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राज्यपाल ने राज्य चुनाव आयुक्त को दिया निर्देश, राजभवन को मिली शिकायतों की जानकारी हाइकोर्ट को जल्द दें

पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिकाएं दर्ज की गयी हैं, जिन पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की खंडपीठ पर सुनवाई हो रही है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने राज्य चुनाव आयोग (एसइसी) को राजभवन के पीस रूम में प्राप्त 7500 शिकायतों की जानकारी कलकत्ता हाइकोर्ट को देने के लिए कहा है. राज्यपाल ने राज्य चुनाव आयोग को ऐसा करने का निर्देश दिया है. राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस के निर्देश पर राज्य में पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा की घटनाओं के बारे में सीधे तौर पर शिकायत दर्ज कराने के लिए राजभवन में पीस रूम खोला गया था. सूत्रों ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार ””पीस रूम”” में प्राप्त हिंसा और झड़प की प्रत्येक शिकायत को राज्य चुनाव आयोग के कार्यालय को भेज दिया गया था और अब राजभवन के अधिकारी चाहते हैं कि इन शिकायतों को कलकत्ता हाइकोर्ट के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाये.

पंचायत चुनावों में हुई हिंसा मामले में जनहित याचिकाएं दर्ज

उल्लेखनीय है कि पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिकाएं दर्ज की गयी हैं, जिन पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की खंडपीठ पर सुनवाई हो रही है. इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली में निर्वाचित घोषित उम्मीदवारों का भाग्य काफी हद तक याचिकाओं के फैसलों पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने चुनाव के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने में आयोग की विफलता को लेकर नाराजगी भी जाहिर की. राज्य में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में हिंसा हुई, जिनमें कम से कम 47 लोगों के मारे जाने के दावे किये जा रहे हैं.

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7500 शिकायतों को रिपोर्ट को आयोग ने नहीं किया था शामिल

राजभवन के सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल की राय यह है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय को लगा कि हिंसा पर आयोग की रिपोर्ट अधूरी है, इसका एक बड़ा कारण यह था कि पीस रूम में प्राप्त 7500 शिकायतों को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया था. एक सूत्र ने कहा, इसलिए, राज्यपाल अब चाहते हैं कि उन शिकायतों को 17 जुलाई को होने वाली सुनवाई के दौरान संलग्न किया जाये. कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि वह केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की प्रभावी तैनाती और चुनाव आयोग की ओर से असहयोग की शिकायतों पर भी न्यायालय गौर करेगा. अदालत हर पहलु की निगरानी कर रही है.

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