कोलकाता, शिव कुमार राउत : हल्दिया से भाजपा की विधायक तापसी मंडल ने विधानसभा के प्रश्नोत्तर काल में राज्य सरकार की खाद्य वितरण प्रणाली पर सवाल खड़े किये. उनका कहना था कि राज्य की राशन दुकानों से प्लास्टिक के चावल का वितरण किया जा रहा है. इस चावल को खाने वाले लोग बीमार पड़ सकते हैं. सदन में सवाल-जवाब के दौरान ऐसे आरोप सुनकर विधायक भी हैरान रह गये. राज्य के खाद्य मंत्री रथिन घोष ने इस शिकायत पर स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा कि जिसे आप प्लास्टिक समझ रही हैं, असल में वह फोर्टिफाइड चावल हैं. 100 फीसदी राशन दुकानों से फोर्टिफाइड राइस का वितरण हो रहा है.
मंत्री ने भाजपा विधायक से कहा : केंद्र में आपकी सरकार है. केंद्र के निर्देश पर ही इस चावल का वितरण किया जा रहा है. ऐसे में आपको भी इसकी जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा : कई लोग ऐसे सवाल पूछते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने आम लोगों के भ्रम को दूर करने के लिए विज्ञापनों की मदद ली है. रथिन घोष ने बताया कि यह फोर्टिफाइड चावल भारत सरकार की एक विशेष परियोजना का हिस्सा है. इस राज्य में, चावल के 100 दानों में से एक फोर्टिफाइड चावल मिलाया जाता है. यानी एक किलोग्राम में 10 ग्राम फोर्टिफाइड चावल मिलाया जाता है. चावल का एक-एक दाना पौष्टिकता से भरा होता है, जबकि, आम लोग इसे प्लास्टिक का चावल समझ लेते हैं.
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मंत्री ने कहा कि केंद्र के निर्देश पर ही राज्य सरकार फोर्टिफाइड चावल बांट रही है. इस साल अप्रैल से सभी राशन दुकानों से इस चावल का वितरण किया जा रहा है. केंद्र सरकार 2022 से फोर्टिफाइड चावल का वितरण कर रही है. मंत्री ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के पहले राज्य के चार जिले नदिया, मुर्शिदाबाद, बीरभूम और उत्तर दिनाजपुर से इस चावल का वितरण शुरू हुआ था. उन्होंने कहा कि राज्य में आठ करोड़ 80 लाख राशन कार्ड जारी किये गये हैं. इन सभी कार्डधारकों को राशन कार्ड बांटे जा रहे हैं. वहीं, 97 फीसदी राशन कार्ड को आधार से लिंक कर दिया गया है. मिड-डे-मील सहित सभी सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल का ही वितरण हो रहा है.
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केंद्र सरकार की योजना के तहत कुपोषण और एनीमिया को खत्म करने के लिए राशन की दुकानों पर 100 फीसदी फोर्टिफाइड राइस बांटे जा रहे हैं. यह फैसला बच्चों में पोषक तत्वों और महिलाओं में खून की कमी को देखते हुए लिया गया है. विटामिन बी12, फोलिक एसिड और आयरन को मिला कर इस चावल को तैयार किया जाता है. फोर्टिफाइड चावल को तैयार करने के लिए कोटिंग, डस्टिंग और एक्सट्रूजन जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
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राज्य सरकार ने हुगली में स्थित फुरफुरा शरीफ के विकास के लिए 58.5 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने विधानसभा में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि फुरफुरा शरीफ के विकास के लिए कुल 62 लाख 89 हजार 492 रुपये आवंटित किये गये हैं. विधानसभा सत्र में फिरहाद के ऐसा कहने के बाद फुरफुरा शरीफ के पीरजादा और भांगड़ के आइएसएफ विधायक नौशाद सिद्दीकी ने सवाल उठाया कि फुरफुरा विकास बोर्ड का कार्यालय कहां है? इसके जवाब में फिरहाद ने कहा कि हमें अभी तक कोई ऑफिस नहीं मिला है. फिलहाल श्रीरामपुर स्थित उपविभागीय शासक कार्यालय से ही कामकाज किया जा रहा है.
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2008 से फुरफुरा शरीफ की तस्वीर बदलनी शुरू हुई थी. फुरफुरा के पीरजादा तोहा सिद्दीकी का तृणमूल के तत्कालीन अखिल भारतीय महासचिव मुकुल राय के साथ संबंध और निकटता राज्य की राजनीति में प्रसिद्ध थी. उस समय अन्य दलों के नेताओं ने औपचारिकताओं को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन राजनेताओं को पता था कि फुरफुरा व्यावहारिक रूप से तृणमूल का हो गया है. ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद फुरफुरा शरीफ विकास बोर्ड का गठन किया गया. फिरहाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि, 2021 के से कुछ महीने पहले, वह समीकरण थोड़ा बदल गया. कई लोगों के मुताबिक, अब्बास सिद्दीकी और नौशाद के आने से तृणमूल से फुरफुरा शरीफ की दूरियां बढ़ी है.