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बीएसएफ-तस्करों की आंखमिचौनी जारी, बंगाल में 10.32 करोड़ से ज्यादा के ड्रग्स, सोना-चांदी व वन्य जीव-जंतु जब्त

West Bengal News: दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत आने वाले इलाकों में इस साल पकड़े जाने वाले तस्करों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 30 जुलाई तक तस्करी के दौरान 140 लोगों को दबोचा गया.

कोलकाता (अमित शर्मा): पश्चिम बंगाल तस्करों का गढ़ बन गया है. खासकर बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती इलाकों में तस्करी के ढेर सारे मामले सामने आये हैं. इन्हीं इलाकों से तस्करी के सामान भारत लाये जाते हैं या फिर सामान बांग्लादेश के रास्ते दूसरे देशों में भेजे जाते हैं. तस्करों पर नकेल कसने के लिए साउथ बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. वहीं, तस्कर भी तरह-तरह के हथकंडे अपनाने से बाज नहीं आते.

हालांकि, बीएसएफ ने इस साल (30 जुलाई तक) भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों से करीब 10,32,21,646 रुपये मूल्य के गांजा, याबा टैबलेट, फेंसिडील, सोना-चांदी और वन्य जीव-जंतुओं को बरामद करने में सफलता पायी है. पिछले साल यानी 2020 को सीमा से सटे इलाकों से लगभग 16,43,15,479 रुपये मूल्य के गांजा, याबा टैबलेट, फेंसिडील, सोना-चांदी और वन्य जीव-जंतु बरामद किये गये थे.

तस्करों की धरपकड़ में आयी तेजी

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत आने वाले इलाकों में इस साल पकड़े जाने वाले तस्करों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इस साल 30 जुलाई तक तस्करी के दौरान 140 लोगों को दबोचा गया. इनमें 111 भारतीय और 29 बांग्लादेश के नागरिक हैं. पिछले साल 99 तस्कर पकड़े गये थे, जिनमें भारतीयों की संख्या 90 और बांग्लादेशियों की संख्या नौ है. यानी इस साल सात महीनों में ही पकड़े जाने वाले तस्करों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा पहुंच गयी.

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इस वर्ष बांग्लादेश के रास्ते पश्चिम बंगाल में जाली नोटों की खेप लाये जाने के मामलों में भी वृद्धि हुई है. पिछले साल भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती क्षेत्रों से करीब 7.66 लाख रुपये के जाली नोट जब्त किये गये. इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस साल 30 जुलाई तक 17,20,500 रुपये के जाली नोट सीमावर्ती इलाकों से जब्त किये गये. जाली नोटों की देश में लाने के आरोप में दो लोग भी दबोचे गये.

बांग्लादेश में ड्रग्स और भारत में सोना-चांदी की मांग ज्यादा

बांग्लादेश में शराबबंदी होने के कारण प्रतिबंधित कफ सिरप फेंसिडील, याबा टैबलेट और गांजा की मांग काफी ज्यादा है. फेंसिडील की प्रति बोतलों की बांग्लादेश में तस्करी करने पर तस्करों को 200 से 300 रुपये का फायदा होता है, जबकि प्रति याबा टैबलेट की तस्करी पर 700 रुपये या उससे ज्यादा का लाभ होता है. दूसरी ओर भारत में सोना-चांदी की मांग ज्यादा है.

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बीएसएफ के अनुसार, बांग्लादेश के रास्ते दूसरे देशों से सोना-चांदी बंगाल में लाये जाते हैं और कोलकाता के मार्ग से इन्हें देश के दूसरे राज्यों में भी पहुंचाया जाता है. इस साल (30) जुलाई तक भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों से करीब 16.38 किलो सोना बरामद किया गया, जिनकी कीमत लगभग 7,96,63,542.01 रुपये हैं.

पिछले साल करीब 32.31 किलो सोना बरामद हुए थे, जिनका मूल्य 14,20,87,465 रुपये है. चांदी की बात की जाये, तो इस साल 30 जुलाई तक लगभग 112.26 किलो चांदी जब्त किये गये, जबकि पिछले साल करीब 86.65 किलो चांदी बरामद किये गये थे.

आसान नहीं है भारत-बांग्लादेश सीमा की निगरानी

दक्षिण बंगाल सीमांत, बीएसएफ के जिम्मेवारी के इलाके में पांच सीमावर्ती जिले पड़ते हैं, जिनमें उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नदिया, मुर्शिदाबाद तथा मालदा शामिल हैं, जो बंगलादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे हैं. इस अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई करीब 913.324 किलोमीटर है, जिसमें थल सीमा 549.39 किलोमीटर (60.15%) तथा नदी सीमा 363.934 किलोमीटर (39.85%) हैं.

