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धनबाद में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण का स्तर, जानिए क्या है कारण

धनबाद में सुबह होते ही बिजली कटौती शुरू हो जा रही है. ऐसे में सबसे ज्यादा खामियाजा उद्योग, विभिन्न प्रतिष्ठान चलाने वाले व्यापारी और छोटे दुकानदारों को उठाना पड़ रहा है. उद्योग चलाने के लिए बड़े पैमाने पर जनरेटर का इस्तेमाल होता है. जिसके कारण यहां का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है.

बिजली कटौती के बीच डीजल जनरेटर प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक साबित हो रहे हैं. धनबाद के शहरी क्षेत्र में सीधे तौर पर प्रदूषण करने वाले उद्योग नहीं हैं, बावजूद यहां का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है. धनबाद में बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण काम करने के लिए बड़े पैमाने पर जनरेटर का इस्तेमाल होता है. बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण अमूमन मध्यम और लघु उद्योग प्रभावित होते हैं. साथ ही शहर में मॉल, अपार्टमेंट के सामने जनरेटर चलाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है.

विशेषज्ञ बताते हैं कि डीजल का प्रयोग होने के कारण बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण पैदा होता है. इसके इस्तेमाल से वायु में पीएम- 2.5 की मात्रा तेजी से बढ़ती है. धनबाद के शहरी क्षेत्र में पीएम – 2.5 का स्तर 70 से 170 माइक्रोग्राम प्रति मीटर के आसपास पहुंच जाता है. पीएम 2.5 का यह स्तर सामान्य से सात से 17 गुणा अधिक होता है. पीएम- 2.5 सीधे मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. इससे फेफड़ा संबंधी बीमारी होती है.

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इसीएल मुगमा एरिया की भूमिगत खदानों में उत्पाद प्रभावित

इसीएल मुगमा क्षेत्र के महाप्रबंधक विभाष चंद्र सिंह के अनुसार बिजली कटौती से इसीएल मुगमा एरिया के भूमिगत खदानों से उत्पादन प्रभावित हो रहा है. सनद रहे कि भूमिगत खदानों में एसडीएल मशीन के माध्यम से उत्पादन किया जाता है. बिजली नहीं रहने के कारण मशीन नहीं चल पा रही है. विशेष कर प्रथम व द्वितीय पाली में यह समस्या आ रही है. रात्रि पाली में कुछ स्थिति सामान्य रह रही है. बिजली नहीं रहने के कारण हॉलेज भी बंद हो जाता है. हॉलेज घर से खदान के अंदर से ट्रॉली के माध्यम से कोयला ऊपर उठाया जाता है. हॉलेज नहीं चलने के कारण कोयला को सरफेस पर लाने में भी परेशानी हो रही है.

खदान के अंदर व बाहर का फैन भी बंद हो जाता है. सिंह के अनुसार यह सुरक्षा से जुड़ा हुआ सवाल है. वो लोग सुचारू रूप से बिजली देने को लेकर बिजली विभाग के विभागीय अधिकारियों को लगातार पत्राचार कर रहे हैं. ज्ञात हो कि पूरे मुगमा एरिया में एक दर्जन भूमिगत खदानें हैं. जहां से प्रतिदिन प्रत्येक खदान से करीब 200- 300 टन कोयला उत्पादन होता है. बिजली नहीं रहने की स्थिति में उत्पादन 50% कम हो जाता है. इससे प्रबंधन को लाखों रुपए की क्षति होती है.

डीजल पर अतिरिक्त 37 लाख खर्च कर रहे व्यवसायी

सुबह होते ही बिजली कटौती शुरू हो जा रही है. ऐसे में सबसे ज्यादा खामियाजा उद्योग, विभिन्न प्रतिष्ठान चलाने वाले व्यापारी और छोटे दुकानदारों को उठाना पड़ रहा है. उद्योग चलाने के लिए दिन में बिजली की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. नहीं मिलने से उनके प्रोडक्शन में गिरावट दर्ज की जा रही है. इस स्थिति से बचने के लिए धनबाद के व्यवसायी हर दिन औसतन 37 लाख रुपये अतिरिक्त डीजल का इस्तेमाल कर रहे है.

जाने कहां से मिलती है बिजली और क्या है हालत

धनबाद में डीवीसी से जेबीवीएनएल को बिजली मिलती है. डीवीसी के पुटकी, पाथरडीह ग्रिड से धनबाद तक बिजली आती है. पुटकी से जेबीवीएनएल के गोधर वन व टू, गणेशपुर के वन व टू को बिजली सप्लाई के लिए मिलती है. वहीं पाथरडीह ग्रिड से सरायढेला, गोविंदपुर को बिजली दी जाती है. वर्तमान में डीवीसी से लगभग आधी बिजली मिलने के कारण इनसे संबंधित इलाकों में सुबह से रात तक अलग-अलग समय में करीब दस घंटे की कटौती जारी है.

15 घंटे गुल रहती है बिजली : उपेंद्र गुप्ता

झरिया खुदरा वस्त्र व्यवसायी संघ के अध्यक्ष उपेंद्र गुप्ता ने बताया कि झरिया में 15 घंटे बिजली आपूर्ति होती है. 8 घंटे डीवीसी द्वारा लोड शेडिंग किया जाता है. शहर में तकनीकी फाल्ट होने पर उसे बनाने में घंटों लग जाते हैं. श्री गुप्ता का कहना है कि कल डीवीसी द्वारा लोड शेडिंग कर देने पर जामाडोबा जल संयंत्र केंद्र में बिजली गुल हो गयी. जिससे शहर में जलापूर्ति ठप रही. यह कोई नयी बात नहीं है, झरिया वासियों को जल संकट एवं बिजली की समस्या से परेशान होना पड़ता है.

रात में मोटर से पानी भर लेते हैं : माधुरी

बेकारबांध की रहने वाली माधुरी देवी ने बताया कि बिजली कटौती का कोई समय निश्चित नहीं है. आये दिन सुबह बिजली गुल ही रहती है. ऐसे में रोजमर्रा के कार्य प्रभावित होते है. सुबह बिजली गुल रहने से मोटर से पानी नहीं भर पाते. इस स्थिति से निबटने के लिए रात के वक्त ही मोटर से पानी भर लेते है.

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