Online Medicine: केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर नीति बनाने के लिए इस आधार पर कुछ समय देने का आग्रह किया है कि यह मुद्दा जटिल है और दवाओं की बिक्री के तरीके में किसी भी संशोधन के दूरगामी परिणाम होंगे. उच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को नीति तैयार करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में चार महीने का समय दिया है.
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि सुनवाई की अगली तारीख से पहले मसौदा नीति तैयार नहीं होती है, तो अदालत के पास मामले को आगे बढ़ाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा.
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उच्च न्यायालय ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और दवाओं तथा सौंदर्य प्रसाधन नियमों में और संशोधन करने के लिए मंत्रालय द्वारा प्रकाशित मसौदा नियमों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तारीख तय की है. उच्च न्यायालय ने पहले केंद्र से याचिकाओं पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
भारत में ई-फार्मेसी को लेकर अभी तक कोई कानून नहीं है. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट-1940, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल 1945 और फार्मेसी एक्ट 1948 ही भारतीय दवा कानूनों को नियंत्रित करते हैं. ये कानून पुराने समय से चलते आ रहे हैं, ऐसे में ये दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर लागू नहीं होते हैं. किसी तरह का कानून लागू के अभाव में रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंड्रस्टी (FICCI) ई-फार्मेसी सेक्टर के लिए सेल्फ रेगुलेशन कोड ऑफ कंडक्ट लेकर आया. इसके मुताबिक, शेड्यूल एक्स के अंतर्गत आने और लत लगाने वाली दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को प्रतिबंधित किया गया.