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इस अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मात्र 405 किलोमीटर (44.343%) इलाके में ही कंटीले बाड़ लगे हैं तथा बाकी सीमा बिना फ्लड लाईट तथा कंटीले बाड़ के हैं, जिसका फायदा अक्सर तस्कर लेने की कोशिश करते हैं. सीमा पर कंटीले बाड़ का न होना, अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा का नदियों से हो कर गुजरना, अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा के ऊपर कई गांवों का बसना, चर लैंड का होना, सीमा पर बसे लोगों का ट्रांन्स बॉर्डर अपराधों में शामिल होना व कई मुद्दें हैं, जिसके कारण सीमा सुरक्षा बल, दक्षिण बंगाल सीमांत के इलाकों को दुनिया के पांच प्रमुख खतरनाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा में शामिल किया गया है. यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत-बांग्लादेश सीमा की निगरानी आसान नहीं है.

क्या कहते हैं बीएसएफ के अधिकारी

साउथ बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ के डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया का कहना है कि दक्षिण बंगाल सीमांत अंतर्गत सीमावर्ती इलाकों में तस्करी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए तस्कर तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं. हाल यह भी है कि बच्चे और विद्यार्थी उनके साॅफ्ट टार्गेट बन गये हैं, ताकि वे अपने मंसूबों को पूरा कर सकें. हालांकि, बीएसएफ तस्करों पर लगाम लगाने और तस्करी की घटनाओं को रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार है. तस्करी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए बीएसएफ काफी सख्ती बरत रही है. श्री रणनीति के तहत काम भी किये जा रहे हैं.

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  • बीएसएफ ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर निगरानी का दायरा बढ़ाया है. अब बीएसएफ अंतरर्राष्ट्रीय सीमा पर लगे बेड़े के और भी करीब निगरानी कर रही है, साथ ही सीमा से सटे गांवों में भी निगरानी कड़ी की गयी है, ताकि अपराध होने के पहले ही उसे रोका जा सके.

  • तस्कर सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले बच्चों और विद्यार्थियों को तस्करी के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं. ऐसे में जब भी बीएसएफ की खुफिया शाखा को इस बात की भनक मिलती है कि कोई बच्चा या विद्यार्थी किसी तस्कर के संपर्क में हैं, तो इसकी जानकारी उनके अभिभावकों और संबंधित गांव के मुखिया को इसकी जानकारी दी जाती है. उन्हें यह भी समझाया जाता है कि यदि उनका बच्चा तस्करी के दौरान पकड़ा गया, तो उसका पूरा भविष्य बर्बाद हो सकता है. इस अभियान का काफी फर्क भी पड़ रहा है.

  • बीएसएफ ने भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा और ट्रांस-बार्डर अपराधों को रोकने में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से ही ‘सीमा साथी’ हेल्पलाइन नंबर 14419 शुरू किया है. इस नंबर के जरिये लोग सीमावर्ती इलाकों में होने वाले अपराध को रोकने के लिए सीधे बीएसएफ से सूचना साझा कर रहे हैं. हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे चालू रहता है, जिसे सुचारू रूप से चलाने के लिए दक्षिण बंगाल सीमा के सभी बीएसएफ सेक्टरों और बटालियन में एक-एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किये गये हैं.

  • सीमावर्ती इलाकों के गांवों में रहने वाले लोगों में बीएसएफ ने कुछ को मुखबिर भी बनाये हैं. इस काम में पिछले तीन सालों में तेजी आयी है. गांवों में मौजूद मुखबिरों की मदद से तस्करी की घटनाएं रोकने में मदद मिल रही है.

नदी के रास्ते नशीली दवाओं और मवेशियों की तस्करी

बारिश के मौसम में भारत-बांग्लादेश सीमा के बीच नदियों का जल स्तर भी काफी बढ़ जाता है. ऐसे में तस्कर नदियों रास्ते पशुओं, फेंसिडिल व अन्य सामानों की तस्करी की कोशिश करते हैं. तस्करी को रोकने के लिए बीएसएफ ने नदियों में बोट के जरिये गश्त बढ़ायी है. इसके लिए अतिरिक्त बोट की भी व्यवस्था की गयी है. दक्षिण बंगाल सीमांत के इलाके में पड़ने वाली सभी नदियों, जहां से होकर तस्करी होती रही है, उन सभी इलाकों को चिन्हित कर वहां अब विशेष बोट पेट्रोलिंग की जा रही है.

नदियों में जल का स्तर बढ़ने और पानी का बहाव तेज होने से तस्कर इसका फायदा लेकर केले के स्तंभ या बांस के बेड़े में ड्रग्स छिपाकर पानी की धारा में बहा देते हैं और बांग्लादेश में प्रवेश कराने का प्रयास करते हैं, लेकिन‌ नदियों में बोट के जरिये बढ़ाये गये गश्त के कारण तस्करी की कई कोशिशें को नाकाम की जा चुकी हैं.

Posted By: Mithilesh Jha

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