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माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे उमर की गिरफ्तारी तय, हाइकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी की खारिज, जानें मामला

इस प्रकरण की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश में मऊ जनपद का है. अभियोजन के अनुसार पुलिस उपनिरीक्षक गंगाराम बिंद की तहरीर पर शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी. इसमें सदर विधायक अब्बास अंसारी और उमर अंसारी और मंसूर को आरोपी बनाया गया.

Prayagraj News: माफिया मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के मामले में उमर अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इससे उमर की मुश्किलें बढ़ गई हैं और अब उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकल पीठ ने उमर अंसारी की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रत्याशी अब्बास अंसारी के समर्थन में पहाड़पुरा सभा में अधिकारियों को चुनाव के बाद ठीक करने की धमकी दी गई थी. ड्यूटी के दौरान मौजूद पुलिस उपनिरीक्षक ने मऊ जनपद की कोतवाली नगर थाने में सुभासपा के प्रत्याशी अब्बास अंसारी, आयोजक मंसूर अहमद अंसारी समेत 150 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इस प्रकरण में उमर अंसारी के बड़े भाई और सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को पहले ही जमानत मिल चुकी है.

उमर अंसारी के आपराधिक इतिहास का दिया हवाला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को लेकर कहा कि याची आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है. इसके साथ ही मामलों की सुनवाई के दौरान उसका रवैया सहयोग नहीं करने वाला रहा है. ऐसे में याची अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है. हालांकि याची के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उमर अंसारी के खिलाफ सियासी वजहों से एफआईआर दर्ज कराई गई है. उन्होंने कहा कि एफआईआर पुलिस अधिकारियों ने दर्ज करवाई है. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट को बताया कि उमर अंसारी का लंबा आपराधिक इतिहास है. उसके खिलाफ कोर्ट के आदेश पर कुर्की की कार्यवाही भी प्रचलित है. ऐसे में उसे अग्रिम जमानत देना सही नहीं रहेगा.

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विधानसभा चुनाव 2022 में जनसभा से जुड़ा है मामला

इस प्रकरण की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश में मऊ जनपद का है. अभियोजन के अनुसार पुलिस उपनिरीक्षक गंगाराम बिंद की तहरीर पर शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी. इसमें सदर विधायक अब्बास अंसारी और उमर अंसारी और मंसूर को आरोपी बनाया गया. इसमें आरोप था कि 3 मार्च 2022 को विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सुभासपा प्रत्याशी अब्बास अंसारी ने जनसभा की. इस दौरान मंच से अब्बास अंसारी और उमर अंसारी ने चुनाव नतीजों के बाद अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग रोकने और उनका हिसाब-किताब करने संबंधी विवादित बयान दिया गया था. जब यह बयान अब्बास अंसारी के द्वारा मंच से दिया जा रहा था तब मंच पर उमर अंसारी भी मौजूद था. इस मामले में एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें माफिया मुख्तार के बेटे भड़काऊ बयानबाजी करते दिखे. बाद में वीडियो वायरल होने के बाद मऊ पुलिस ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर शहर कोतवाली में अब्बास अंसारी उसके छोटे भाई उमर अंसारी सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. इसी प्रकरण पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

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