यह मौजूदा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थव्यवस्था और सभी वर्गों को साधने की कोशिश में सफल रही हैं. यह बजट विकास को बढ़ाने की कोशिश करता नजर आता है. बजट के कई प्रावधान अर्थव्यवस्था को गति देने वाले हैं. बजट युवा, महिला, वरिष्ठ नागरिक, मध्य वर्ग और आदिवासी, हर वर्ग को राहत देने वाला है. सरकार ने पूंजीगत खर्चों के आवंटन की राशि को 13.7 लाख करोड़ रुपये कर दिया है.
इसमें राज्य सरकारों को दी जाने वाली 1.3 लाख करोड़ रुपये की सहायता भी शामिल है. यह राशि पिछले बजट से 33 फीसदी ज्यादा है और यह कुल जीडीपी का 3.3 फीसदी है, जो मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में काफी साहसिक कदम है. यही राशि विकास की रफ्तार को गति देगी और रोजगार के नये अवसर पैदा करेगी, लेकिन इसके साथ एक चुनौती भी है कि सरकार को विकास की गति को बढ़ाने के लिए 14.5 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि जुटानी भी होगी.
मोदी सरकार की साख अच्छी है, इसलिए वह लंबी अवधि के बांड और जमा योजनाओं से इसे जुटा भी लेगी, पर देर-सबेर इसे पाटना भी होगा. इसके लिए सरकार को वित्तीय अनुशासन पर जोर देना होगा और गैर जरूरी खर्चों में कटौती करनी होगी, अन्यथा वित्तीय दुष्चक्र में फंसने का जोखिम बना रहेगा. हमारे दो पड़ोसी पाकिस्तान व श्रीलंका वित्तीय अनुशासन न रखने के कारण ऐसे ही दुष्चक्र में फंसे हुए हैं. टैक्स की नयी व्यवस्था अपनाने वाले मध्यम वर्ग को आयकर में राहत दी गयी है.
सरकार ने साफ कर दिया है कि वह चाहती है कि लोग नयी टैक्स व्यवस्था को अपनाएं और इसी वजह से उसमें राहत की घोषणाएं की गयी हैं. पुरानी व्यवस्था के पक्ष में दलील दी जाती है कि आयकर के दबाव में ही सही, जो बचत हो जाती थी, वही बुढ़ापे का सहारा बनती है, उसका चलन समाप्त हो जायेगा. महिलाओं में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए 7.5% ब्याज दर पर नयी योजना की घोषणा की गयी है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए बचत योजनाओं की सीमा को बढ़ाना स्वागत योग्य कदम है. मुझे बच्चों और किशोरों के लिए डिजिटल लाइब्रेरी की घोषणा से बेहद प्रसन्नता हुई. डिजिटली ही सही, बच्चों के पठन-पाठन पर गौर किया जाना सराहनीय पहल है.