आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘ड्रीम गर्ल 2’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. यह फिल्म 2019 में रिलीज ‘ड्रीम गर्ल ’ का सीक्वल है. आमतौर पर कंटेंट सिनेमा का चेहरा रहे आयुष्मान खुराना के करियर की यह पहली कमर्शियल फिल्म थी. इसके अलावा, यह उनकी सबसे कमाई करने वाली फिल्म भी थी. आयुष्मान बताते हैं कि मेरे पास कमर्शियल फिल्में नहीं आती थीं. हमेशा कंटेंट प्रमुख फिल्में की है, जिसमें कुछ सोशल मैसेज होता था. ‘ड्रीम गर्ल’ से अलग तरह के दर्शकों से मुझे जुड़ने का मौका मिला था. अब उम्मीद है कि ‘ड्रीम गर्ल 2’ को भी उसी तरह का प्यार मिलेगा.
पूजा के किरदार में आने से पहले आपके जेहन में क्या सोच थी?
(हंसते हुए ) यही मेरी सोच थी कि मैं सभी एक्ट्रेसेज की रातों की नींद हराम कर सकूं. मैं चाहता हूं कि बेस्ट एक्ट्रेसेज की कैटेगरी में मेरा इस बार चयन हो और मैं जीत भी जाऊं. खैर, मैं एक इंटरटेनिंग फिल्म का हिस्सा बनना चाहता था. मैं चाहता हूं कि यह फिल्म दर्शकों का खूब मनोरंजन करे और यही सोचकर मैं इस फिल्म से जुड़ा.
पूजा के किरदार के लिए शारीरिक तौर पर खुद में कितना चेंज लाया?
पूजा के किरदार के लिए मैंने दस किलो वजन कम किया और फिर पैडिंग डालकर काम किया. वीएफएक्स की भी अपनी अहमियत है. वैसे बॉडी तो मिल जायेगी, पर आप अदाएं कहां से लेकर आओगे, तो उस पर काम किया. अपने अंदर के फीमेल साइड को बाहर निकाला. थिएटर में जो काम किया था, वो काम आया. साथ ही रेडियो में भी बहुत आवाज बना बनाकर काम किया, तो वो भी काम आया.
लड़की के गेटअप में आने में कितना समय लगता था और क्या चुनौतियां होती थीं?
पूरा लुक लेने में ढाई घंटे लग जाते थे, जबकि फिल्म की अभिनेत्री अनन्या 45 मिनट में ही तैयार हो जाती थी. वैसे एक एक्टर के तौर पर आपको जितना गेटअप बदलने का मौका मिलता है, उतना ही यह मजेदार होता है, क्योंकि आप हर फिल्म में कुछ अलग करना चाहते हैं. इस बार मौका मिला, तो मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी. हां, मुश्किल तो होती है गर्मियों के मौसम में, जब तापमान 40 से 45 रहता है. उसमें मेकअप और हेयर किया. पैडेड वाले कपड़े पहने. हर तीन घंटे में शेविंग करनी पड़ती थी. फिर से पूरा मेकअप करना पड़ता था. कुलमिलाकर ये सब इतना आसान नहीं था.
आपको महिलाओं के मेकअप के बारे में क्या अलग मालूम पड़ा?
मुझे आंखों के मेकअप के बारे में काफी कुछ पता चला. आंखों का मेकअप साड़ी के रंग से मेल होना चाहिए. यह मुझे इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मालूम पड़ा.
खुद के अंदर फेमिन साइड को बाहर लाने में क्या अपने आसपास की महिलाओं से आपने टिप्स ली है?
मेरे इर्द-गिर्द बहुत ही स्ट्रांग महिलाएं रही हैं. मेरी पत्नी, मेरी मैनेजर, मेरी नायिकाएं, तो कहीं ना कहीं आपके अंदर एक फेमिनिस्ट की भी भावना आ ही जाती है. एक एक्टर के तौर पर आप उन्हें ऑब्जर्व करते हैं. वैसे हर एक मर्द में एक फेमिनिन एनर्जी होती है और अगर हम उसको जिंदा रखेंगे, तो हमारा समाज सुधर सकता है. एक धैर्य जो औरतों में होती है, वो समाज की जरूरत है, इसलिए हमेशा उसे रखना चाहिए. मेल एनर्जी को खुद पर हावी होने नहीं देना चाहिए, वरना समाज का संतुलन खराब होगा.
अबतक पर्दे पर कई अभिनेताओं ने महिलाओं के किरदार निभाएं हैं. किसी खास से आप प्रभावित रहे हैं?
जिन एक्टर्स ने पर्दे पर फीमेल की भूमिका निभायी है, मैं उनसे प्रभावित नहीं हुआ हूं. मैं हेमा मालिनी जी और माधुरी दीक्षित से प्रभावित हुआ हूं. मुझे लगता है कि उनकी अदाएं और नखरों को अगर पर्दे पर लाया जा सके, तो वो ज्यादा खूबसूरत होगा.
यह कॉमेडी फिल्म है. क्या कभी सीरियस मुद्दे पर बनी किसी फिल्म में ट्रांसजेंडर का रोल निभा सकते हैं?
हां, क्यों नहीं. मैं हमेशा ही अलग-अलग किरदार करना चाहता हूं, पर मैं यह भी कहूंगा कि अगर भविष्य में कोई फिल्म ट्रांसजेंडर पर बन रही है, तो पर्दे पर उसे दर्शाने के लिए ट्रांसजेंडर एक्टर को ही लेना चाहिए. इससे विषय के साथ और न्याय होगा.
फिल्म में आपका किरदार पैसों को बहुत अहमियत दे रहा है. निजी जिंदगी में आपके लिए महत्वपूर्ण कौन है?
मेरे लिए हमेशा ही लक्ष्मी से पहले सरस्वती आती है. अगर मैं सरस्वती के प्रति ईमानदार रहूंगा, तो लक्ष्मी अपने आप ही आ जायेगी.
आपकी पिछली फिल्म एक्शन हीरो को क्रिटिक्स का प्यार मिला था, पर सिनेमाघरों में यह फिल्म नहीं चल पायी थी?
आपको अलग-अलग किरदार करने को मिल रहा है और अमेजिंग कहानियां भी कहने को मिल रही हैं. इसके अलावा, बेहतरीन टीम का भी साथ मिल रहा है. अपना काम आप शिद्दत से निभा रहे हैं, तो आप उन असफलताओं के बावजूद खुद को विनर ही समझते हैं. कुछ चीजें आपके हाथ में नहीं होती हैं.
गदर 2’ धूम मचा रही है. क्या आपकी फिल्म को नुकसान पहुंच सकता है?
‘गदर 2’ तो सभी सीक्वल फिल्मों की मदर बन गयी है, पर मैं डरने से ज्यादा इसे सकारात्मक ढंग से ले रहा हूं कि लोग थिएटर में आने लगेंगे.