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पर्यटन स्थल के रूप में आज तक विकसित नहीं हो सका खूंटी का डोंबारी बुरु, जानें क्या है इसका इतिहास

400 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों पर अंग्रेजों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग करने की घटना को याद दिलाता डोंबारी बुरु को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना थी. यह योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर सकी

खूंटी : खूंटी का डोंबारी बुरू को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की योजना थी लेकिन लापरवाही की वजह आज तक ये जगह विकसित नहीं हो पायी है. तोरणद्वार और म्यूजियम का निर्माण कार्य तो शुरू कर दिया गया लेकिन लेकिन संवेदक कार्य को अधूरा छोड़ कर भाग गया. दरअसल इस स्थान पर अंग्रेजों ने 400 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों पर गोलियां बरसाईं थी. जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये थे. इसी घटना की याद में यहां पर हर साल 9 जनवरी को मेला लगता है.

उसके बाद कोई कार्य नहीं हुआ. अब स्थिति यह है कि डोबांरी बुरु में बनाये गये स्तंभ तक पहुंचने वाली चढ़ने की सीढ़ियां जगह-जगह टूट गयी हैं. नौ जनवरी शहादत दिवस के अवसर पर यहां मेला लगता है. सैकड़ों लोग यहां आकर भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं. उपायुक्त शशि रंजन ने कहा डोंबारी बुरु को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. निर्माण कार्य छोड़कर भाग गये संवेदक को ब्लैक लिस्टेड करने के लिए लिखा गया था. अब वहां नये तरीके से कार्य करने की जरूरत है.

क्या है पूरा मामला

अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी, 1899 को भगवान बिरसा मुंडा अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे. सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभा स्थल को चारों ओर से घेर लिया. अंग्रेजों ने सभा पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया. बिरसा मुंडा और उनके साथियों ने भी काफी संघर्ष किये. इस गोलीबारी के बीच से बिरसा मुंडा किसी तरह से निकलने में सफल रहे, लेकिन सैकड़ों लोग शहीद हो गये.

इस हत्याकांड में शहीद हुए लोगों की याद में यहां हर साल 9 जनवरी को मेला लगाया जाता है. जिस स्थल पर अंग्रेज सिपाहियों ने सैकड़ों आदिवासी को मौत के घाट उतार दिया गया था, वहां 110 फीट ऊंची एक विशाल स्तंभ का निर्माण किया गया है.

Posted By: Sameer Oraon

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