इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने विदेशी और भारतीय भाषाओं के पाठ्यक्रम एक बार फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. ये पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति के तहत 2023 से शुरू होंगे. इन भाषाओं में किसी भी विश्वविद्यालय का छात्र प्रवेश ले सकेगा. इसका उद्देश्य छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास करना है. जिससे वह रोजगार इत्यादि के नए अवसर तलास सके.
इस संबंध में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को विश्वविद्यालय के सभी भाषा विभागों के विभागाध्यक्षों की बैठक हुई. इस बैठक में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं के पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय में फिर से शरू करने का निर्णय लिया गया है.
नई शिक्षा नीति में बेहतर करियर बनाने के लिए छात्रों को कई भारतीय और अतरराष्ट्रीय भाषाओं की शिक्षा देने पर जोर दिया गया है. जिससे वह देश के साथ साथ विदेशों में भी आसानी से रोजगार हासिल कर सके. इन पाठ्यक्रमों को छात्रों के साथ-साथ वह भी एडमिशन ले सकेंगे जो विश्वविद्यालय के छात्र नहीं हैं.
पूर्व में भी चलते थे विदेशी भाषाओं के पाठ्यक्रम– केंद्रीय विश्वविद्यालय में इससे पूर्व में भारतीय और विदेशी भाषाओं के कई पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा थे. इनमें अग्रंजी विभाग में फ्रेंच, रूसी और जर्मन में डिप्लोमा, संस्कृत विभाग में चीनी, पहलवी (मध्य ईरानी) और तिब्बती, हिंदी विभाग में बांग्ला, पंजाबी, तमिल, तेलगू और मराठी के कोर्स शामिल थे. इसके अलावा उर्दू विभाग, तथा अरबी और फारसी विभाग में भी इन संबंधित भाषाओं में पाठ्यक्रम थे.
छात्रों को बेहतर करियर बनाने में मिलेगी मदद– इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर डॉ. जया कपूर ने बताया कि भाषा पाठ्यक्रम की आज के समय में विशेष आवश्यकता को देखते हुए शुरू किया जा रहा है. इससे छात्रों को विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद बेहतर कैरियर बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने ने बताया की छात्रों द्वारा भाषा पर आधारित पाठ्यक्रम की डिमांड लम्बे समय से की जा रही थी. नई शिक्षा नीति के तहत अब लागू किया जा रहा.
प्रो. राम सेवक दुबे बने समिति के संयोजक- इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने भाषा विभागों के प्रमुखों और इनमें से प्रत्येक विभाग के कुछ और संकाय सदस्यों की एक समिति का गठन किया है. इस समिति का अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे को बनाया गया है. यह समिति विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम और इन पाठ्यक्रमों की फीस संरचना के साथ-साथ सीटों की संख्या, पढ़ाने का मोड, आवश्यक योग्यता आदि मानक तय करने के बाद इसे जल्द लागू करेगी.
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इनपुट : एसके इलाहाबादी