पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोलकाता आधारित सालारपुरिया सत्व समूह के महानगर व शिलांग के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया. अभियान के तहत समूह के 316 बैंक खातों में पड़े 49.99 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस को कुर्क कर दिया गया, साथ ही समूह के अलग-अलग परिसरों मेें तलाशी अभियान चलाकर करीब 29 लाख रुपये की नकदी जब्त की गयी है. इसके अलावा विदेशी मुद्राएं (अलग-अलग देशों के) भी जब्त किया गया है, जिसके परिमाण की गणना जारी है.
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यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत की गयी है. सालारपुरिया सत्व समूह रियल एस्टेट समेत अन्य कारोबार से जुड़ा हुआ है. ईडी की ओर से बताया गया कि हीरा समूह से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच में केंद्रीय जांच एजेंसी को पता चला कि करीब 41 करोड़ रुपये की अपराध आय को बेंगलुरू की एक कंपनी नीलांचल टेक्नोक्ट्रैस प्राइवेट लिमिटेड (सालारपुरिया सत्व समूह से जुड़ी) और कोलकाता व शिलांग में पंजीकृत कई अन्य शेल कंपनियों को स्थानांतरित किया गया था. सालारपुरिया सत्व समूह का नियंत्रण विजय कुमार अग्रवाल के हाथ में है.
केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, अग्रवाल और समूह के निदेशक प्रदीप धांधनिया और अश्विन संचेती ने हैदराबाद के तोलीचौकी में एक भूमि पार्सल के लिए अचल संपत्ति सौदे पर बातचीत की और अपराध की आय को शेल संस्थाओं को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. जांच में अलग-अलग शेल कंपनियों और उनके द्वारा अवैध राशि के ट्राजैक्शन से संबंधित तथ्य भी मिले हैं. ईडी के अभियान के दौरान यह पता चला कि इन फंडों को सालारपुरिया सत्व समूह ने अपने एनबीएफसी के माध्यम से पंजीकृत कंपनियों के माध्यम से वापस प्राप्त किया.
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ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि सालारपुरिया सत्व समूह के निदेशक इन लेन-देन के व्यावसायिक औचित्य और कोलकाता और शिलांग की मुखौटा कंपनियों के माध्यम से अपराध की आय को वापस प्राप्त करने संबंधित प्रश्नों का वाजीब जवाब नहीं दे पाये हैं. फिलहाल ईडी की जांच जारी है और इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी जल्द फिर अभियान चला सकती है.
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रिपोर्ट : अमित शर्मा कोलकाता