बसंत पंचमी के अवसर पर बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव का कार्यक्रम पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास पर आयोजित किया गया. डॉ. कुलपति तवारी ने विधिवत पूजा पाठ कर महादेव का स्नान कराया और उन्हें वस्त्र भी पहनाए. बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव की तैयारियां सुबह मंगला आरती के साथ ही शुरू हो गई और शाम के समय बाबा विश्वनाथ ने अपने भक्तों को दामाद के रूप में दर्शन दिए.
वहीं नगर के साहित्यकार, उद्यमी और अन्य गणमान्य नागरिक देवी पार्वती के मायके वालों की भूमिका का निर्वहन करेंगे. इसी के साथ ही काशी में गौरा और बाबा विश्वनाथ के महाशिवरात्रि पर होने वाले शुभ विवाह की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गई.
धार्मिक परंपराओं के अनुसार 356 वर्ष पुरानी तिलक की रस्म में पहुंचने वाली बाबा की पंचबदन रजत प्रतिमा को तिलकोत्सव रस्म अदायगी के लिए टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर लाकर उत्सव प्रारम्भ किया गया था. भोर में 04:00 से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई. इसके बाद प्रात: 06:00 से 08:00 बजे तक ब्राह्मणों की ओर से चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया गया. सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया. बाद में पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से 8:30 से 11:30 बजे तक रुद्राभिषेक संपन्न किया गया. इसके बाद पुनः बाबा को स्नान कराया गया. मध्याह्न भोग अर्पण और आरती की गई. तिलकोत्सव के मंगल गीत महिलाओं की ओर से गाये गए.
वहीं 02:30 से 04:45 बजे तक श्रृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए. इस बीच वाचस्पति तिवारी एवं संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हा के रूप में श्रृंगार किया. 04:45 से 05:00 बजे तक संध्या आरती और भोग के बाद सायं पांच बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए. इसके बाद भक्तों ने बाबा का दूल्हा स्वरूप में दर्शन किया. बाबा के राजसी श्रृंगार का दर्शन करने के उपरांत 7 बजे सायंकाल लग्नानुसार बाबा का तिलकोत्सव आरंभ हुआ.
काशीवासियों ने शाम के समय परंपरानुसार शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की रस्म शुरू की. सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर समाजसेवी केशव जालान काशीवासीयों की ओर से बाबा को तिलक चढ़ाया. इसी के साथ ही महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह की तैयारिया नगर में प्रारंभ हो गई.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी