Akshaya Tritiya 2020: अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2020 में 26 अप्रैल रविवार के दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. इस बार अक्षय तृतीया पर छह राजयोग बन रहे हैं. इसके अलावा रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) का होना भी बेहद शुभ माना जा रहा है. अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय के समय शंख, नीचभंग, पर्वत योग, अमला, रूचक और शश योग बन रहे हैं. इनके अलावा महादीर्घायु और दान योग भी हैं. यह योग सूर्य, मंगल, बुधगुरु और शनि ग्रह के कारण हैं. कहीं कहीं ये भी मान्यता है कि इसी दिन विष्णु भगवान ने परशुराम के रूप में अवतार लिया था. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन विशेष योग भी बन रहा है जो 23 सालों के बाद आ रहा है. इस दिन शुक्र-चंद्र की युति वृषभ राशि में होने वाली है. वृषभ शुक्र की राशि है और चंद्र की उच्च राशि है. यानी यश और वैभव का द्योतक है.
वैशाख शुक्ल तृतीया का हिंदू संस्कृति में विशेष मूल्य है.यह सनातन धर्म के कई संस्मृतियों की महिमा बताने आया करती है. इसे युगादि तिथि कहा गया है,इसी दिन सत्ययुग (मतांतर से त्रेता युग) की शुरुआत हुई थी. इस दिन प्रदोषकाल में भगवान परशुराम का जन्म हुआ था.अक्षय तृतीया के हर एक मुहूर्त को शुभ माना गया है इसलिए आज के दिन हर मंगल कार्य दिन भर किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां गंगा आज के दिन ही स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आयीं थी. इस दिन किसी भी किए हुए नेक कार्य में सफलता मिलती है. लोग आज सोने,चांदी या इनसे बने आभूषण खरीदना शुभ मानते हैं. कहा जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से सुख-समृद्धि आती है और कभी धन की कमी नहीं रहती है. आज के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है और साथ में माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है.
तुलसीपत्रों से श्रीहरि की पूजा :
वैशाख का एक नाम माधव भी है, जो श्रीहरि का ही वाचक है.यह मास कार्तिक एवं माघ के माहात्म्य के समान ही पावन है.इसमें प्रातः काल में स्नान एवं तुलसी-पत्रों से भगवान की पूजा को विशेष पुण्यप्रद माना गया है.
बिल्व वृक्ष के दर्शन का महात्म्य :
कहने को बिल्व एक वृक्ष है लेकिन इसका महात्म्य असीम है.यह जहां होता है उस जगह को तीर्थ के समान दर्जा मिल जाता है. वहीं वाराणसी व शिव का निवास है. इसका पत्र ब्रह्मा, विष्णु, शिवात्मक है तथा फल गोरोचन सहित जगतमाता लक्ष्मी का वक्षरूप है. अक्षय तृतीया को ही यह पवित्र वृक्ष श्रीशैल पर पहली बार आया.जिसके दर्शन से सभी देवता निहाल हो गए.आमजन भी इसके दर्शन से पुण्य के भागी बनते हैं.
इस बार रोहिणी नक्षत्र में तृतीया विशेष फलदायी :
मतस्यपुराण के अनुसार कृत्तिका नक्षत्र से युक्त तृतीया विशेष फलदायी है तो नारदपुराण केअनुसार इस दिन रोहिणी नक्षत्र का होना दुर्लभ संयोग है. इन दोनों में कोई भी नक्षत्र उत्तम होता है. फिर भी द्वितीया विद्धा तृतीया अग्राह्य कही गयी है.तृतीया में चतुर्थी का योग गौरी – विनायक योग के रूप में ग्राह्य है.सर्वाधिक पुण्यदायक व सुखदायक है.यही कारण है कि इस बार 26 अप्रैल रविवार को रोहिणी नक्षत्र में यह पर्व मनाना अत्यंत उत्तम है.
लॉकडाउन में घरों में रहकर भी कर सकते हैं पूजा :
इस सुअवसर का बेसब्री से इंतजार आम भक्तों के साथ व्यापरियों को भी रहता है लेकिन इस बार तृतीया की रौनक हर बार की तरह नहीं रहेगी. इस बार पुण्यदायी तीर्थों,जलाशयों में स्नान कर दान करने वालों को भीड़-भाड़ से बचकर घरों में ही रहकर सारे विधि विधान करने होंगे. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के नियमों का पालन करना जरूरी है और इसलिए इस बार सतर्कता से ही अक्षय तृतीया मनाई जाएगी.हमारे शास्त्रों में भी आपद्धर्म को स्वीकारा गया है.ऐसी स्थिति में बताया गया है कि कुछ संभव नहीं हो तो मन में ही स्नान ,दान व पूजा संभव है.बाद में भी तन्निमित्तक कर्म किये जा सकते हैं.यानी श्रद्धा रखें. यह भी धर्म का विशेष अंग है.