20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Azadi ka Amrit Mahotsav: पीपल के पेड़ पर तिरंगा फहरा कर हरिवंश टाना भगत ने आजादी का किया था ऐलान

हम आजादी का अमृत उत्सव मना रहे हैं. भारत की आजादी के लिए अपने प्राण और जीवन की आहूति देनेवाले वीर योद्धाओं को याद कर रहे हैं. आजादी के ऐसे भी दीवाने थे,जिन्हें देश-दुनिया बहुत नहीं जानती़ वह गुमनाम रहे और आजादी के जुनून के लिए सारा जीवन खपा दिया.झारखंड की माटी ऐसे आजादी के सिपाहियों की गवाह रही है.

आजादी का अमृत महोत्सव: महात्मा गांधी के अनन्य भक्तों में से एक स्वतंत्रता सेनानी हरिवंश टाना भगत का जन्म 15 जनवरी 1905 को मांडर के करकरा गांव में हुआ था. वह महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में भी शामिल रहे थे. महात्मा गांधी के निर्देश पर वह वर्ष 1942 में कांग्रेस कमेटी के सचिव बने. हरिवंश टाना भगत के पोते श्याम किशोर भगत के अनुसार, उनके दादा की मृत्यु 26 फरवरी 1996 को हुई थी. मृत्यु से पूर्व उन्होंने आजादी के आंदोलन व टाना भगतों की जीवनशैली से जुड़ी एक किताब लिखी थी. इसमें संघर्ष का विस्तार से उल्लेख है. पोते ने बताया कि अंग्रेजों ने चान्हो के सोनचीपी स्थित टाना आश्रम में जबरन ताला लगा दिया था. इसकी जानकारी मिलने पर हरिवंश टाना भगत ने छह लोगों के साथ मिलकर पहले सिपाही को वहां से खदेड़ा और आश्रम में लगे ताला को तोड़ दिया. इसे लेकर वह पहली बार जेल गये. इसके बाद मांडर थाना व पोस्ट ऑफिस पर कब्जा व रेलवे लाइन को उखाड़ फेंकने का आंदोलन हुआ.

इसको लेकर सोमा टाना भगत व हरिवंश टाना भगत को गुड़गुड़ जाड़ी गांव से डीएसपी ने 12 बजे रात को घेराबंदी कर पकड़ लिया. इन्हें दो वर्ष की सजा सुनायी गयी. इस दौरान वह रांची और भागलपुर जेल में रहे. जेल से छूटने के बाद वह फिर से स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाते रहे. उन्होंने 23 जनवरी 1943 को आजादी का ऐलान कर दिया और 26 साथियों के साथ गांव में एक पीपल पेड़ के ऊपर तिरंगा फहराया और अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा लगाया. पांच बजे भोर में झंडा फहराने के बाद अपने साथियों के साथ रांची में अंग्रेजो भारत छोड़ो के जुलूस में शामिल हुए. रांची में ही शाम को छह बजे पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया. सभी को दो वर्ष की सजा हुई. तब रांची जिला में 250 लोग राजनीतिक बंदी बनाये गये थे.

1963 तक मुखिया रहे हरिवंश टाना भगत

हरिवंश टाना भगत 1948 से 63 तक मुखिया भी रहे. स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान को लेकर 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन्हें ताम्रपत्र से सम्मानित किया था और स्वतंत्रता सेनानी पेंशन की मंजूरी दी थी. हरिवंश टाना भगत के सम्मान में रांची के मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एक स्टेडियम का नामकरण किया गया है. साथ ही मांडर के कंदरी चौक में उनकी प्रतिमा की स्थापना की गयी थी. लेकिन एनएच 75 के चौड़ीकरण के दौरान उसे वहां से उखाड़कर फेंक दिया गया और वह प्रतिमा अब उनके घर में धूल फांक रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें