धनबाद : झारखंड के दबंग विधायक ढुल्लू महतो पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इस विधायक को ट्रक ड्राइवर और खलासी से मारपीट के मामले में झारखंड हाइकोर्ट से राहत मिल गयी थी, लेकिन अब एक यौन शोषण के मामले में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है. पुलिस किसी भी वक्त उन्हें दबोच सकती है.
बुधवार (5 मार्च, 2020) को मारपीट के एक मामले में उन्हें हाइकोर्ट से राहत मिली थी. इसके ठीक एक दिन बाद गुरुवार (6 मार्च, 2020) को यौन शोषण के एक मामले में एसडीएम की अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. अब पुलिस उन्हें किसी भी समय गिरफ्तार कर सकती है.
कांग्रेस की महिला नेता के यौन शोषण के मामले में केस के अनुसंधानकर्ता विनोद उरांव ने अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल की अदालत में आवेदन दायर कर विधायक ढुलू महतो व आनंद शर्मा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट प्राप्त किया.
कांग्रेस नेता ने धारा 164 के तहत दर्ज कराये गये अपने बयान में भाजपा विधायक ढुल्लू महतो पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. उसने अदालत को बताया था, ‘13 नवंबर, 2015 को ढुल्लू महतो ने मुझे फोन करके रांची चलने को कहा. मैंने समयाभाव में जाने से इन्कार कर दिया. एक सप्ताह बाद फिर फोन किया और पार्टी कार्य का हवाला देकर मुझे हिंदुस्तान जिंक टूंडू गेस्ट हाउस में बुलाया. वहां पहले से आनंद शर्मा बैठा था. मुझे आते देख वह बाहर निकल गया. मैं जैसे ही अंदर गयी, विधायक ढुलू ने कहा कि तुम 18 साल की लगती हो, कैसे मेंटेन करती हो. दोनों हाथों से आलिंगन कर लिया. संवेदनशील अंगों को छुआ. मैं उठ गयी, तो हाथ पकड़कर बैठा लिया और फिर दुष्कर्म किया. मैंने विरोध किया, तो धमकी देने लगा कि किसी को मत बताना. मैं कमरे से बाहर निकली, तो मेरे पति बाइक पर थे. मैं दुकान वापस आयी. उसी दिन आनंद शर्मा मेरे पार्लर में आकर बोला कि विधायक तुम्हें बहुत चाहता है. तुमको मालामाल कर देगा, नहीं सुनोगी, तो पति गाड़ी चलाता है. गढ्ढे में धकेल देंगे, तो पता भी नहीं चलेगा. विधायक मध्य रात्रि को कई बार संबंध बनाने का दबाव डालता था.’
हाइकोर्ट पहुंचे ढुल्लू महतो, सीबीआइ जांच की मांग की
बाघमारा से भाजपा विधायक ढुल्लू महतो ने अपने खिलाफ दर्ज हो रहे मामलों की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है. उन्होंने हाइकोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर मामले की उच्चस्तरीय जांच सीबीआइ से कराने के लिए उचित आदेश देने का आग्रह किया है.
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने याचिका दायर की. उन्होंने बताया कि प्रार्थी निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं. सरकार व पुलिस विद्वेष की भावना से उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है. हर दिन कोई न कोई फर्जी आरोप लगाकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है. वह मामलों में शामिल नहीं भी होते हैं, तो भी प्राथमिकी कर दी जा रही है.
प्रार्थी ने हाइकोर्ट से कहा है कि पुलिस गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित कर सकती है. उन्हें मारा-पीटा जा सकता है. सारे मामले की जांच सीबीआइ से करायी जाये. वर्ष 2019 में याैन शोषण के आरोप में दर्ज प्राथमिकी सहित वर्ष 2020 में दर्ज की गयी प्राथमिकी को उन्होंने गलत बताया है.
उन्होंने कतरास थाना कांड संख्या-178/2019, कतरास कांड संख्या-54/2020, बराैरा थाना कांड संख्या-11/2020, धनबाद थाना कांड संख्या-85/2020, कतरास थाना कांड संख्या-106/2018, बाघमारा थाना कांड संख्या 217/2020, बराैरा थाना कांड संख्या-13/2020 की निष्पक्ष व पारदर्शी जांच सीबीआइ या अन्य किसी भी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है.