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डीजल वाहनों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त GST से क्या प्रभाव पड़ेगा?

डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स 10% है, तो परिवहन लागत में लगभग 5% की वृद्धि हो सकती है. इससे माल और सेवाओं की कीमतों में लगभग 2.5% की वृद्धि हो सकती है. यह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक आर्थिक बोझ होगा.

केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को सियाम के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि डीजल वाहन अन्य वाहनों की तुलना में ज्यादा प्रदूषण करते हैं ऐसे में डीजल वाहनों की संख्या कम होनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं वित्त मंत्री को सिफारिश करुंगा कि डीजल ज्यादा प्रदूषण कर रहा है. इसके ऊपर 10 फीसदी टैक्स अतिरिक्त लगाना चाहिए. परिवहन मंत्री की इस बात को एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, आइए जानते हैं कि अगर डीजल वाहनों पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त जीएसटी लगाया गया तो प्रभाव होगा.

परिवहन लागत में वृद्धि  

डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगने से डीजल की कीमत बढ़ जाएगी. इससे परिवहन लागत में वृद्धि होगी, जिससे माल और सेवाओं की कीमतें भी बढ़ जाएंगी. इसकी वजह यह है कि डीजल का उपयोग परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण ईंधन है. उदाहरण के लिए, यदि डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स 10% है, तो डीजल की कीमत 10% बढ़ जाएगी. इससे माल और सेवाओं की कीमतों में लगभग 5% की वृद्धि हो सकती है. यह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक आर्थिक बोझ होगा.

प्रदूषण में वृद्धि  

नितिन गडकरी ने कहा, डीजल वाहन पेट्रोल वाहनों की तुलना में अधिक प्रदूषण करते हैं. डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगने से लोगों को डीजल वाहनों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी. हालांकि, यह भी संभव है कि लोग अधिक पुराने और कम कुशल डीजल वाहनों को खरीदने का विकल्प चुनें, जिससे प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है.

डीजल वाहनों के प्रदूषण में वृद्धि के कई कारण हैं

  • डीजल इंजन पेट्रोल इंजनों की तुलना में अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जित करते हैं. ये गैसें श्वसन संबंधी बीमारियों और हृदय रोग के लिए जिम्मेदार होती हैं.

  • डीजल इंजन पेट्रोल इंजनों की तुलना में अधिक पार्टिकुलेट मैटर (PM) उत्सर्जित करते हैं. PM हवा में धूल और धुआं होता है. ये फेफड़ों में जमा हो सकते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं.

अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव

  • डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगने से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इससे परिवहन लागत में वृद्धि होगी, जिससे माल और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाएंगी. इससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है.

  • उदाहरण के लिए, यदि डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स 10% है, तो परिवहन लागत में लगभग 5% की वृद्धि हो सकती है. इससे माल और सेवाओं की कीमतों में लगभग 2.5% की वृद्धि हो सकती है. यह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक आर्थिक बोझ होगा, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है.

सामाजिक न्याय का मुद्दा

  • डीजल वाहन आमतौर पर कम आय वाले लोगों द्वारा उपयोग किए जाते हैं. इन लोगों के लिए अतिरिक्त टैक्स का बोझ उठाना मुश्किल होगा. इससे उनकी जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

  • उदाहरण के लिए, एक कम आय वाला व्यक्ति जो डीजल वाहन का उपयोग करके काम करता है, उसे अतिरिक्त टैक्स के कारण अपने खर्चों को कम करना पड़ सकता है. इससे उसकी जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने से होने वाले नुकसानों को कम करने के लिए, सरकार को उचित उपाय करने चाहिए. इन उपायों में शामिल हो सकते हैं:

  • प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर सब्सिडी: सरकार डीजल वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर सब्सिडी प्रदान कर सकती है. इससे डीजल वाहनों के मालिकों के लिए इन उपायों को अपनाना सस्ता हो जाएगा.

  • कम आय वाले लोगों के लिए राहत: सरकार डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स से कम आय वाले लोगों को राहत प्रदान कर सकती है. उदाहरण के लिए, सरकार डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स में छूट या सब्सिडी प्रदान कर सकती है.

  • इन उपायों से डीजल वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है.

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