Aligarh : जिले में वन विभाग द्वारा हेरिटेज पेड़ों के संरक्षण का काम किया जा रहा है. ऐसे तेरह विरासत वृक्ष चिन्हित किए गए हैं. वहीं वन विभाग द्वारा इनको विरासत वृक्ष घोषित करने की संस्तुति कर दी गई है. यह विरासत वृक्ष जैव विविधता प्रबंधन के साथ संरक्षित किए जाएंगे. इसके लिए हर ग्राम पंचायत में जैव विविधता समिति बनाई जाएगी. इसमें ग्राम प्रधान, सचिव और स्थानीय ग्रामीणों को शामिल किया जाएगा. हेरिटेज वृक्ष के चारों ओर चबूतरा बनाकर उसके संरक्षण का प्रस्ताव जिला ग्राम विकास अभिकरण को भेजा जा रहा है.
इन 13 विरासत वृक्षों की उम्र तकरीबन 100 साल से लेकर अधिकतम 250 साल तक की बताई गई है. इसके चारों तरफ चबूतरा बनाकर इनको संरक्षित किया जाएगा, फिर इसके चारों ओर गोलाई में बड़ा क्षेत्र लेकर वहां अन्य सजावटी पौधे, फलदार वृक्ष और पक्षियों के आश्रय वाले वृक्षों को लगाया जाएगा. पूरे क्षेत्र में सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा. इसमें से कई वृक्ष धार्मिक मान्यताएं वाले भी हैं. जैसे पीपल और बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है.
अतरौली के गांव हसनपुर में पीपल का पेड़ धार्मिक मान्यता रखता है, वही, बिजौली के गांव हिम्मतपुर में पीपल का पेड़ पवित्र वृक्ष के तौर पर है. सभी 13 विरासत वृक्षों के चारों ओर जैव विविधता व सुंदरीकरण का समावेश कराया जाएगा. इसके लिए सभी 852 ग्राम पंचायतों में जैव विविधता समिति बनाई जाएगी.
जिला वन अधिकारी दिवाकर कुमार वशिष्ठ ने बताया कि तीन महीने पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति एवं जंतु विभाग की टीम ने आकर सर्वे किया था. वृक्षों की माप कर नमूने भी लिए थे. संरक्षण के लिए चबूतरे व सुंदरीकरण के लिए प्रस्ताव बनाकर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को भेजा जाएगा. वही बजट उपलब्ध होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा. वन विभाग विरासत वृक्षों को संरक्षित करने का काम कर रहा है.
रिपोर्ट- आलोक, अलीगढ़