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Basant Panchami 2023 Puja Vidhi Live Updates: सरस्वती मां की इस विधि से करें पूजा, शुभ मुहूर्त, मंत्र, डिटेल

Basant Panchami 2023 Live Updates: माघ शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व होता है.इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं और ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है, इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं. साथ ही मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और एकाग्रता बढ़ती है. यहां जाने बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

लाइव अपडेट

सरस्वती पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए.

इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.

श्रद्धा पूर्वक भक्ति भाव से पूजा करने से मां शारदे मनोकाना पूर्ण करती हैं. विद्या का वरदान देती हैं.

दीप लजाकर आरती करें. आरती गायें.

अंत में प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें.

सरस्वती पूजा सामग्री

पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक

सरस्वती पूजा के दिन दान करनी चाहिए ये चीजें

बसंत पंचमी के दिन विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा होती है. ऐसी जगहों पर जा कर कलम, दवात, पेन, पेंसिल, कॉपी किताब जैसी पढ़ाई से संबंधित वस्तुओं का दान कर अच्छा माना जाता है.

सरस्वती मां ध्यान मंत्र

या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा - वस्त्रावृता,
या वीणा - वार - दण्ड - मंडित - करा, या श्वेत - पद्मासना.
या ब्रह्माच्युत - शङ्कर - प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष - जाड्यापहा..

सरस्वती पूजा सामग्री

पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक

बसंत पंचमी आज का शुभ मुहूर्त

माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है.

Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी.इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं.उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी.तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था.यह देवी थीं मां सरस्वती, मां सरस्वती ने जब वीणा बजायी तो संसार की हर चीज में स्वर आ गया.इसी से उनका नाम मां सरस्वती पड़ा.कहा जाता है कि उस दिन बसंत पंचमी का दिन था.तभी से देव लोक और मृत्युलोक में इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा होने लगी.

Basant Panchami 2023: आज के दिन करें इन चीजों का दान

बसंत पंचमी के दिन विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा होती है. ऐसी जगहों पर जा कर कलम, दवात, पेन, पेंसिल, कॉपी किताब जैसी पढ़ाई से संबंधित वस्तुओं का दान कर अच्छा माना जाता है.

सरस्वती पूजा समाग्री

पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक

बसंत पंचमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के अवसर पर ही मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, तब पूरे संसार को वाणी और ज्ञान प्राप्त हुआ था. वसंत पंचमी को माता सरस्वती की जयंती होती है. इस दिन सरस्वती माता की पूजा स्कूलों में की जाती है. उनके ज्ञान और कला का आशीर्वाद लिया जाता है.

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है.

सरस्वती पूजा के दिन जाएं पंडाल घूमने


सरस्वती पूजा के दिन आप बच्चों के साथ बाहर भी घूमने जा सकती हैं. इस दिन पूजा करने के बाद कई लोग एक- दूसरे के घर भी जाते हैं. वहीं सरस्वती पूजा के दिन हम घर पर भी कई तरीके के पकवान बनाते हैं. सरस्वती पूजा के दिन सुबह पूजा के बाद अपने परिवार के साथ पंडाल भी जाते हैं.

सरस्वती पूजा में इन सामग्री का करें इस्तेमाल

पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक

वसंत पंचमी का महत्व


पौराणिक कथाओं के अनुसार, वसंत पंचमी के अवसर पर ही मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, तब पूरे संसार को वाणी और ज्ञान प्राप्त हुआ था. वसंत पंचमी को माता सरस्वती की जयंती होती है. इस दिन सरस्वती माता की पूजा स्कूलों में की जाती है. उनके ज्ञान और कला का आशीर्वाद लिया जाता है.

विद्या-दात्री माँ शारदा का निम्न मंत्र से ध्यान करना चाहिए

या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा - वस्त्रावृता,
या वीणा - वार - दण्ड - मंडित - करा, या श्वेत - पद्मासना.
या ब्रह्माच्युत - शङ्कर - प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष - जाड्यापहा..

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है.

बसंत पंचमी कथा

बसंत पंचमी की धार्मिक और पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी. इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं.उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. यह देवी थीं मां सरस्वती. मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया. इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती. यह दिन था बसंत पंचमी का. तब से मां सरस्वती की पूजा होने लगी.

सरस्वती पूजा का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के अवसर पर ही मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, तब पूरे संसार को वाणी और ज्ञान प्राप्त हुआ था. वसंत पंचमी को माता सरस्वती की जयंती होती है. इस दिन सरस्वती माता की पूजा स्कूलों में की जाती है. उनके ज्ञान और कला का आशीर्वाद लिया जाता है.

सरस्वती पूजा के दिन करें इन चीजों का दान

मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, गायन, वादन, स्वर की देवी माना जाता है इसलिए सरस्वती पूजा के दिन इनसे जुड़ी वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

सरस्वती पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है.

सरस्वती पूजा में इन सामग्री का करें इस्तेमाल

पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक

सरस्वती मंत्र

या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा - वस्त्रावृता,
या वीणा - वार - दण्ड - मंडित - करा, या श्वेत - पद्मासना.
या ब्रह्माच्युत - शङ्कर - प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष - जाड्यापहा.

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है.

सरस्वती पूजन का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी.इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं.उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी.तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था.यह देवी थीं मां सरस्वती, मां सरस्वती ने जब वीणा बजायी तो संसार की हर चीज में स्वर आ गया.इसी से उनका नाम मां सरस्वती पड़ा.कहा जाता है कि उस दिन बसंत पंचमी का दिन था.तभी से देव लोक और मृत्युलोक में इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा होने लगी.

बसंत पंचमी के दिन करें दान

बसंत पंचमी के दिन विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा होती है. ऐसी जगहों पर जा कर कलम, दवात, पेन, पेंसिल, कॉपी किताब जैसी पढ़ाई से संबंधित वस्तुओं का दान कर अच्छा माना जाता है.

बसंत पंचमी के दिन दान करें ये चीजें

मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, गायन, वादन, स्वर की देवी माना जाता है इसलिए सरस्वती पूजा के दिन इनसे जुड़ी वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

माघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है जोकि 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी.मान्यता है कि बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है.

सरस्वती पूजा में इन सामग्री का करें इस्तेमाल

पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक

बसंत पंचमी के अन्य नाम

बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आरंभ होता है. ऐसा माना जाता है कि इसके बाद सर्दियां समाप्त हो जाती है. इस दिन ज्ञान, संगीत की देवी की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है. इसलिए इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ रहता है.

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.

बसंत पचंमी कथा

बसंत पंचमी की धार्मिक और पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी. इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं.उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. यह देवी थीं मां सरस्वती. मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया. इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती. यह दिन था बसंत पंचमी का. तब से मां सरस्वती की पूजा होने लगी.

बसंत पंचमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के अवसर पर ही मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, तब पूरे संसार को वाणी और ज्ञान प्राप्त हुआ था. वसंत पंचमी को माता सरस्वती की जयंती होती है. इस दिन सरस्वती माता की पूजा स्कूलों में की जाती है. उनके ज्ञान और कला का आशीर्वाद लिया जाता है.

विद्या-दात्री माँ शारदा का निम्न मंत्र से ध्यान करना चाहिए

या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा - वस्त्रावृता,
या वीणा - वार - दण्ड - मंडित - करा, या श्वेत - पद्मासना.
या ब्रह्माच्युत - शङ्कर - प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष - जाड्यापहा.

सरस्वती पूजा के दिन बनवाएं पकवान

आपको बता दें कि सरस्वती पूजा भारत के लोग काफी खास तरीके से मनाते हैं. इस दिन तरह- तरह  के पकवान के साथ ही हम अपने घर में शाम की आरती भी करती हैं. ऐसे में हम जब एक-दूसरे के घर जाते हैं तो मिठाई भी लेकर जाते हैं. ऐसे में आप भी अपने परिवार के साथ इस तरीके से सरस्वती पूजा का आयोजन कर सकती हैं.

सरस्वती पूजा के दिन जाएं पंडाल घूमने

सरस्वती पूजा के दिन आप बच्चों के साथ बाहर भी घूमने जा सकती हैं. इस दिन पूजा करने के बाद कई लोग एक- दूसरे के घर भी जाते हैं. वहीं सरस्वती पूजा के दिन हम घर पर भी कई तरीके के पकवान बनाते हैं. सरस्वती पूजा के दिन सुबह पूजा के बाद अपने परिवार के साथ पंडाल भी जाते हैं.

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