बरेली : दरगाह शाह शराफत मियां के सज्जादानशीन शाह मुहम्मद सकलैन मियां का रविवार को गमजदा माहौल में सुपुर्द- ए-खाक हो गया.इसमें देश- विदेश से लाखों अकीदतमंद आखिरी दीदार को पहुंचे थे.उन्होंने शहर के इस्लामियां इंटर कॉलेज के मैदान में नमाज ए जनाजा अदा की.इसके बाद शाह मुहम्मद सकलैन मियां की मगफिरत को दुआएं की गई. शाह शराफत मियां के मजार के पास में ही शाह मुहम्मद सकलैन मियां को दफन किया गया.दरगाह शाह शराफत मियां के सज्जादानशीन शाह मुहम्मद सकलैन मियां का शुक्रवार देर शाम इंतकाल (निधन) हो गया था.उनके जनाजे की नमाज इस्लामिया मैदान में अदा कराई गई.जनाजे को वाहन (छोटे हाथी) से दरगाह शाह शराफत मियां से इस्लामिया मैदान लाया गया था.इस दौरान लाखों लोगों का हुजूम रास्ते भर जनाजे के साथ चला.मियां हुजूर के जनाजे का आखिरी दीदार कर घरों की छतों पर खड़ी महिलाएं रोने बिलखने लगीं.रास्ते भर हर कोई गमजादा नजर आया.इस्लामिया मैदान जनाजे के पहुंचने से पहले ही पूरा भर चुका था.जनाजे की नमाज सकलैन मियां के जानशीन अलहाज गाजी सकलैनी ने अदा कराई.इसमें देश भर से अकीदतमंद शामिल होने को पहुंचे थे.उनके इंतकाल के बाद से ही अकीदतमंदों में काफी गम ( शोक) था.अकीदतमंद कुरान की तिलावत करने में जुटे हैं.शाह मुहम्मद सकलैन मियां के सुपुर्द ए खाक में यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अजय राय भी आधी रात को बरेली पहुंचे थे.इसके साथ अन्य सियासी संगठन के नेता, और कार्यकर्ता भी शामिल हुए.
इस्लामिया मैदान भरा होने के कारण नवल्टी चौराहा, नोमहला, राजकीय इंटर कालेज, जिला पंचायत रोड, कुतुबखाना तक लोग सफे (कतार) बनाकर खड़े हो गए, और नमाज अदा की. इसके बाद जनाजे को वापस आस्ताने लाया गया. आस्ताने के अंदर शराफत मियां की मजार के ठीक बराबर में पीरो मुरशिद सकलैन मियां को सुपुर्दे खाक किया गया.
Also Read: MP Election : सपा के पूर्व मंत्री ने राहुल गांधी को कहा मूर्ख – वंशहीन, सीट शेयरिंग पर SP – कांग्रेस भिड़े..
हजरत शाह मुहम्मद सकलैन मियां की पैदाइश (जन्म) बदायूँ के मशहूर कस्बा “ककराला” में 19 रबिउस्सानी 1366 हिजरी मुताबिक यानी 13 मार्च 1947 को जुमेरात के दिन हुई थी.आपका खानदान हमेशा से इल्म ओ अमल, समाज सेवा, गरीबों ज़रूरतमंदों की मदद करने में शमिल रहा है.आपके वालिद, दादा, नाना, मामू आदि सभी इलाक़े के इज़्ज़ततदार, दीनदार, जिम्मेदार लोग रहे हैं.आपकी शुरुआती तालीम (शिक्षा) वालिदा मोहतरमा, वालिद मोहतरम से हासिल की. इसके बाद मुकम्मल तालीम ओ तरबियत, इल्मे ज़ाहिर ओ बातिन की अपने पीरो मुरशिद दादा हुज़ूर हज़रत किब्ला शाह मौलाना शराफ़त अली मियां से हासिल फरमाई.पीरो मुरशिद हज़रत किब्ला शाह मौलाना शराफ़त अली मियां ने आपको 17 साल की उम्र में सन् 1964 ईस्वी में सिलसिले की इजाज़त ओ खिलाफ़त से नवाज़ा था.आपको 22 साल की उम्र में यानी 1969 में हज़रत पीरो मुरशिद शाह मौलाना शराफ़त अली मियां के विसाल के बाद ख़ानक़ाह शराफतिया के सज्जादानशीन हुए.वह गरीबों को हर समय खाना खिलाते थे.इसके साथ ही हिंदुस्तान भर में गरीब लड़कियों की शादी ब्याह कराके उनके घर बसाना आपका मशहूर वस्फ (काम) था.मुसीबत ज़दा, और परेशान हालों की आप बड़ी दिलजोई से फरयाद सुनते, और अपने दुआओं व फैज़ान से खूब नवाज़ते थे.आपने सिलसिला ए कादिरिया मुजद्दिदया के फरोग ओ तरक्की के लिए बड़ी सख़्त मेहनतें, मुजाहिदे किए कि मौजूद वक्त में पूरी दुनिया में ये सिलसिला एक मुस्तकिल सिलसिला ए सकलैनिया की शक्ल इख्तियार कर गया.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद