पश्चिम बंगाल के कोलकाता में संपत्ति कर के भुगतान के लिए कोलकाता नगर निगम द्वारा यूनिट एरिया असेसमेंट (यूएए) लागू किया है. पर लोग इस नयी कर व्यवस्था से जुड़ना नहीं चाह रहे. वर्तमान में निगम के करीब नौ लाख करदाता हैं, जिनमें से मात्र 25 फीसदी करदाता ही इस नयी व्यवस्था से जुड़े हैं. ऐसे में इस नयी कर व्यवस्था के सरलीकरण पर निगम जोर दे रहा है. इसके तहत निगम वाणिज्यिक क्षेत्रों को कर में 40 से 50 फीसदी की छूट देने का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है. सरकार की अनुमति मिलते ही इस नयी व्यवस्था को लागू कर दिया जायेगा.
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अधिकारी ने बताया कि किराये की इमारत में व्यवसाय करने वाले दुकानदार, सिनेमा घर व मॉल चलाने वाले लोग लाभान्वित होंगे. अधिकारी ने बताया कि यूएए के तहत रेसिडेंशियल की तुलना में वाणिज्यिक क्षेत्रों को 24 गुणा अतिरिक्त कर का भुगतान करना पड़ रहा है. अगर कोई व्यक्ति खुद व्यवसाय करता हो, तो उसे अलग, जबकि किराये की इमारत में व्यवसाय करने वालों को अलग टैक्स स्लैब से भुगतान करना पड़ रहा है. इस विषमता को दूर करने के लिए निगम ने राज्य सरकार को उक्त प्रस्ताव दिया है. गौरतलब है कि वर्तमान में कोलकाता के वार्ड नंबर एक से 141 तक यूनिट एरिया असेसमेंट (यूएए) प्रणाली के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है. 2017 तक, कोलकाता में संपत्ति कर निर्धारण के लिए वार्षिक दर योग्य मूल्य (एआरवी) पद्धति की प्रणाली कार्यरत थी. पर अभी भी निगम के 75 फीसदी करदाता पुरानी प्रणाली से ही कर का भुगतान कर रहे हैं.
निगम के अधिकारी ने बताया कि नयी कर प्रणाली को सहज बनाने के लिए इसके फॉर्म के सरलीकरण पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि संपत्ति कर संग्रह के लिए यूनिट एरिया असेसमेंट के तहत, वार्ड एक से 141 को 293 ब्लॉकों में विभाजित किया गया है और ए से जी तक सात श्रेणियों में बांटा गया है. ये बुनियादी सुविधाओं, बाजार मूल्य और अन्य कारकों पर आधारित हैं. यहां सबसे ज्यादा बेस यूनिट एरिया वैल्यू (यूएवी) को ए कैटेगरी को आवंटित किया जाता है, जबकि सबसे कम यूएवी जी कैटेगरी दिया जाता है. इस कैटेगरी में स्लम (बस्ती) इलाकों को शामिल किया गया है. इसी तरह, सरकार की शरणार्थी पुनर्वास (आरआर) कॉलोनियों और इडब्ल्यूएस कॉलोनियों को इ श्रेणी के तहत रखा जाता है.
अधिकारी ने बताया कि गत वर्ष 2021-22 में 31 दिसंबर तक संपत्ति कर से 654 करोड़ रुपये की वसूली की गयी थी. अब इसी काल में 900 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है. यानी पिछले साल की तुलना में 250 करोड़ रुपये की अधिक वसूली की गयी है.
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