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बीएचयू में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज बेहाल, 7000 निराश लौटे, 50 फीसदी ऑपरेशन टले, इधर उधर घूमते रहे तीमारदार

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में पांच जूनियर डॉक्टरों को पीट दिया गया था. आरोप है कि सगे-संबंधियों का इलाज कराने आए बीएचयू के छात्रों ने ही डॉक्टरों को पीटा है.जिससे नाराज जेआर-एसआर ने गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दिया.

वाराणसी के बीएचयू में स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में बुधवार की देर रात कुछ छात्रों ने जूनियर रेजिडेंट (जेआर) की पिटाई कर दी, जिससे नाराज जेआर-एसआर ने गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दिया. ओपीडी में मरीज नहीं देखे और कुछ सीनियर डॉक्टरों की ओपीडी भी बंद करा दी. इससे मरीज व उनके तीमारदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है. पहले से निर्धारित करीब 50 फीसदी सामान्य ऑपरेशन टाल दिए गए.

अस्पताल के अलग-अलग विभागों की ओपीडी में आने वाले करीब 7,000 मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा. रोजाना 10,100 मरीज ओपीडी में आते हैं, लेकिन गुरुवार को 3100 को ही इलाज मिल सका. हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं चली हैं. गंभीर ऑपरेशन भी हुए हैं. प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि हड़ताल लंबी चली तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाएंगी. ऑपरेशन टालने पड़ेंगे. इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित होंगी.

दरअसल, अस्पताल की इमरजेंसी में बुधवार की रात पांच जूनियर डॉक्टरों को पीटा गया था. मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो धीरज किशोर व डॉ विवेक श्रीवास्तव बीच बचाव करने पहुंचे तो उनसे भी बदसलूकी की गई. आरोप है कि सगे-संबंधियों का इलाज कराने आए बीएचयू के छात्रों ने ही डॉक्टरों को पीटा है. बहरहाल, इस घटना से नाराज जेआर-एसआर ने गुरुवार की सुबह से ही कामकाज ठप कर दिया. साथ ही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) निदेशक के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए.

वरिष्ठ डॉक्टरों के भरोसे ओपीडी तो चली, लेकिन हड़ताल का असर ज्यादा दिखा. उनका कहना था कि जूनियर डॉक्टरों को टारगेट करके पीटा जा रहा है. आरोपी युवकों की गिरफ्तारी न होने तक ओपीडी व वार्ड में ड्यूटी नहीं करेंगे. इमरजेंसी में काम करते रहेंगे. अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो इमरजेंसी सेवाओं को ठप करने के लिए विवश होना पड़ेगा.

पर्चा कटवाने के बाद पता चला हड़ताल है

बीएचयू में रोजाना वाराणसी और आसपास के जिलों के साथ ही बिहार, झारखंड आदि राज्यों से मरीज आते हैं. गुरुवार की सुबह पंजीकरण काउंटर पर लाइन में लगकर मरीज व उनके तीमारदारों ने पर्चा कटावाया. ओपीडी में पहुंचे तो पता चला कि जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. ओपीडी हॉल में हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, मेडिसिन, टीबी एंड चेस्ट सहित कई विभागों में पहुंचकर जूनियर डॉक्टरों ने सीनियर डॉक्टरों (आईएमएस के शिक्षक) से ओपीडी में न बैठने की अपील की, लेकिन वे नहीं माने. सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों को देखा.

ओपीडी हॉल की कुर्सियां खाली

गुरुवार की दोपहर ओपीडी हॉल में अधिकांश कुर्सियां खाली रहीं. ओपीडी के गलियारे में मरीज और तीमारदार भी कम ही दिखे. प्रथम तल पर मेडिसिन विभाग की ओपीडी में जूनियर और सीनियर रेजिडेंट के कमरों में ताला बंद रहा.

कहीं स्ट्रेचर पर तो कहीं जमीन पर बैठे रहे मरीज

जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की वजह से सबसे अधिक परेशानी मरीजों को हुई. ओपीडी से लेकर इमरजेंसी के बाहर तक मरीज स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे. सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक के भूतल पर ओपीडी के बाहर मरीजों के तीमारदार नीचे जमीन पर बैठे रहे. यहां अधिकांश मरीजों को डॉक्टर स्ट्रेचर पर ही भर्ती कर देख रहे थे.

ये है पूरा मामला

बीएचयू अस्पताल के सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में बुधवार की देर रात भूतल पर इमरजेंसी डॉक्टर इलाज में लगे थे. इसी बीच लिफ्ट से बीएचयू के कुछ छात्र इमरजेंसी में आए और अपने परिजन का इलाज जल्द कराने का दबाव बनाने लगे. इससे कहासुनी होने लगी. सुरक्षाकर्मियों ने शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी. सुरक्षाकर्मियों से भी नोकझोंक होने लगी. आरोप है कि इमरजेंसी में इलाज कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने आपत्ति की और वहां मौजूद युवकों से बाहर जाने को कहा. इससे नाराज युवकों ने उनकी भी पिटाई शुरू कर दी. इससे दो महिला सहित पांच जूनियर डॉक्टर घायल हो गए. प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम सभी को ट्रॉमा सेंटर ले गई, जहां इमरजेंसी में उनका इलाज हुआ.

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