किसी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा सम्मान मिलना खुशी की बात तो है ही, लेकिन यह निजी खुशी है. विशेष बात है घाटशिला जैसी छोटी जगह पर इस तरह का बड़ा आयोजन होना, जो राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाए. यह साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाने में बहुत ही अहम है. उक्त बातें साहित्यकार शेखर मल्लिक ने प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में कही.
घाटशिला की सांस्कृतिक साहित्यिक संस्था ‘ विभूति स्मृति संसद ‘ द्वारा प्रतिवर्ष बांग्ला सहित अन्य भाषाओं में उल्लेखनीय साहित्यिक योगदान के लिए दिए जाने वाला ‘ सुबर्नशिला सम्मान ’ इस वर्ष घाटशिला के साहित्यकार शेखर मल्लिक सहित दिलीप चक्रवर्ती और शांता चक्रवर्ती को दिए जाने की घोषणा हुई है. गत वर्ष हिंदी के महत्वपूर्ण कथाकार रणेंद्र जी को यह सम्मान प्रदान किया गया था. इस साल शेखर के साथ बांग्ला के वरिष्ठ लेखक पत्रकार दिलीप चक्रवर्ती ‘अनटोल्ड स्टोरीज ऑफ इप्टा एंड निरंजन सेन’ पुस्तक के मित्रा सेन मजुमदार के साथ सह संपादक भी हैं) और बांग्ला भाषा की कवयित्री शांता चक्रवर्ती को भी यह सम्मान दिया जा रहा है.
शेखर मल्लिक प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य और झारखंड राज्य के उप महासचिव हैं. अब तक इनकी 5 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. देश के जाने माने लेखक शेखर मल्लिक सामाजिक राजनीतिक सरोकारों की कहानियां लिखते हैं. आदिवासी जीवन पर इनका उपन्यास कालचिति बहुत मशहूर है और डायनमारी, जंगल मोर दुलाड़िया जैसी कहानियां भी चर्चित हैं. इसी वर्ष शेखर को भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता का प्रतिष्ठित युवा पुरस्कार मिला था. दिलीप चक्रवर्ती कोलकाता प्रेस क्लब के मानद आजीवन सदस्य हैं. उन्हें कलम सेना सम्मान मिला है. दिलीप चक्रवर्ती की कुछ चर्चित पुस्तकें ताहादेर प्रेम कथा, लॉक डाउनेर दिनगुली और श्रेणी संग्रामेर सब्यसाची आदि हैं.
शांता चक्रवर्ती कविता लेखन और पत्रकारिता करती हैं. वे स्रोत स्वमिनी इच्छामती की संपादिका हैं. उनकी कविताएं बांग्ला भाषी पाठक समुदाय में बहुत सराही गई हैं. विभूति स्मृति संसद, घाटशिला की ओर से जारी सूचना के अनुसार विभूति भूषण बंद्योपाध्याय की 129वीं जयंती के मौके पर आगामी 12 सितंबर, 2023 को विभूति मंच, कॉलेज रोड (घाटशिला) में एक साहित्य सभा के अंतर्गत यह सम्मान समारोह आयोजित होगा. इस साहित्य सभा में प्रसिद्ध रंग निर्देशक प्रोबीर गुहा, साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार विजेता अंग्रेजी लेखक सौवेंद्र शेखर हांसदा सहित कोलकाता, घाटशिला और आसपास के अनेक साहित्यप्रेमी, रंगकर्मी जुटेंगे. यह जानकारी स्मृति संसद से से जुड़े और संयुक्त नाट्य कला केंद्र, घाटशिला के अध्यक्ष श्री सुशांत सीट ने दी.