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राज्य की 80 फीसदी आबादी आज भी खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला, उपला आदि का करती है उपयोग
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वायु प्रदूषण से स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप मधुमेह, लंग्स कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं
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सबसे ज्यादा चूल्हे से निकलने वाले धुएं से लोग हो रहे प्रभावित
मनोज सिंह, रांची: झारखंड में प्रदूषण के कारण होनेवाली बीमारियों से 2019 में करीब 33 हजार लोगों की मौत हुई. इसका कारण राज्य के घरों में जलावन के रूप में लकड़ी और कोयले का अधिक उपयोग है. यह अमेरिका के बोस्टन शहर में स्थित हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के अध्ययन में पाया गया है. अमेरिका स्थित इस संस्था की रिसर्च स्कॉलर पल्लवी पंत ने इससे संबंधित अध्ययन किया है.
पल्लवी पंत का कहना है कि झारखंड में आज भी खाना बनाने के लिए जलावन के रूप में लकड़ी और कोयले का उपयोग हो रहा है. यहां के कई शहर गंभीर रूप से प्रदूषित हैं. वर्ष 2019 में जो मौतें हुई, उनमें से करीब 33 हजार लोगों की मौत का कारण प्रदूषण जनित बीमारियां थीं.
आंकड़े के हिसाब से राज्य की 80 फीसदी आबादी आज भी खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला, उपला आदि का उपयोग करती है. इससे रोज कम से कम 86 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 औसतन निकलता है. यह हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है. यह राज्य में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का यह सबसे बड़ा कारण है.
देश में 70 फीसदी से अधिक सॉलिड फ्यूल उपयोग करनेवाले प्रमुख राज्यों में झारखंड के साथ-साथ बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा असम और नार्थ ईस्ट के कुछ राज्य हैं. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर के अनुसार पूरे विश्व में इस्कीमिक ह्रदय रोग से जो मौतें हुईं, उनमें 20 फीसदी का कारण वायु प्रदूषण था. स्ट्रोक से जो मौतें हुईं, उनमें 26 फीसदी का कारण वायु प्रदूषण था.
मधुमेह से मौतें हुईं, उनमें 19 फीसदी का कारण वायु प्रदूषण था. सीओपीडी (क्रोनिक ब्रोंकाइटिस आदि) से मौतें हुईं, उनमें 40 फीसदी का कारण वायु प्रदूषण था. फेफड़ा के कैंसर से जो मौतें हुईं, उनमें 19 फीसदी मामले वायु प्रदूषण से जुड़े थे. लंग्स इंफेक्शन से जो मौतें हुईं, उनमें 30 फीसदी मौत का कारण वायु प्रदूषण था. 2019 में दुनिया भर में पांच लाख बच्चों की मौत हुई. इसका बड़ा कारण वायु प्रदूषण था.
कई तरह की बीमारियां होती हैं वायु प्रदूषण से : वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां होती हैं. इनमें स्ट्रोक, मोतियाबिंद, उच्च रक्तचाप, ह्रदय संबंधी बीमारी, सांस संबंधी बीमारी, मधुमेह, लंग्स कैंसर तथा कम वजन के बच्चों का जन्म होना शामिल हैं. हाल में यह भी देखा गया है कि प्रदूषण के कारण डिमेंसिया के साथ-साथ बच्चों के विकास रुकने की समस्या भी आती है.
शहर यूएसएक्यूआइ
रांची 172
रामगढ़ 108
जमशेदपुर 175
हजारीबाग 91
कोडरमा 51
पलामू 97
शहर यूएसएक्यूआइ
धनबाद 154
दुमका 85
देवघर 51
बोकारो 103
खूंटी 161
लोहरदगा 151
Posted by: Pritish Sahay