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Happy Birthday Bachchan: …तो शोले फिल्म में ‘जय’ नहीं, ‘गब्बर सिंह’ के रूप में सामने आते अमिताभ बच्चन

Happy Birthday Amitabh Bachchan: फिल्म की पटकथा देखने के बाद अमजद खान ने एक बार अमिताभ बच्चन से कहा कि वह ‘जय’ का किरदार निभाना चाहते हैं. अमिताभ बच्चन तुरंत ही अमजद खान की सिफारिश लेकर जीपी सिप्पी के पास पहुंच गये. उन्होंने कहा कि अमजद खान ‘गब्बर सिंह’ नहीं ‘जय’ का किरदार निभाना चाहते हैं.

Happy Birthday Amitabh Bachchan: अमिताभ बच्चन के बारे में कहा जाता है कि फिल्म जगत में उन्होंने कई लोगों की मदद की. कालजयी फिल्म ‘शोले’ (Sholay) में वह अपना किरदार तक बदलने के लिए तैयार हो गये थे. फिल्म के निर्माता-निर्देशक जीपी सिप्पी (GP Sippy) ने बेमिसाल बच्चन (#80saalbemisaalbachchan) की बात सुन ली होती, तो बिग बी इस फिल्म में ‘जय’ नहीं, ‘गब्बर सिंह’ के किरदार में नजर आते. अगर ऐसा हो जाता, तो बॉलीवुड अमजद खान सरीखे बेहतरीन खलनायक से महरूम हो जाता.

अमजद खान चाहते थे शोले में ‘जय’ का रोल करना

‘शोले’ (Sholay) फिल्म में गब्बर सिंह (Gabbar Singh) का किरदार अमजद खान (Amjad Khan) ने निभाया था. अमजद खान और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) दोनों में दोस्ती थी. फिल्म की पटकथा देखने के बाद अमजद खान ने एक बार अमिताभ बच्चन से कहा कि वह ‘जय’ का किरदार निभाना चाहते हैं. अमिताभ बच्चन तुरंत ही अमजद खान की सिफारिश लेकर जीपी सिप्पी के पास पहुंच गये. उन्होंने कहा कि अमजद खान ‘गब्बर सिंह’ नहीं ‘जय’ का किरदार निभाना चाहते हैं.

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अमजद खान की सिफारिश करने सिप्पी के पास पहुंचे अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन ने निर्माता-निर्देशक जीपी सिप्पी से कहा कि वह (अमिताभ) चाहते हैं कि अमजद खान को ‘जय’ का किरदार मिल जाये. बदले में अमिताभ बच्चन खुद ‘गब्बर सिंह’ का रोल करने के लिए तैयार हो गये थे. अमिताभ की सिफारिश को जीपी सिप्पी ने अनसुना कर दिया. उन्होंने अमजद खान का रोल बदलने से साफ इंकार कर दिया. आखिरकार अमजद खान को गब्बर सिंह का ही रोल निभाना पड़ा. फिर अमजद खान ने गब्बर सिंह के किरदार में वो जान डाली कि आज भी लोग ‘शोले’ फिल्म के उनके डायलॉग को याद करते हैं.

वो दो थे और तुम तीन, फिर भी लौट आये, खाली हाथ…

‘शोले’ फिल्म में अमजद खान का वो मशहूर डायलॉग आज भी लोगों को याद है, जब रामगढ़ की पहाड़ियों पर अपने गिरोह के डाकुओं पर दहाड़ते हुए गब्बर सिंह कहता है- ‘कितने आदमी थे….’ उनका डायलॉग आगे जारी रहता है, ‘वो दो थे और तुम तीन. फिर भी लौट आये. खाली हाथ… क्या सोचकर आये थे. सरदार बहुत खुश होगा, शाबाशियां देगा. क्यों? सुअर के बच्चों. तुम तीनों ने गब्बर का नाम मिट्टी में मिला दिया. पूरे मिट्टी में मिला दिया.’

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दशकों से दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग पर छाये हैं वो डायलॉग

शोले फिल्म के कई और डायलॉग बेहद मशहूर हुए थे. वे डायलॉग आज भी दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग पर छाये हुए हैं. वहीं, अमिताभ बच्चन के ‘जय’ के किरदार को भी लोगों ने खूब सराहा. फिल्म में धर्मेंद्र ने ‘वीरू’ का रोल किया है, जिसकी ‘जय’ के साथ दोस्ती है. दोनों मिलकर छोटी-मोटी चोरियां करते हैं. लेकिन, ठाकुर (संजीव कुमार) इन दोनों को गब्बर सिंह को जिंदा पकड़ने के लिए 20 हजार रुपये में सौदा करते हैं और दोनों को अपने गांव बुलाते हैं.

वीरू के लिए जय ने दे दी जान, ठाकुर ने लिया गब्बर से बदला

‘जय’ ने अपने दोस्त ‘वीरू’ के लिए आखिरकार अपनी जान कुर्बान कर दी. ठाकुर की विधवा बहू की ओर ‘जय’ आकर्षित तो हो गया, लेकिन उसका प्यार मुकम्मल न हो सका. ठाकुर साहब ने ‘जय’ और ‘वीरू’ की जोड़ी के दम पर गब्बर सिंह और उसके गिरोह को खत्म कर दिया. गब्बर सिंह ने ठाकुर के दोनों हाथ काट डाले थे. बदले में ठाकुर ने गब्बर के दोनों हाथ और पैर बेकार कर दिये.

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