Bhai Dooj 2023: भैया दूज भाई-बहन के अटूट और अनन्य प्रेम का प्रतीक पर्व है. हर साल भाई दूज का पर्व दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, इसे यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं. इस दिन बहनें भाई को तिलक करती हैं और लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस दिन भाई और बहन एक-दूसरे के प्रति परंपरागत तरीके से स्नेह प्रकट करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर तिलक लगाकर भोजन करता है, तो अकाल मृत्यु नहीं होती है. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य अम्बरीश मिश्र से तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि से संबंधित पूरी जानकारी…
ज्योतिषाचार्य के अनुसार आज भी अमावस्या तिथि दोपहर के 2 बजकर 57 मिनट तक है, उसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रारंभ होगा. 14 नवंबर को प्रतिपदा तिथि 2 बजकर 37 मिनट तक रहेगी, गोवर्धन पूजा सूर्योदय कालीन प्रतिपदा तिथि में मनाई जाती है, इसलिए गोवर्धन पूजा, अन्नकूट पूजन आदि 14 नवंबर को मनाई जाएगी. भैया दूज 15 नवंबर को मनाना चाहिए. चित्रगुप्त पूजा, लेखनी पूजा, दावत पूजा, यमुना स्नान आदि 15 नवंबर को मनाने का मुहूर्त है.
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर होगा और 15 नवंबर को रात 1 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 15 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा.
भाई दूज की पूजा की थाली में रखें ये चीजें
भाई दूज की पूजा थाली में बहने सिंदूर, अक्षत, फूल, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, सूखा नारियल, कलावा, केला, मिठाई, दूर्वा आदि जरूर रखें.
भाई दूज के दिन सबसे पहले एक प्लेट या थाली लें, इसके बाद इसे गंगाजल से पवित्र कर लें. अब इसमें गेंदा या फिर कोई दूसरे फूल फूल रखकर सजा लें. फिर इसमें एक-एक करके छोटी कटोरी या फिर प्लेट में ही रोली, कुमकुम, अक्षत, कलावा, सूखा नारियल, मिठाई आदि रख दें. इसके साथ ही एक घी का दीपक जला लें.
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भाई दूज के दिन बिना कुछ खाएं हुए भाई का तिलक करना शुभ माना जाता है.
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इस दिन राहुकाल का अवश्य ध्यान रखें. राहुकाल में तिलक करना अशुभ माना जाता है.
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तिलक करते समय भाई को जमीन में न बिछाएं बल्कि कुर्सी, चौकी आदि में बैठाकर सिर में रुमाल या कोई कपड़ा अवश्य डालें.
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भाई दूज के दिन बहन या फिर भाई काले रंग के कपड़े बिल्कुल भी न पहनें.
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इस दिन आपस में लड़ाई-झगड़ा बिल्कुल भी न करें.
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भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने के साथ अंत में आरती अवश्य उतारें.
भाई दूज के दिन स्नान और ध्यान करें. फिर घर के मंदिर में घी का दीपक जलाकर ईश्वर का ध्यान करें, इसके दिन यमराज और यमुना के साथ भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है. इस दिन पिसे चावल से चौक बनाने की परंपरा भी है, इसके बाद बहनें, भाई को तिलक लगाएं और फिर आरती उतारें.
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भाई दूज की कथा यमराज और मां यमुना से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज और मां यमुना दोनों ही सूर्यदेव की संताने हैं और भाई-बहन हैं. दोनों में बेहद प्रेम था. अरसों बाद जब यमराज बहन यमुना से मिलने पहुंचे तो उन्होंने भाई के लिए ढेरों पकवान बनाएं, मस्तक पर तिलक लगाया और भेंट में नारियल दिया, इसके बाद यमराज ने बहन से वरदान में उपहार स्वरूप कुछ भी मांग लेने के लिए कहा जिसपर मां यमुना ने कहा कि वे बस ये विनती करती हैं कि हर साल यमराज उनसे मिलने जरूर आएं, इसी दिन से भाई दूज मनाए जाने की शुरूआत हुई. मान्यता है कि है कि भाई दूज के दिन ही यमराज बहन यमुना से मिलने आते हैं.