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Bengal Chunav : सीएम ममता ने शुभेंदु को क्यों कहा ‘मीर जाफर’, क्या सत्ता बदलाव की आहट है

Bengal Chunav, Kolkata news, कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को छोड़ हाल ही में भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी पर बड़ा हमला किया गया है. सीएम ममता ने शुभेंदु को 'मीर जाफर' कहा है. कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए सीएम ममता ने कहा कि बंगाल में शुभेंदु अधिकारी का कोई जनाधार नहीं है. ऐसे विश्वासघात सदियों से होते रहे हैं.

Bengal Chunav, Kolkata news, कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को छोड़ हाल ही में भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी पर बड़ा हमला किया गया है. सीएम ममता ने शुभेंदु को ‘मीर जाफर’ कहा है. कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए सीएम ममता ने कहा कि बंगाल में शुभेंदु अधिकारी का कोई जनाधार नहीं है. ऐसे विश्वासघात सदियों से होते रहे हैं.

बता दें कि मुकुल रॉय के बाद शुभेंदु अधिकारी पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस को छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. इसे ममता बनर्जी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, भाजपा चुनाव में लाभ मिलने की संभावना जता रही है. यही कारण है कि टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल होने पर टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी को मीर जाफर की संज्ञा दे रहे हैं. वहीं, पंचायत मंत्री सुब्रत ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी के दूसरी पार्टी में जाने की हमारे पास कुछ जानकारी थी. इसलिए टीएमसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि मीर जाफर के जाने पर कोई नहीं रोयेगा.

कौन है मीर जाफर

भारतीय इतिहास में बंगाल के नवाब के साथ विश्वासघात के लिए मीर जाफर को याद किया जाता है. मीर जाफर 1750 के दशक में बंगाल में सिराज-उद-दौला के नवाब के प्रति निष्ठा के साथ एक सैन्य कमांडर था. जब विस्तारवादी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने आज के बंगाल के नादिया जिले में प्लासी में बंगाल की नवाब की सेना के साथ युद्ध लड़ा, तो मीर जाफर ने प्लासी के युद्ध के बीच में पक्ष बदल दिया. इतिहासकार मीर जाफर को विश्वासघात के रूप में देखते हैं. इस युद्ध में बंगाल के नवाब की हार हुई और उनके क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी शासन के अधीन आ गये. इसी समय से मीर जाफर विश्वासघात का प्रतीक बन गया.

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शुभेंदु अधिकारी का मीर जाफर से तुलना क्यों

विधानसभा चुनाव से पहले शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी को छोड़ भाजपा के साथ हो लिये. इसी को ध्यान में रखकर ममता समेत अन्य टीएमसी नेता उन्हें मीर जाफर की संज्ञा दे रहे हैं. अब तो टीएमसी कार्यकर्ता शुभेंदु अधिकारी के राजनीतिक प्रभाव को कम करने में भी व्यस्त दिख रहे हैं.

वहीं, दूसरी ओर टीएमसी के लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी ने शुभेंदु को लालची तक कह दिया. उन्होंने कहा कि शुभेंदु राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए भाजपा में गये हैं. ममता सरकार में शुभेंदु अधिकारी को काफी कुछ मिला, लेकिन उन्होंने इसका मान भी नहीं रखा.

बता दें कि शुभेंदु अधिकारी के अलावा विधायक शीलभद्र दत्ता, बनश्री मैती, विश्वजीत कुंडू, सैकत पंजा, दिपाली विश्वास और सुकरा मुंडा ने भी भाजपा का दामन थामा है. कई नेताओं के भाजपा में जाने के पीछे भी टीएमसी नेता शुभेंदु का ही हाथ मान रहे हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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