोग किया जाता है. इसका उपयोग द्विध्रुवी विकार जैसी मानसिक बीमारियों के उपचार के लिए दवाओं में भी किया जाता है. यह इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी में भी एक प्रमुख घटक है. लिथियम जमा भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलाव के लिए भारत की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम का उपयोग इसकी बैटरी बनाने में किया जाता है. हालांकि, अभी तक भारत में बनने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों में जो बैटरियां लगाई जा रही हैं, उनमें दूसरे देशों से आयातित लिथियम का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे इन वाहनों की कीमतें काफी अधिक हैं. घरेलू स्तर पर लिथियम का खनन और उत्पादन होने के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी आने के आसार दिखाई दे रहे हैं.