Article 370: आर्टिकल 370 सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. इस फिल्म से निर्देशक आदित्य सुहास जांभले हिन्दी फिल्मों में अपनी शुरुआत कर रहे हैं. आदित्य खुद को लकी मानते हैं कि उन्होंने आर्टिकल 370 जैसी फिल्म से अपनी शुरुआत की है. इसके साथ ही वह यह भी बताते हैं कि उनकी पॉलिटिकल आइडियोलॉजी हमेशा से यह रही थी कि आर्टिकल 370 को रद्द कर देना चाहिए क्योंकि जब देश एक है तो संविधान, ध्वज और प्रधान अलग – अलग क्यों हो. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत.
आर्टिकल 370 फिल्म के बनने की जर्नी क्या रही है?
आर्टिकल 370 पर जब निर्णय लिया गया था, तो भारतीय होने के नाते बहुत खुशी का पल था. यह भी मालूम था कि यह बड़ा विषय है. यह कैसे हुआ होगा. उसको लेकर उत्सुकता थी, क्योंकि यह मिशन बहुत ही सेक्रेटली किया गया था. किसी को पता भी नहीं चला कि क्या होने जा रहा है और अचानक से 5 अगस्त 2019 को यह फैसला किया गया. यह मिशन इसलिए भी बेहद सफल माना गया क्योंकि घाटी में हम 70 सालों अलग- अलग कन्फलिक्ट को देखते आ रहे हैं. इस मिशन में एक भी बेगुनाह का खून नहीं बहा था. आदित्य धर को उनके एक पत्रकार दोस्त ने इस बारे ये बताया था. उसके बाद हमने रिसर्च करना शुरू किया हमने जब रिसर्च किया तो हमें लगा कि इस पर फिल्म बननी चाहिए क्योंकि इस कहानी में इतना ड्रामा है, जो आम लोगों को पता ही नहीं है.
क्या पहले दिन से तय था कि आप ही इस फिल्म का निर्देशन करेंगे?
आदित्य धर और मैं साथ में पहले दिन से इस फिल्म से जुड़े हैं. हमारे साथ आदित्य धर के भाई लोकेश भी थे. आदित्य ने मुझे सामने से यह भी बोला कि मुझे लगता है कि आपको ये फिल्म डायरेक्ट करनी चाहिए. आपको क्या लगता है. पहले से ही मुझे पॉलिटिक्स और एक्शन में दिलचस्पी थी और कश्मीर ये विषय मुझे बहुत पसंद था तो मेरे लिए सब चीजें एक साथ आ गयी, तो इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि मुझे ये करनी है. एक झटके में ये फैसला हो गया और मैं आगे बढ़ गया और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.
फिल्म के रिसर्च में कितना समय गया?
पूरे रिसर्च में पांच से छह महीने गए क्योंकि एक सोर्स से नहीं लेना था. कहीं से एक चीज उठा ली फिर मालूम पड़ा वहां एक और घटना हुई थी. सबसे महत्वपूर्ण तारीख भी थी. यह मिशन बहुत पहले से शुरू हो गया था तो किस तरह से वह आगे क्या स्टेप लेंगे, वहुत सोच समझकर पहला कदम लिया गया था. ऐसे में सबको पढ़कर एक पहलू को दूसरे से जोड़ने में काफी वक्त हमें लगा. चार महीने हमें सब जानकारी लाने में गए फिर जब हमने सारे रिसर्च को टेबल पर रखा तो सारी चीजें जुड़ गयी. हमें समझ आ गया इस तरह से चीजें हुई हैं और हमें ये ये दिखाना है, जो पब्लिक डोमेन में नहीं है. हमें उस पर प्रकाश डालना है. प्रोटोकॉल में मदद के लिए हमारे साथ कानूनी सलाहकार भी थे ताकि हम असल कहानी से भटके नहीं.
आपका बैकग्राउंड क्या रहा है और आदित्य धर से किस तरह मिले?
मैं गोवा से हूं. अब तक की जर्नी आसान नहीं रही है. मैं पहले थिएटर में रहा. उसके बाद मैंने शार्ट फिल्में बनायीं. मैंने तीन शार्ट फिल्में बनायीं है, जिसमें दो को नेशनल अवार्ड मिला है. जो तीसरी शार्ट फिल्म है, वो कहीं ना कहीं आदित्य धर की नजर में आ गयी. उन्हें नेशनल अवार्ड उरी द सर्जिकल स्ट्राइक के मिला था और मुझे शार्ट फिल्म के लिए उस साल नेशनल अवार्ड मिला था, तो हमारी मुलाकात दिल्ली में ही हुई थी. हमने तीसरी शार्ट फिल्म के बारे में बात किया, जो उन्हें बहुत पसंद आयी. उन्होने कहा कि मैं आपसे जुड़ना चाहता हूं और हम साथ में काम कर सकते है. उसके बाद हमारी बातचीत आगे बढ़ती गयी. हमारा जो वेवलेंथ और पैशन सिनेमा को लेकर है. वो एक जैसे ही थे.
फिल्म में कितना फिक्शन और कितना रियल है?
यह बहुत हद तक रियलिस्ट फिल्म है, जितनी सिनेमेटिक लिबर्टी उतनी ही ली गयी है जो कहानी के रोमांच को बढ़ाने के लिए जरूरत थी. हमने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि फिक्शन कभी भी रियलिज़्म पर हावी नहीं हो. मुझे यह कहते हुए बेहद ख़ुशी है कि हम 80 प्रतिशत जानकारी सांझा करने में कामयाब हुए है, जो पब्लिक डोमेन में नहीं है. मैं बताना चाहूंगा कि प्रियामणि और यामी गौतम का किरदार रियल महिलाओं से प्रेरित है. जिन्होंने आर्टिकल 370 को रद्द करने में अहम भूमिका निभायी.
फिल्म की शूटिंग कहां कहां हुई है?
इस फिल्म की शूटिंग कश्मीर और दिल्ली में सबसे ज्यादा हुई है. कुछ सीन्स मुंबई में शूट हुए हैं. मैं बताना चाहूंगा कि कश्मीर में हमने ऐसी जगह पर शूटिंग की है, जहां कश्मीर के इतिहास में कभी किसी फिल्म की शूटिंग नहीं हुई है. हमारी पहली फिल्म होगी, जिसकी शूटिंग डाउन टाउन में हुई होगी. एक जमाने में अथॉरिटीज को भी डाउन टाउन में जाने की मनाही थी. वो बहुत संवेदनशील जगह रही है. हमने यामी गौतम के साथ फिल्म का महत्वपूर्ण सीन वहां शूट किया है. दो दिन वो शूट चला था. कई लोगों ने कहा रिस्की हो सकता है, लेकिन 370 के रद्द हो जाने की वजह से आसानी से हमने शूटिंग कर ली. मार्केट के साथ साथ इंटीरियर शूट भी वहां किया. लोकल ने बहुत सपोर्ट किया. वहां के एलजी हैं. डी जी हो या सीआरपीएफ वाले सभी ने बहुत सपोर्ट किया.
यह आपकी पहली फीचर फिल्म है, दोनों अभिनेत्रियों प्रियामणि और यामी को निर्देशित करते हुए नर्वस थे?
मैं नर्वस नहीं था, लेकिन मैं दोनों अभिनेत्रियों का शुक्रगुजार हूं. प्रियामणि जी साउथ की बहुत बड़ी अभिनेत्री हैं और यामी जी बॉलीवुड का खास नाम. मेरा अप्रोच बड़ा क्लियर था और इन दोनों अभिनेत्रियों ने मेरे अप्रोच के साथ किरदार को जिया. यामी जी फिल्म के दौरान प्रेग्नेंट भी हो गयी लेकिन उन्होंने आखिरी सीन तक स्क्रिप्ट और मेरे विजन के अनुसार ही परफॉर्म किया. एक सीन में भी फेर- बदल नहीं हुआ.
आदित्य धर की पिछली फिल्म उरी ने टिकट खिड़की पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की थी, क्या बॉक्स ऑफिस को लेकर प्रेशर महसूस कर रहे हैं?
नहीं, मैं उसका प्रेशर नहीं लें रहा हूं. मेरी जिम्मेदारी एक ही है अगर ये फिल्म 5 क्लास का बच्चा भी जाकर देखे तो वो बाहर आकर कहे कि मुझे और कुछ जानने की जरूरत नहीं है. मैं आपको बता सकता हूं कि किस तरह से आर्टिकल 370 को रद्द करने का मिशन हुआ था. ये मेरा मकसद है. कोई भी भारतीय थिएटर से बाहर जाए तो उसे एहसास हो कि इस फैसले के लिए कितनी कुर्बानियां दी गयी और यह फैसला कैसे लिया गया.
क्या आप आगे भी ऐसी विषयों को अपने निर्देशन में प्राथमिकता देते रहेंगे?
मुझे लगता है कि किसी फिल्म में मैं एंटरटेनमेंट के साथ इम्पैक्ट भी अगर दे पा रहा हूं, तो वह मेरी असली कामयाबी होगी. मैं आपसे ढाई घंटे की इन्वेस्टमेंट लें रहा हूं, तो कहीं ना कहीं मुझे इम्पैक्ट लाना है. आपको छू जाने वाली चीज कुछ तो होनी चाहिए. मैं बताना चाहूंगा कि मेरी शार्ट फिल्मों के विषय भी बहुत हैवी थे. एक बंटवारे पर था. एक स्टील बर्ड पर था. एक जनरेशन गैप पर था, जो लोगों को कनेक्ट हो रहे थे. नेशनल अवार्ड से ज्यादा मेरे लिए ये मायने रखता है कि लोग आ कर मेरे पास रो रहे थे. कोई कह रहा था कि मैं सो नहीं पाया. ऐसे जब आप एक लाइफटाइम को प्रभावित कर सकते हो, तो असली खुशी वही होती है.