एशियाई खेलों 2023 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की सफलता ने महान फॉरवर्ड धनराज पिल्लै को 1998 की जीत याद दिला दी और उन्होंने कप्तान हरमनप्रीत सिंह की तारीफ करते हुए उन्हें भारतीय हॉकी का महेंद्र सिंह धोनी करार दिया है.
भारत ने एशियाई खेलों में जापान को हराकर जीता गोल्ड
भारत ने हांगझोउ में फाइनल में गत चैम्पियन जापान को 5-1 से हराकर एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और पेरिस ओलंपिक के लिये भी क्वालीफाई किया. 1998 बैंकाक एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान रहे धनराज ने कहा , मुझे खुशी इस बात की है कि हम पूरी तरह दबदबा बनाकर चारों क्वार्टर में उनसे बेहतर खेले. फाइनल में 5-1 से जीतना आसान नहीं होता. पिछली बार इसी जापान टीम ने हमें हराया था. चार ओलंपिक, चार विश्व कप, चार एशियाई खेल और चार चैम्पियंस ट्रॉफी खेल चुके 55 वर्ष के इस धुरंधर ने हांगझोउ खेलों में सर्वाधिक 13 गोल करने वाले हरमनप्रीत की तारीफ करते हुए कहा , बहुत हद तक हरमनप्रीत की कप्तानी को भी श्रेय जाता है. वह भारतीय हॉकी का महेंद्र सिंह धोनी है. अपना काम करता है और पीछे से गाइड करता रहता है. जज्बात उस पर हावी नहीं होते और दबाव में भी शांत रहता है.
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एशियाई खेलों के हॉकी फाइनल को देखकर धनराज को याद आया 1998
धनराज ने कहा , इस टीम में श्रीजेश (पीआर) , मनप्रीत (सिंह) , ललित (उपाध्याय) , रोहिदास (अमित) जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने बहुत अच्छा तालमेल बनाया. मुझे फाइनल देखते हुए 1998 याद आ गया. यह जीत इतिहास में लिखी जायेगी. लड़के एकजुट होकर खेले और इतने गोल किये. धनराज की कप्तानी में 1998 एशियाई खेलों के फाइनल में दक्षिण कोरिया को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से हराया था. कोरिया के बढ़त लेने के बाद निर्धारित समय में धनराज के गोल पर ही भारत ने बराबरी की थी. उन्होंने कहा , 1998 में मेरे पास ऐसी ही मजबूत टीम थी. आशीष बलाल और एबी सुबैया जैसे अनुभवी गोलकीपर थे. फुलबैक में लाजरूस बारला, दिलीप टिर्की , डिफेंस में संदीप सोमेश, बलबीर सिंह सैनी , मोहम्मद रियाज थे तो फारवर्ड लाइन में मुकेश कुमार, मैं , समीर दाद , बलजीत ढिल्लों जैसे खिलाड़ी थे. उन्होंने कहा , जब भारतीय टीम कल पोडियम पर स्वर्ण पदक पहने खड़ी थी तो मैं 25 साल पीछे चला गया. पदक जीतने के बाद मैं सुबैया और बलाल को पकड़कर मैं रो रहा था.
धनराज ने की दुआ, भारतीय टीम हांगझोउ से ही पेरिस का टिकट कटा ले
धनराज ने कहा , मुझे 19 साल हो गए हॉकी छोड़े लेकिन हॉकी को फॉलो करना नहीं छोड़ा. मैंने बहुत सारे स्टेडियम में तिरंगा हाथ में लेकर मैदान का चक्कर काटा है. तिरंगे को देखते हुए टीम जब राष्ट्रगान गाती है तो अलग ही माहौल होता है. एक खिलाड़ी ही समझ सकता है कि उस समय खिलाड़ी के मन में क्या चलता है. कई ओलंपिक क्वालीफायर से गुजर चुके धनराज ने कहा कि वह यही दुआ कर रहे थे कि भारतीय टीम हांगझोउ से ही पेरिस का टिकट कटा ले. उन्होंने कहा , एशियाड के जरिये ओलंपिक क्वालीफाई करने से बहुत राहत मिलती है. क्वालीफाइंग का दबाव इतना रहता है कि तैयारियों पर फोकस नहीं कर पाते. मुझे पुराने ओलंपिक क्वालीफायर याद आ रहे थे और मैं यही प्रार्थना कर रहा था कि हम हांगझोउ से ही क्वालीफाई कर लें.
धनराज ने भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक के लिए दी सलाह
ओलंपिक के लिये टीम को इससे दुगुनी तैयारी की सलाह देते हुए इस दिग्गज ने कहा , मैं यही कहूंगा कि अभी तक जो तैयारी आपने की है ,उससे दुगुनी तैयारी ओलंपिक के लिये करनी होगी. वहां विश्व चैम्पियन टीमों से , आस्ट्रेलिया , नीदरलैंड , जर्मनी जैसी टीमों से खेलना है. उन्होंने कहा , इसके अलावा यह भी दबाव भी रहेगा कि पदक का रंग बदलना है. पिछला कांस्य था तो अब रजत या स्वर्ण जीतने का दबाव होगा. बाहर क्या बातें हो रही है , उसे नजरंदाज करके सिर्फ खेल पर फोकस रखें. चोटों से बचकर रहना बहुत जरूरी है.