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Zoom App Ban: प्राइवेसी में दखल का आरोप, क्या भारत में भी बैन होगा ज़ूम ऐप?

Zoom App News - Letter Petition to CJI for Ban on Video Conferencing App: जूम ऐप का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है. बताया जा रहा है कि इस ऐप के जरिये पर्सनल डाटा आसानी से चोरी किया जा सकता है. वीडियो कॉलिंग भी हैक की जा सकती है. इन्हीं वजहों से जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप को भारत में बैन करने की मांग उठने लगी है.

Zoom App News – Letter Petition to CJI for Ban on Video Conferencing App: कोरोना संकट की वजह से भारत में लॉकडाउन चल रहा है. इस दौरान लोग एक दूसरे से जुड़ने के लिए जूम वीडियो कॉलिंग ऐप (Zoom App) का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई सरकारी और कॉर्पोरेट कार्यालयों में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए इस ऐप का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है.

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बता दें कि यह एक फ्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप है. इसके जरिये यूजर एक बार में 100 लोगों तक से बात कर सकता है. लेकिन, अब यह खबरें सामने आ रही हैं कि इसका इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है. बताया जा रहा है कि इस ऐप के जरिये पर्सनल डाटा आसानी से चोरी किया जा सकता है. वीडियो कॉलिंग भी हैक की जा सकती है.

इन्हीं वजहों से जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप को भारत में बैन करने की मांग उठने लगी है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक लेटर पिटीशन भी भेजा गया है. जूम ऐप डाउनलोड और इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग करनेवाले इस पिटीशन में यह कहा गया है कि यह ऐप निजता के अधिकार की धज्जियां उड़ा रहा है.

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यह पिटीशन गुरुवार को गृह मंत्रालय द्वारा जारी उस एडवाइजरी के आलोक में डाला गया है, जिसमें जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप के इस्तेमाल को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है. इसके जरिये सरकसर ने चेताया है कि यह ऐप सुरक्षित नहीं है.

गाइडलाइन की मदद से किसी गैर अधिकृत व्यक्ति का कॉन्फ्रेंस में हस्तक्षेप और अवांछित गतिविधि को रोका जा सकेगा. गाइडलान का पालन किया जाए तो उपयोगकर्ताओं के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति उनकी गतिविधि को प्रभावित नहीं कर सकता है. पासवर्ड और यूजर एक्सेस के जरिये डीओएस अटैक को भी रोका जा सकता है.

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गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक ज्यादातर सेटिंग लॉगिन करके की जा सकती है या फिर अपने लैपटॉप अथवा फोन में एप्लीकेशन डाउनलोड करके की जा सकती है. कांफ्रेंस के दौरान भी यह बदलाव किये जा सकते हैं. हालांकि कुछ सेटिंग एक खास चैनल पर ही की जा सकती है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि जूम ऐप एंड टू एंड एनक्रिप्टेड नहीं है. एंड टू एंड एनक्रिप्टेड का मतलब यह है कि इसमें मैसेज भेजने वाला और पाने वाला ही मैसेज पढ़ सकता है. जूम में ऐसा नहीं है. इसे आसानी से हैक किया जा सकता है. यानी तीसरा शख्स भी आसानी से मैसेज पढ़ सकता है.

जूम ऐप को लेकर वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इसमें पाया गया कि इस ऐप से वीडियो कॉलिंग और मीटिंग के बहुत सारे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं. हैरानी की बात यह है कि ये वीडियो ऐप यूजर्स ने ही नहीं डाले, तो ये लीक कैसे हुए! सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की मानें, तो ऐसे बहुत सारे टूल्स हैं, जिससे इंटरनेट पर जूम वीडियो ढूंढकर लाया जा सकता है.

आपको बताते चलें कि जूम ऐप जर्मनी, ताइवान और सिंगापुर सहित कई देशों में बैन किया जा चुका है. गृह मंत्रालय की ताजा गाइडलाइन के बाद भारत में भी अब सरकारी कामकाज के लिए इस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल में नहीं लाया जाएगा.

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