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आईआईटी कानपुर में बसंत काव्योत्सव का आयोजन, इन कार्यक्रमों ने जीता लोगों का दिल

प्रोफेसर भारत लोहानी ने हास्य-परिहार से प्रारम्भ करके ओज से परिपूर्ण रचना ‘हिंदुस्तान जाग रहा है’ के पाठ से नवयुवकों ओर श्रोताओं में जोश भर दिया. संस्थान के कर्मचारी राजेश श्रीवास्तव और अनिल पांडे की हास्य रचनाओं और प्रस्तुतियों नें श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया.

Kanpur News: आईआईटी कानपुर के आउटरीच ऑडिटोरियम में राजभाषा प्रकोष्ठ, विद्यार्थी हिन्दी साहित्य सभा एवं शिवानी केंद्र के तत्वाधान में बसंत काव्योत्सव का आयोजन बड़े धूम-धाम से किया गया. श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में संस्थान के कवि मनीषियों यथा- संकाय-सदस्यों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों ने स्व-रचित छंदों, कविताओं, फाग, ग़ज़ल को प्रस्तुत करके श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया.

कार्यक्रम का शुभारंभ आयोजन के मुख्य अतिथि एवं संस्थान के कुलसचिव कृष्ण कुमार तिवारी तथा राजभाषा प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रोफेसर अर्क वर्मा के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया. इसके बाद प्रोफेसर अर्क वर्मा और डॉ वेदप्रकाश सिंह ने सभी कवियों/कवियत्रियों का स्वागत किया.

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काव्य पाठ का शुभारम्भ ज्योति कुबेर ने अपनी कविता ‘मन’ से किया जो उम्र के हर पड़ाव में मानसिक बदलाव की व्याख्या करती हुई एक सुंदर रचना थी. उसके बाद प्रोफेसर संतोष मिश्र द्वारा बसंत ऋतु में स्वतः प्रसूत प्रेम-भाव का उदात्त चित्रण बहुत ही लुभावना रहा. प्रोफेसर समीर खांडेकर ने समाज में फैले अमीर और गरीब के जीवन के कुछ मर्मों को बहुत खूबसूरती से उकेरा. साथ ही ‘बीबी को बेसन पसंद है’ व्यंग्य के माध्यम से बेसन से बनने वाले लगभग 60 तरह के व्यंजनों के वर्णन से लोगों को गुदगुदाया.

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प्रोफेसर भारत लोहानी ने हास्य-परिहार से प्रारम्भ करके ओज से परिपूर्ण रचना ‘हिंदुस्तान जाग रहा है’ के पाठ से नवयुवकों ओर श्रोताओं में जोश भर दिया. संस्थान के कर्मचारी राजेश श्रीवास्तव और अनिल पांडे की हास्य रचनाओं और प्रस्तुतियों नें जहां श्रोताओं को ठहाके लगाने पर बाध्य किया तो वहीं शिप्रा सिंह ने अपनी कविताओं और फाग से श्रोताओं को गांव से जोड़ा.

विद्यार्थियों में मनीष चंद्र यादव की गजल ने धूम मचा दी, तो वहीं रूपम जैन के व्यंग्य, यश श्रीवास्तव की सूक्ष्म संवेदना को छूती हुई कविता, आकाश मिश्र की समाज को सीख देती रचना ‘सीता’ व ज्योति यादव की शायरी और कृष्ण-प्रेम में रची-पगी रचनाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. बीच बीच में डॉ वी पी सिंह ने अपने क्षेपकों से श्रोताओं को खूब हंसाया.

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