यूपी में गोरखपुर बस स्टेशन पर अब यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेगी.14416 वर्ग मीटर भूमि पर 92 करोड़ रुपए से गोरखपुर बस स्टेशन का विकास किया जाएगा. सार्वजनिक निजी भागीदारी यानी पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन का कायाकल्प होना है. अति आधुनिक सुविधा से संपन्न बस स्टेशन बनाने के लिए परिवहन निगम ने टेंडर जारी कर दिया है. 4 जनवरी तक टेंडर आमंत्रित है. 4 जनवरी को शाम 5:00 बजे टेंडर खुलेगा, इस बार निवेशकों के लिए नियम और शर्तों को लचीला बनाया गया है. इस अति आधुनिक बस स्टेशन पर यात्रियों को एक ही परिसर में सारी सुविधाएं मिल सकेंगे. बस स्टेशन के लिए बजट निर्धारित करने के साथ ही भूमि भी चिन्हित कर ली गई है. गोरखपुर बस स्टेशन से करीब 1200 बसों से 50 से 60 हजार लोग प्रतिदिन आवागमन करते हैं. चिह्नित भूमि के 55 प्रतिशत भाग में बस टर्मिनल बनेगा शेष 45% भाग पर कमर्शियल कंपलेक्स तैयार होगा. यहां पर यात्री सफर के साथ आवश्यक सामान की खरीदारी भी कर सकेंगे. इस परिसर में फूड प्लाजा के साथ ठहरने की भी सुविधा मिलेगी. स्टेशन भवन और कमर्शियल कंपलेक्स बहु मंजिला होगी, जिसमें यात्रियों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. बस स्टेशन परिसर में ही इलेक्ट्रिक वाहनों की संचालन के लिए चार्जिंग पॉइंट बनाए जाएंगे.
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बस स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए बसों की हर पल अपडेट मिलती रहेगी. अलग-अलग क्षेत्र में चलने वाली बसों के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म होंगे. यात्रियों के ठहरने के लिए वाताकुलित प्रतीक्षालय बनेंगे. यात्रियों के खान पान के लिए कैंटीन और उनके मनोरंजन के लिए टीवी की व्यवस्था होगी. यात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे. गोरखपुर सहित प्रदेश के 18 बस स्टेशनों की नवनिर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया है. परिवहन निगम की जनरल मैनेजर यजुवेंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश में गोरखपुर सहित 18 बस स्टेशनों की नवनिर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया है. पीपीपी मॉडल पर या बस स्टैंड तैयार होंगे. 4 जनवरी को शाम 5:00 बजे टेंडर खुलेगा. इस बार निवेशकों के लिए नियम और शर्तों को लचीला बनाया गया है. उन्होंने बताया कि वार्षिक कंसेशन शुल्क 5 वर्ष तक नहीं लिया जाएगा. 6वें वर्ष से निवेशक को भुगतान करना होगा. बस स्टेशन की भूमि मूल्य का वार्षिक रियायत शुल्क एक प्रतिशत से घटकर आधा प्रतिशत कर दिया गया है. इसका टेंडर वर्ष 2022 में निकल गया था. लेकिन नियम और शर्तें कठिन होने की वजह से निवेशक नहीं मिले.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर