Bengal Chunav, Kolkata news : कोलकाता : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय तथा सांसद व भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष सौमित्र खान ने रविवार को ‘चाकरी प्रतिश्रुति कार्ड’ (नौकरी वादा कार्ड) जारी किया. इसे जारी करते हुए सौमित्र खान ने बताया कि इसे भाजपा 75 लाख युवाओं तक पहुंचायेगी. उन्हें नौकरी दिलाने में सभी प्रकार की मदद का आश्वासन भी कार्ड में दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग धंधे नहीं हैं. यहां केवल बम उद्योग और पत्थरबाजी का उद्योग देखा जा सकता है. मुख्यमंत्री युवाओं को पकौड़ी की दुकान लगाने की सलाह देती हैं.
मुकुल रॉय ने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री ने बिजनेस के 9 सम्मेलन किये, लेकिन उसके बाद राज्य में कोई निवेश नहीं आया. मुख्यमंत्री को इस संबंध में श्वेतपत्र जारी करके यह बताना चाहिए कि इन 9 सम्मेलनों में कितने पैसे खर्च हुए और कितने पैसे राज्य में आये. राज्य के लाखों युवा दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश में जा रहे हैं. तृणमूल नेता विकास के लिए भेजे गये केंद्र के पैसों को लूट रहे हैं. आम जनता को सरकारी परिसेवा तभी मिल रही है जब उनका परिचय किसी तृणमूल नेता से हो.
उन्होंने यह भी कहा कि सिंगूर से टाटा को भगाना एक बहुत बड़ी भूल थी. संवाददाताओं से बातचीत में श्री राय ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए. यह उनका निजी मत है.
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वहीं, दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि वह चुनाव आयोग से अनुरोध करेंगे कि चुनाव से पहले ही राज्य में केंद्रीय बल की नियुक्ति की जाये. उन्होंने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री के इशारे पर आतंक फैलाया जा रहा है. मुख्यमंत्री समझ रही हैं कि उनकी कुर्सी खिसक रही है. लिहाजा वह किसी भी तरह अपनी कुर्सी को बचाना चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि बंगाल में आतंक की स्थिति है. वह चुनाव आयोग से अनुरोध करेंगे कि चुनाव का शांतिपूर्ण तरीके से आयोजन जरूरी है, इसलिए केंद्रीय बल की तैनाती की जाये. वहीं, इस संबंध में राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि भाजपा की केंद्र में सरकार है. उनके हाथों में अधिकार है. वह अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं. वह चाहे जो भी कर लें, बंगाल की जनता ममता बनर्जी के साथ है.
वहीं, माकपा नेता तन्मय भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव की घोषणा होने के बाद ही केंद्रीय बल पहुंचती है. चाहे राज्य सरकार का सुरक्षा बल हो या फिर केंद्र सरकार का, दोनों को ही संविधान के मुताबिक चलना चाहिए. राज्य का बल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारे पर काम करेगा और केंद्रीय बल अमित शाह के इशारे पर, यह नहीं होना चाहिए. दोनों को ही संविधान को मानते हुए चलना चाहिए. बल की नियुक्ति कभी भी हो, उसमें कोई समस्या नहीं है. केवल संविधान का पालन होना चाहिए.
Posted By : Samir Ranjan.