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ओडिशा में 1,000 करोड़ के क्रिप्टो-पोंजी घोटाले में धनबाद के निरसा से एक गिरफ्तार

ओडिशा के 1,000 से अधिक लोगों को निरोद ने पोंजी योजनाओं में निवेश करने का लालच दिया. जालसाजों ने भद्रक, बालेश्वर, भुवनेश्वर, मयूरभंज, जाजपुर, केंद्रपाड़ा और क्योंझर जिलों में पीड़ितों से योजना के माध्यम से 30 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की.

ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्ल्यू) ने 1,000 करोड़ रुपये के एसटीए टोकन क्रिप्टो-पोंजी घोटाले में मुख्य आरोपी के करीबी सहयोगियों में से एक को गिरफ्तार किया है. इओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बुधवार को झारखंड के धनबाद जिले के निरसा थाना क्षेत्र से सुशील कुमार टुडू को गिरफ्तार किया. आरोपी को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर ओडिशा लाया गया है और शुक्रवार को कटक में ओपीआइडी कोर्ट में पेश किया गया. इससे पहले इओडब्ल्यू ने संस्था के इंडिया हेड गुरतेज सिद्धू समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि हंगरी के नागरिक डेविड गीज समेत चार अन्य के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया. सुशील कुमार संदिग्ध कंपनी एसटीए (सोलर टेक्नो एलायंस) के संस्थापक सदस्य और झारखंड प्रमुख हैं, जिसे सितंबर 2021 में लॉन्च किया गया था. पिरामिड संरचना और मल्टी लेवल मार्केटिंग पर संचालित कंपनी ने ओडिशा सहित देश के कई राज्यों में लाखों लोगों को अपनी क्रिप्टोकरेंसी-आधारित पोंजी योजनाओं में आकर्षक रिटर्न का वादा करके निवेश करने के लिए प्रेरित करके 1,000 करोड़ रुपये एकत्र किये. आरोपी सुशील कुमार मुख्य आरोपी और एसटीए के भारत प्रमुख गुरतेज सिंह का तत्काल डाउन लाइन सदस्य है और ओडिशा के राज्य प्रमुख निरोद कुमार दास का तत्काल अप लाइन सदस्य है.

सोशल मीडिया पर सुशील से मिला निरोद

निरोद पहली बार सोशल मीडिया साइट पर सुशील से मिला, जिसने उसे एसटीए की क्रिप्टो-पोंजी योजनाओं में निवेश करने के लिए राजी किया. बाद में निरोद ने ओडिशा के 1,000 से अधिक लोगों को पोंजी योजनाओं में निवेश करने का लालच दिया. जालसाजों ने राज्य के भद्रक, बालेश्वर, भुवनेश्वर, मयूरभंज, जाजपुर, केंद्रपाड़ा और क्योंझर जिलों में पीड़ितों से योजना के माध्यम से 30 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की.

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एक दिन में कमाता था 80 हजार रुपए

इओडब्ल्यू सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान हमने पाया कि संस्थापक सदस्य होने के नाते सुशील कुमार ने ओडिशा और झारखंड के विभिन्न जिलों में हजारों डाउन लाइन सदस्यों को अपने अधीन कर लिया. उसने डाउन लाइन के सदस्यों से अवैध रूप से एकत्र की गयी राशि में से चार करोड़ रुपये से अधिक अर्जित किये हैं. वह प्रति दिन 80,000 रुपये कमाता था. इओडब्ल्यू के अधिकारियों ने यह भी पता लगाया कि सुशील कुमार धोखाधड़ी की रकम का उपयोग करके बड़ी संपत्ति हासिल करने में कामयाब रहा था.

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