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भाई बालेश्वर की मगही कविताएं – दुशासन के दलान और तुलसीदास

प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक में इस बार भाई बालेश्वर की दो मगही कविताएं - ‘दुशासन के दलान’ और ‘तुलसीदास’ प्रकाशित हुईं हैं. दोनों कविताएं आप यहां पढ़ें...

दुशासन के दलान

हे भीष्म!

तों हस्तिनापुर के गद्दी पर नैय बैठला

बैइठा देला अन्हरा के

तब ने आय

अनहरिया सियान हो गेल

मटमैला विहान हो गेल

जहिये तों करण के अपना लेता हल

एकलव्य के छाती से लगा लेता हल

तब आय ई देश के

ऐसन दुरदशा नैय होत हल

जात पात के झगड़ा

एक बित्ता जमीन के तकरार

बरकरार नैय रहत हल

ई सब तोहरे देल वरदान हे

तोहरे अंखिया के सामने

द्रौपदी के नांगट कर देलकै

भरल सभा में

आउ तों बैठल चुपचाप

मुरी गोंत के देखैत हला

तब ने दुर्योधन के मिजाज बढ़ गेलै

आजे समाज के जिये के ढंग बदल गेलै

ई सब तोहरे करनी के फल हैय

तोहरे चुप रहला से

कुरुक्षेत्र लहूलुहान हो गेल

आय दिल्ली के संसद

दुशासन के दलान बन गेल

धिक्कार हे तोर बल आउ भुजा के

तोहर आंख काहे नैय फूट गेल

दून्नू भुजा कट के काहे नैय गिर गेल

जखने ई सब अनर्थ होवऽ हल

ई सब तोहर कायरता के पहचान हे

कि अखनौउ तक

धरमराज के देश में

दुशासने के राज हे।

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तुलसीदास

अजी!

तुलसीदास

चित्रकूट के घाट पर

जेजा तों नित चंदन रगरो हला

ओजैय तों नागफनी के कांटा जनम गेल

शेर सियार तो दूर

गदहा के सिर में

दूगो सिंघ निकस गेल

जने चाहऽ हैय

ओनै रपेट दे हैय

जेजा पावऽ हैय

ओनैय लपेट ले हैय

सुरक्षा के गोहार

केकरा से करियै

हनुमाने के वंश तो

वानर हो गेल

राम, लछमण, भरत, शत्रोहन

सब के सब आन्हर भे गेल

बुझा हे दशरथो के आंख में

मोतियाबिंद के पानी उतर गेल

उनखरो नैय जना हे

सीता घर से निकल के

उरवशी बन के नाच रहली हे

मेनका बन के विश्वामित्र के

रिझा रहली हे

सेबरी के भक्ति घोर संकट में

डूब रहल हे

अहिल्या ऐसन नारी केत्ते

अघात सह रहल हे

अजी ! तुलसीदास

तों अप्पन धरम ग्रन्थ के

दोहा,चौपाय, छन्द

सब बदल दा

लिख दा क्रान्ती के अमर गीत

नैय त पाप से ई धरती

बिला जात

तोहर रमायण उमायण

सब पताल में समा जात ।

पता : ग्राम+पोस्ट+थाना-मोकामा, डाक्टर टोली, ब्रह्म स्थान, जिला – पटना (बिहार), मो. -9570450689

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