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11 नवंबर को भव्य दीपोत्सव का कार्यक्रम अयोध्या में आयोजित करना प्रस्तावित है
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इस वर्ष दीपोत्सव 11 नवंबर 2023 शनिवार को मनाया जाएगा
Ayodhya Deepotsav 2023: अयोध्या, दीपोत्सव पर रघुकुल नन्दन रामलला की अयोध्या को पूरी दुनिया देखेगी, अवध विवि के फाइन आर्ट विभाग के 170 विार्थी थ्री डी इम्पैक्ट पर अयोध्या की कहानी को कलाकृतियों के रूप में पांच हजार वर्गफिट में उकेरेंगे जिसे ड्रोन कैमरे के जरिए ली गई तस्वीरों का सीधा प्रसारण होगा और दुनियाभर के लोग घर बैठे देख सकेंगे. 21 लाख दिए जलाकर नया विश्व रिकॉर्ड बनेगा.
#WATCH | Lucknow, UP: On Ayodhya Deepotsav, UP Minister Jaiveer Singh says, "On November 11, grand Deepotsav will be organized in Ayodhya… Every year, we try to make new records. This time we will light more than 21 lakh diyas to break our own record… Ram Leela will be… pic.twitter.com/ZAOYrk8h4d
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 1, 2023
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ’11 नवंबर को भव्य दीपोत्सव का कार्यक्रम अयोध्या में आयोजित करना प्रस्तावित है. हम हर साल नए रिकॉर्ड बनाने की कोशिश करते हैं. पिछले साल हमने 17 लाख से ज्यादा दीये जलाकर गीनीज वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम नाम दर्ज करवाया था. इस बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए हम 21 लाख दीये जलाने का काम करेंगे.’
22 जनवरी तक होगी रामलीला
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तक विभिन्न राज्यों और देशों की टीमों द्वारा राम लीला प्रस्तुत की जाएगी. और वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी भक्त को कोई समस्या या असुविधा न हो. वहीं सरयू नदी में क्रूज, लेजर शो, लाईट एंड साउंड का कार्यक्रम बेहतर किए जाने के काम किए जाएंगे.
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित ऐतिहासिक शहर अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जाता है. अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है और हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका महत्वपूर्ण महत्व है. इसका आयोजन दीपोत्सव दिवाली के त्योहार के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर हिंदू चंद्र कैलेंडर के आधार पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है. इसे छोटी दिवाली या दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. चंद्रमा के चक्र के आधार पर, प्रत्येक वर्ष विशिष्ट तिथि बदलती रहती है. इस वर्ष दीपोत्सव 11 नवंबर 2023 शनिवार को मनाया जाएगा.
अयोध्या में घूमनें की जगह
श्री राम जन्मभूमि मंदिर
श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या नगरी में स्थापित है. यह मंदिर भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है और हिन्दू धर्म के एक पवित्र और धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण बारहवीं शताब्दी में हुआ था, परंतु इसके दौरान कई बार इसके बाहर बदलाव हुआ है. 1528 में मुग़ल सम्राट बाबर के द्वारा इस स्थान पर एक मस्जिद बनाई गई थी, जिसके परिणामस्वरूप हिंदू समुदाय ने इसे अपने धार्मिक स्थल के रूप में खो दिया था. लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भगवान राम के जन्मस्थल पर अयोध्या राम मंदिर बनाने की मंजूरी मिली और इसका भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था. इसके निर्माण का काम विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. मंदिर के भवन का शैली स्थानीय संस्कृति के अनुसार बनाया गया है.
कनक भवन मंदिर
कनक भवन मंदिर अयोध्या का सबसे फेमस मंदिर है. अगर आप यहां घूमने आ रहे हैं ते कनक भवन मंदिर जरूर जाए. क्योंकि यह भगवान राम के प्रतिष्ठान के रूप में प्रसिद्ध है. यह मंदिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था. मंदिर के नाम का “कनक” शब्द भगवान राम की विशेषता को दर्शाता है, क्योंकि इस मंदिर के मूर्तियां स्वर्णिम चित्रकारी से सजायी गई है. कनक भवन मंदिर में भगवान राम और सीता जी की मूर्तियां स्थापित हैं. यहां हमेशा भक्ति और श्रद्धा से भारी भक्तों की भीड़ रहती है.
हनुमान गढ़ी
हनुमान गढ़ी अयोध्या में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. यह गुफा मंदिर हनुमान जी को समर्पित है. हनुमान गढ़ी मंदिर भगवान हनुमान के इतिहास, कथाएं और कृतियों से संबंधित है. यह मंदिर अयोध्या में स्थित होने के कारण राम भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक तीर्थस्थल है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की भव्य मूर्ति स्थापित है. हनुमान गढ़ी अयोध्या में विशेष धार्मिक और पर्वों पर भक्तों का स्वागत किया जाता है. यहां पर भक्तों को आध्यात्मिक सुकून मिलता है और उन्हें अपने आसपास की शांति और सुंदरता का आनंद लेने का मौका मिलता है.
तुलसी स्मारक भवन
अयोध्या में स्थित तुलसी स्मारक भवन काफी फेमस है. यह महाकवि तुलसीदास को समर्पित है. यह स्मारक भवन तुलसीदास जी के सम्मान में बनाया गया है, जो ‘रामचरितमानस’ नामक महाकाव्य के लेखक हैं. तुलसी स्मारक भवन उस जगह पर स्थित है जहां तुलसीदास जी का निवास था और जहां से उन्होंने ‘रामचरितमानस’ लिखने का कार्य किया था. इस स्थान पर तुलसीदास जी ने भगवान राम के भक्ति-भावना से भरी कविताएं और दोहे रचे थे, जो भारतीय संस्कृति और साहित्य के अमूल्य धरोहर हैं. इस भवन में तुलसीदास जी की मूर्ति और स्मारक स्थापित है, जिसे लोग उनके सम्मान में पूजा-अर्चना करते है. यहां विभिन्न काव्य और ग्रंथों में तुलसीदास जी की महिमा का वर्णन किया गया है.