पश्चिम बंगाल की तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. अब सीबीआई ने अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए लोकसभा सचिवालय से संपर्क किया है, जिसमें कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप में तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी. सूत्रों के मुताबिक लोकसभा सचिवालय ने अभी तक एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट जांच एजेंसी को नहीं सौंपी है. गौरतलब है कि एथिक्स कमेटी पहले ही आरोपों की जांच की सिफारिश कर चुकी है. यदि लोकसभा सचिवालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत आवश्यक मंजूरी हासिल करते हुए एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपता है, तो केंद्रीय जांच एजेंसी लोकपाल की मंजूरी के बिना सीधे महुआ मोइत्रा पर एफआईआर दर्ज कर सकती है.
लोकसभा ने अपने शीतकालीन सत्र में आचार समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी, जिसमें “अनैतिक आचरण” के आधार पर महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी. समिति ने उनके “अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक और आपराधिक आचरण” को देखते हुए सरकार द्वारा समयबद्ध तरीके से कानूनी जांच” की भी सिफारिश की थी. ये आरोप भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए थे.जिन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर दावा किया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी व्यापार समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली है.
Also Read: Mahua Moitra : महुआ मोइत्रा के निष्कासन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय से मांगा जवाब
उन्होंने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक और पत्र लिखा और उनसे लोकसभा वेबसाइट पर मोइत्रा के लॉगिन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करने का आग्रह किया ताकि यह जांचा जा सके कि क्या इन्हें किसी और ने एक्सेस किया है . विपक्षी दलों ने एथिक्स कमेटी के निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं और अपने असहमति नोट में कहा है कि पैनल ने अपनी जांच ” जल्दबाजी के साथ की है. गौरतलब है कि लोकसभा में गत आठ दिसंबर को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तृणमूल कांग्रेस सांसद मोइत्रा को ‘अनैतिक आचरण’ के लिए सदन से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा था जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया था. लोकसभा की आचार समिति ने मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में अनैतिक आचरण का दोषी पाया था और उन्हें सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी.