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Google Ads: लोकसभा चुनाव के लिए तेज हुई राजनीतिक लड़ाई, लेकिन नतीजों से पहले जीत गई गूगल

Google Ads: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक लड़ाई तेज हो गई है. इस बार के आम चुनावों के लिए सात चरणों में वोटिंग 19 अप्रैल से शुरू है. इससे पहले गूगल ने अपनी ऐडवर्टाइजिंग ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट जारी कर बताया है कि राजनीति में उसकी जरूरत कितनी बढ़ गई है.

Google Ads: लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मतदान प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. हर पार्टी ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा चुकी है. इसमें विज्ञापनों की बड़ी जगह है. ‘मोदी की गारंटी’ और ‘हाथ बदलेगा हालात’ जैसे नारों से अखबार और टीवी ही नहीं, नये जमाने का डिजिटल मीडिया भी पट गया है. अब चार जून को चुनावी नतीजे चाहे जो भी आयें, लेकिन चुनावी विज्ञापनों से कमाई के मामले में गूगल बाजी मार ले गया है. गूगल के अपने ऐडवर्टाइजिंग ट्रांसपेरेंसी डेटा के अनुसार, 1 जनवरी से 16 अप्रैल, 2024 के बीच 135 करोड़ रुपये की कमाई कर कंपनी स्पष्ट विजेता बनकर उभरी है.

BJP – DAVP सबसे आगे

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा गूगल ऐड्स में 45.1 करोड़ रुपये के भारी-भरकम निवेश के साथ सबसे आगे है. इसके बाद भारत सरकार का डीएवीपी-विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय का स्थान है, जिसने गूगल को विज्ञापनों के लिए 32.3 करोड़ रुपये दिये हैं. डीएवीपी के अधिकांश विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फीचर किया गया और ये विज्ञापन विभिन्न भाषाओं में चलाये गए. एक्सचेंज फॉर मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले, भाजपा और डीएवीपी के विज्ञापन खर्च का एक बड़ा हिस्सा जनवरी से 15 मार्च के बीच खर्च किया गया था.

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कांग्रेस चौथे नंबर पर

देश की संसद में मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 10.4 करोड़ रुपये के खर्च के साथ गूगल को विज्ञापन देने वालों में चौथे स्थान पर है. पार्टी के अधिकांश विज्ञापनों में सांसद राहुल गांधी और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को स्थान दिया गया. बताते चलें कि कथित तौर पर नीति उल्लंघनों की वजह से गूगल ने कांग्रेस के कई विज्ञापनों को अपने प्लैटफॉर्म से हटा भी दिया था.

राजनीतिक परामर्श समूह भी पीछे नहीं

चेन्नई स्थित पॉपुलस एम्पावरमेंट नेटवर्क (PEN) और मुंबई स्थित आई-पैक (I-PAC) जैसे राजनीतिक परामर्श समूह भी गूगल के खजाने में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ मिलकर काम करनेवाले और कथित तौर पर स्टालिन के दामाद वी सबरीसन के स्वामित्व वाले PEN ने 2024 में 14.4 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.

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गूगल का खजाना इन्होंने भी भरा

वहीं, प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित देश का पहला और सबसे बड़ा क्रॉस-पार्टी राजनीतिक परामर्श समूह I-PAC गूगल के विज्ञापनों पर 7.5 करोड़ रुपये खर्च कर इस सूची में जगह बनाने में कामयाब रहा. दूसरी ओर, ओडिशा सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल जैसी अन्य संस्थाएं भी तुलनात्मक रूप से छोटे बजट के बावजूद, गूगल ऐड्स के मामले में बड़ी विज्ञापनदाता रहीं.

राजनीति में बढ़ी गूगल की भूमिका

गूगल ऐड्स पर खर्च करने की राजनीतिक दलों की यह प्रवृत्ति चुनाव अभियानों में तकनीकी प्लैटफाॅर्म्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है. राजनीतिक दल के नेताओं की मानें, तो बड़ी पहुंच और सटीक लक्ष्य को साधने की क्षमताओं के साथ, गूगल जैसे प्लैटफॉर्म राजनीतिक दलों और संगठनों को बड़े पैमाने पर मतदाताओं से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं.

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ऑनलाइन आउटरीच स्ट्रैटेजी का बढ़ता महत्व

गूगल ऐड्स में पर्याप्त निवेश जनता की राय को आकार देने और चुनावी जीत हासिल करने में ऑनलाइन आउटरीच स्ट्रैटेजीज के बढ़ते महत्व को दर्शा रहा है. इस डिजिटल युग में, जहां सूचना प्रकाश की गति से चलती है, ऑनलाइन प्रचार की कला में महारत हासिल करना निर्णायक फैक्टर साबित हो सकता है.

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