बरेली : उत्तर प्रदेश के बरेली में बुलडोजर की कार्रवाई लगातार चालू है. मंगलवार को बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) के अवैध निर्माण ने बड़े बाईपास पर अवैध रूप से बनने वाली 4 कालोनियों को ध्वस्त कर दिया. बीडीए की टीम ने बुलडोजर से अवैध कॉलोनीयों की नवनिर्मित सड़क, मकान आदि निर्माण को ध्वस्त कर दिया. कॉलोनाइजर ने बीडीए की कार्रवाई रोकने की काफी कोशिश की. इसके साथ ही सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से सिफारिश में फोन कराए. मगर, टीम ने एक नहीं सुनी. टीम ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की. इसके साथ ही कालोनाइजर को बीडीए से नक्शा पास कराने के बाद ही कालोनी विकसित करने की चेतावनी दी.इन सभी कालोनाइजर के खिलाफ पेनाल्टी डालने की भी तैयारी चल रही है. बीडीए की टीम ने कुछ और अवैध कालोनियों को भी चिन्हित किया है.इनके खिलाफ भी जल्द ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी.टीम ने सबसे पहले राजाराम की मोहनपुर उर्फ रामनगर में अवैध रूप से विकसित करीब 05 बीघा क्षेत्रफल की अवैध कालोनी के निर्माण को ध्वस्त किया. यहां विकास कार्य कर भूखण्डों का चिन्हांकन, साइट ऑफिस, एवं सड़क का निर्माण कार्य किया गया था.सैदपुर खजुरिया में करीब 06 बीघा क्षेत्रफल में रियासत ने अवैध रूप से कालोनी का निर्माण कर विकसित किया.सैदपुर खजुरिया में इश्तेकार, और अशरफ खॉ ने करीब 08 बीघा क्षेत्रफल में, लकी, और रियासत ने उमरियॉ में करीब 10 बीघा क्षेत्रफल में अवैध रूप से कालोनी का निर्माण कर विकास किया था.
यहां भूखंडों का चिह्नांकन , विद्युत पोल, बाउन्ड्रीवाल, साइट ऑफिस, सड़क एवं नाली का निर्माण कार्य किया जा रहा था. इसको बुलडोजर से ध्वस्त किया गया. इन अवैध कालोनियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 की सुंसगत धाराओं के अन्तर्गत कार्रवाई की. इस दौरान प्राधिकरण के सहायक अभियन्ता हरीश कुमार, अवर अभियन्तागण रमन कुमार अग्रवाल, सुनील गुप्ता, एसके सिंह ने प्रवर्तन टीम के साथ अवैध कालोनी के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की. बीडीए ने 4 अवैध कालोनियों को बुल्डोजर से ध्वस्त कर दिया है.बुल्डोजर ने अवैध कालोनियों को नवनिर्मित सड़क,भवन, पार्क, चाहरदीवारी तोड़ दी.इससे कालोनाइजर को 1.50 करोड़ रूपये के आर्थिक नुकसान होने की बात सामने आई है.हालांकि, कालोनाइजर का कहना है कि आर्थिक नुकसान से किसी को फायदा नहीं हुआ.अगर, विभाग पेनाल्टी डालकर नक्शा पास करता, तो ठीक था.मगर, बीडीए में नक्शा पास कराने में लंबा खर्च है.इसके साथ ही लंबी कार्रवाई है.इसलिए भी नक्शा पास कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद